बोली-बानी | क्षिप्रा किनारे के मौसम का हाल मालवी में
उज्जैन में लगातार पानी बरस रहा है. इतना बरसा है कि क्षिप्रा ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है. शहर के कई पुराने मोहल्लों में घरों की पहली मंज़िल तक पानी पहुँच गया है. लोगों को वहाँ से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुँचाया जा रहा है. मौसम और शहरियों के मिजाज़ के बारे में दिनेश ‘दिल मिला के’ की यह टीप मालवी ज़बान में…
अपने यांपे ‘बारिश’ को बारिश नी केते है,
बल्कि ‘पानी’ आना या भराना केते हैं.
ये मौसम लपक गर्मी के बाद आता है,
इसके वास्ते इसका महत्व भयानक बढ़ जाता है.
अपने याँ बारिश की जित्ती खबर मौसम विभाग से नी मिलती हैं
उत्ति रमुच तो चौराए पे चाय और भजिये की दुकान से मिल जाती हैं.
ऐसे पड़ते पानी मे हमारी गुवाड़ी वाले सबसे ज्यादा भजिये ने भुट्टे खाते है,
और बापडे़ बत्ती विभाग वाले सबसे ज्यादा गाली.
साल भर मे इसी टेम पे मोरी मे गिन्डोले ओन दर्सन देते हैं.
अपने याँ 10 इंच से ज्यादा के पानी को ‘घुटने तक’ ही बोला जाता है.
अपने याँके वो होस्यार लोग, जो साल भर रोज़ मोटर चल्लू करके कार धोते हैं,
वोई लोग ओन वाटर हार्वेस्टिंग कित्ता जरूरी है पे चर्चा, इसी टेम करते हैं.
येई वो टेम है
जब नदी में बाढ़ आती हैं तो उसे नद्दी पुर आना केते है.
जब नद्दी पुर आती है तो मोहल्ले वाले बड़े पुल पर जमके सेल्फी खीच के
मौसम स्टेटस के साथ फेस्बुक पे फोटू और नये छोरा छोरी टिक टाक वीडियो डालते हेंगे.
इसी मोसम मे ये निम्नलिखित डाईलाग सुने जाते हैं-
ये कचड़ घान किन्ने किया, अभी पोछा लगाया है मैने.
काले बद्दल हो गिये,
अब बत्ती वाले बत्ती देंगे,
पानी लपक गिरेगा पेलवान,
मेरे बाऊ जी के गोडे दुख रिये थे कल भोत…
बेसन हेगा कि नी घर मे…?
ऐं, ये तो कई नी है,
मेरे याँ घुटने तक पानी भरा गया.
मुकेस के याँ देख तो लाइट है कि नी,
रमेस थारी छतरी दे तो थोड़ी सी,
भिया,
बारिश के मजे पे जीत्ती बात करना है, करलो
मुंडा दुख जायेगा,
जगो कम पड़ जायेगी,
पर बात खतम नी होएगी.
तुम को भी कुछ याद आ रिया हो कमेंट कर ने के टाइम हेड़ लेना.
चला कई
निकल रिया हूं नद्दी पुर देखने…
*रमुच यानी सट्टे के नंबर की भविष्यवाणी.
*गुवाड़ी याने जहां बहुत से लोग किराए से रहते हैं.
*भविष्यवाणी करने को आजकल रमूच कहते है.
फ़ोटो | दिनेश रावल
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