प्रसंगवश | दो गज़ क्यों, दो मीटर की दूरी कहिए न!

  • 11:50 am
  • 4 July 2020

कोरोना काल मे डॉक्टरों से लेकर सरकार तक हर कोई ‘दो गज़’ दूरी बनाए रखने को कह रहा है, मगर क़ानून के मुताबिक दूरी को नापने के लिए ‘गज़’ का इस्तेमाल जुर्म है.

विधिक माप अधिनियम 2009 के अनुसार किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा पोस्टर, विज्ञापन अथवा दस्तावेज़ में मीट्रिक प्रणाली के अलावा नाप-जोख की किसी दूसरी प्रणाली के शब्द का इस्तेमाल क़ानूनन जुर्म है, जिसके लिए दस हज़ार रुपए का जुर्माना या एक साल तक की सज़ा हो सकती है.

दुनिया भर में दूरी या वजन को नापने के लिए अलग-अलग इकाइयों का इस्तेमाल होता है. भारत में क़ानूनन मीट्रिक प्रणाली को अपनाया गया है, जिसमें दूरी को मीटर, किलोमीटर में और वजन को ग्राम, किलोग्राम और टन में नापा जाता है. मीट्रिक प्रणाली सबसे नई और वैज्ञानिक पद्धति है, क्योंकि यह दशमलव पर आधारित है. दूसरी पद्धतियां जिसमें दूरी को फ़ुट, इंच और वजन को पाउंड में नापा जाता है, वैज्ञानिक गणना के लिए उतनी अच्छी नहीं मानी जातीं.

भारत में ब्रिटिश राज के समय के फ़ुट और यार्ड, मुगलों के समय का ‘गज़’ अब तक बोलचाल में इस्तेमाल होता है. लेकिन आधिकारिक दस्तावेज़ में इसका इस्तेमाल जुर्म क़रार दिया गया है. ख़रीद-फरोख़्त या दस्तावेज़ में सिर्फ़ मीटर में ही बात की जा सकती है.

भारत में ऐसा इंच टेप भी नहीं बेचा जा सकता, जिसमें इंच के साथ मिलीमीटर और सेंटीमीटर न दिखाए गए हों. ऐसे निर्माताओं-दुकानदारों पर मुक़दमे क़ायम हुए हैं.

कुछ समय पहले कैडबरी चॉकलेट बनाने वाली कंपनी पर कर्नाटक के एक शख़्स ने मुक़दमा दायर कर दिया था. कैडबरी चॉकलेट के विज्ञापन में एक मॉडल अपने पिता की पतलून छोटी कराने आता है, और दर्ज़ी से कहता है कि इसे चार अंगुल छोटी कर दो. कन्नड़ में अंगुल का मतलब इंच होता है. कैडबरी पर मुक़दमा क़ायम हुआ. कैडबरी के वकील ने सफ़ाई दी कि चॉकलेट लंबाई में नहीं बेची जाती और यह सिर्फ़ एक विज्ञापन है, जिसमें मज़ाहिया अंदाज़ में बात कही गई है. मगर अदालत ने उनकी बात नहीं मानी और उन्हें जुर्माना भरना पड़ा.

यह सच है कि विपदा के समय छोटी-मोटी बातों पर ध्यान नहीं जाता, इसलिए प्रधानमंत्री से लगाकर कलेक्टर तक सभी लोग इस शब्द का इस्तेमाल करते रहे. मगर ग़लत तो फिर भी ग़लत ही है.

हमें उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए, जिन्होंने इस क़ानून के तहत जुर्माना भरा, जेल काटी. अब, जब कि सरकार ख़ुद इस तरह के शब्द इस्तेमाल कर रही है तो उन पर क्या बीतती होगी?

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