ली फ़ॉकः बेताल की कल्पना में मोगली को शामिल करने वाला शख़्स

  • 8:42 am
  • 13 March 2020

घने जंगलों के बीच डेंकाली की गुफा में रहने वाला वह प्रेत याद है न, जो बाहर निकलता तो नीला नक़ाब और काला चश्मा पहनकर, प्रेत जो मजलूमों का मददगार था और अपराधियों का दुश्मन, कोई मुश्किल पाकर गुर्रन और उसके साथी ड्रमों की आवाज़ के ज़रिये संदेश भेजते तो तूफ़ान की सवारी करता शेरा के साथ वह मौक़े पर पहुंच जाता और जिसका मुक्का अपराधियों के चेहरे पर पड़ता तो खोपड़ी का निशान बाक़ी रह जाता.वही तो अंग्रेज़ी में फैंटम कहलाता था और हिन्दी में बेताल – चलता-फिरता प्रेत. अख़बारों में छपने वाली कॉमिक स्ट्रिप (चित्रकथा) से सफ़र शुरू करके लोकप्रिय कॉमिक-बुक्स, फ़िल्मों और वीडियो गेम्स का नायक बेताल.

दूसरे कल्पित नायकों से फैंटम इस लिहाज़ से अलग है कि उसके पास कोई अमानवीय या आलौकिक ताक़त नहीं है. वह अपनी ताक़त, बुद्धिमत्ता और किंवदंतियों में अमर होने की धारणा या दहशत के बूते ही दुश्मनों से पार पाने के लिए काफी है. 21वीं पीढ़ी के फैंटम का ब्याह डायना से हुआ है, उनकी दो संतानें भी हैं – किट और हेलुईस. अपने पुरखों की तरह ही वह भी ऐसी गुफा में रहता है, जिनकी बनावट इंसानी खोपड़ी जैसी है.

बेताल यानी फैंटम दरअसल लियोन हैरिसन ग्रास यानी ली फ़ॉक की कल्पना है. वही ली फ़ॉक, जो जादूगर मैण्ड्रक के रचयिता भी हैं. लड़कपन के दिनों से जैसे उन्हें जादूगर के शो पसंद आते थे, वैसे ही रॉबिन हुड, टार्जन, ज़ोरो और मोगली के क़िरदार और क़िस्से भी ख़ूब प्रभावित करते थे. रुडयार्ड किपलिंग की ‘द जंगल बुक’ की फंतासी उन्हें ख़ूब भाती थी. फैंटम के बौने आदिवासी दोस्तों को उन्होंने बांडार कहा है, और यह नामकरण किपलिंग को उनकी श्रद्धांजलि है. बांडार यानी बंदर, मोगली के दोस्त. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा भी है कि उनका नायक ऐसी कई किवदंतियों और मिथकीय चरित्रों से प्रेरित है. 17 फरवरी 1936 को शुरू हुई उनकी कॉमिक स्ट्रिप की कहानी का नाम “द सिंह ब्रदरहुड” था और जंगल की पृष्ठभूमि में इस कहानी के नायक का उपनाम उन्होंने “द ग्रे घोस्ट” रखा था.  इन कहानी की स्ट्रिप दो हफ़्तों तक उन्होंने ख़ुद बनाई. बाद में 28 मई, 1939 से इसे साप्ताहिक यानी हर इतवार को रंगीन स्ट्रिप के तौर पर जारी किया गया. किंग फीचर्स का दावा था कि सन् 1966 में, “द फैण्टम” दुनिया भर के 583 अख़बारों में छपता था और उस दौर में इसकी लोकप्रियता का हाल यह था कि हर रोज़ सौ करोड़ से ज़्यादा लोग इसे रोज़ पढ़ते थे.

हिन्दुस्तान में ‘द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया’ ने  सन् 1950 में सबसे पहले फैंटम स्ट्रिप छापनी शुरू की. इलस्ट्रेटेड वीकली की प्रकाशन कम्पनी बेनेट कोलमैन ने ही सन् 1964 में इन्द्रजाल कॉमिक्स सीरिज़ शुरू की. इस सीरीज़ में पहले अंग्रेज़ी में और फिर दूसरी भारतीय भाषाओं में फैंटम के कॉमिक्स छापने शुरू किए. फिर कई और भारतीय प्रकाशकों ने भी फैंटम कॉमिक्स छापे. इन्द्रजाल कॉमिक्स के शुरूआती 32 अंक केवल फैंटम की कहानियों के ही थे. बाद में इसमें ली फ़ॉक के क़िरदार जादूगर मैण्ड्रक के साथ ही किंग फ़ीचर्स के दूसरे क़िरदार भी छपने लगे.

पहले मैण्ड्रक और फिर फैंटम की सफलता के बावजूद ली फ़ॉक बहुत आश्वस्त नहीं थे. उन्हें लगता था कि यह सब साल-दो साल तक ही चल पाएगा और इन कहानियों की कमाई से उनकी ज़िंदगी कटने वाली नहीं है सो ली फ़ॉक बीस साल तक लगातार थिएटर करते रहे. पांच थिएटर चलाए, सैकड़ों नाटकों का निर्देशन किया, तीन सौ ड्रामा तैयार किए, दर्जन भर ड्रामे लिखे भी. कहते थे कि वह अपनी कॉमिक स्ट्रिप के चित्र ख़ुद बनाने के चक्कर में इसीलिए नहीं पड़े ताकि उन्हें लिखने के लिए ज़्यादा वक्त मिल सके. वह कहते थे कि ड्रामा लिखने का हुनर कॉमिक स्ट्रिप की कहानी लिखने में मदद करता है. कॉमिक की कहानी में वह पूरा परिदृश्य रचते, सीन के ब्योरे के साथ ही एक्शन और पोशाकों के बारे में विस्तार से लिखते. इतना ब्योरा कि उसकी मदद से कोई कैमरामैन भी काम कर सकता था और कॉमिक आर्टिस्ट भी. ली फ़ॉक की आशंका के उलट पूरे साठ साल तक फैंटम और मैण्ड्रक की धूम रही.

28 अप्रैल, 1911 को अमेरिका में के सेंट लुई में ली फ़ॉक का जन्म हुआ था.  बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती ली फ़ॉक अपना ऑक्सीज़न मास्क हटाकर फैंटम की कहानी लिखाते रहे थे. 13 मार्च, 1999 को उनका निधन हो गया.

 

 

 


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