बीघापुर का पुल | ज़िंदगी है तो जोख़िम भी
उन्नाव | बीघापुर और कानपुर के बीच की दूरी 40 किलोमीटर है, उन्नाव बाइपास से कुल 30 किलोमीटर. बीघापुर तहसील में तीन डिग्री कॉलेज हैं. साक्षरता दर अगर 80.87% है तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. यहाँ के लोगों को तो पांडु नदी पर बने पुल के इस हाल पर भी हैरानी नहीं होती. ज़िंदगी है तो जोख़िम भी है.
फ़र्रूख़ाबाद से निकलकर पाँच ज़िलों से होती हुई पांडु नदी 120 किलोमीटर का सफ़र करके फ़तेहपुर में गंगा में मिल जाती है. दूलीखेड़ा और लालाखेड़ा गाँवों के बीच पांडु नदी पर बने इस पुल को देखकर बाहर का कोई आदमी चकरा सकता है और ज़रूरी नहीं कि इससे गुज़र कर पार उतरने के लिए राज़ी भी हो जाए. इन गाँवों की बड़ी आबादी के लोगों को, ख़ासकर पढ़ने वाले इस पुल से पार उतरने का जोख़िम हर रोज़ उठाते हैं.
यह पुल क़रीब बीस साल पहले बना था. पंद्रह साल हुए, जब बाढ़ की वजह से पुल का एक हिस्सा टूटकर बह गया. पुल की मरम्मत के लिए गांव के लोग हर उस ज़िम्मेदार आदमी के दर पर गए, जिनसे उन्हें उम्मीद थी. हर जगह से नाउम्मीद होकर उन्होंने अपने लिए यह इंतज़ाम कर लिया है.
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