विजेता डोमिनिक थियम ने कहा – जीत के हक़दार तो दोनों ही

– यों कुछ मैच ऐसे होते हैं, जिनमें कोई हारता नहीं –
बात अगस्त, 2017 की है. ग्लासगो के एमिरेट्स एरीना में बैडमिंटन विश्व कप का फ़ाइनल भारत की पीवी सिंधु और जापान की नोजोमी ओकुहारा के बीच खेला गया था. इस मैच में नोजोमी ने सिंधु को 21-19, 20-22, 22-20 से हरा दिया. लेकिन जो भी ये मैच देख रहा था उसे लगा था कि इसमें कोई हारा तो है ही नहीं, निर्णय हुआ ही कहाँ कि कौन श्रेष्ठ तो फिर ये ख़त्म क्यों हो गया, क्यों दो खिलाड़ी हाथ मिलाते हुए मैदान से विदा ले रहे हैं, एक मुस्कुराते चेहरे और शहद से मीठे पानी से डबडबाई आँखों के साथ तो दूसरा उदास चेहरे और खारे पानी में डूबी आँखें लिए. सच में, कुछ मैच ऐसे होते हैं, जिनमें कोई हारता नहीं है. ऐसे में या तो दोनों खिलाड़ी जीतते हैं या फिर खेल जीतता है.

बीते रविवार को फ्लशिंग मीडोज़ में बिली जीन किंग टेनिस सेंटर के आर्थर ऐश सेन्टर कोर्ट में यूएस ओपन 2020 के पुरुष एकल के फ़ाइनल में 27 साल के ऑस्ट्रिया के डोमिनिक थियम ने जर्मनी के 23 वर्षीय अलेक्जेंडर ज्वेरेव को 2-6, 4-6, 6-4, 6-3, 7-6(8-6) से हरा कर अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीत लिया. चार घंटे चार मिनट की कड़ी मेहनत के बाद दोनों की ही आंखों में पानी था. फ़र्क़ सिर्फ़ जीत की मिठास और हार के खारेपन का था. और जिसने ग्लासगो के बाद ये मैच देखा होगा, उसने यही सोचा होगा ऐसे हार-जीत थोड़े ही न होती है. और ऐसा दर्शक क्या, ख़ुद थियम भी सोच रहे थे. मैच के बाद वक्तव्य में उन्होंने कहा ‘काश दो विजेताओं का प्रावधान होता. दोनों ही जीत के हक़दार थे.’ दरअसल ये शानदार मैच उन लोगों के लिए एक झलक भर है, जो यह बात जानना चाहते हैं कि ‘अद्भुत तिकड़ी ‘(फेडरर, नडाल, जोकोविच) के बाद का विश्व टेनिस का परिदृश्य कैसा होगा.

एक स्पोर्ट्स न्यूज़ पोर्टल ने लिखा 1990 के बाद जन्मे खिलाड़ी द्वारा जीता गया यह पहला ग्रैंड स्लैम है. यह बताता है कि यह कितनी बड़ी बात है. दरअसल 21वीं शताब्दी के पहले दो दशकों का और विशेष रूप से पिछले 15 वर्षों का विश्व टेनिस का पुरुषों का इतिहास केवल तीन खिलाड़ियों-फेडरर, नडाल और जोकोविच के रैकेट से लिखा गया है. इनको विस्थापित करने खिलाड़ी आए और चले गए पर ये तीनों चट्टान की तरह जमे रहे. समय और उम्र से बेपरवाह कालजयी की तरह. इस समय फेडरर 39 साल के, राफा 34 साल के और नोवाक 33 साल के हैं. इस यूएस ओपन से पहले के 13 ग्रैंड स्लैम ख़िताब इन तीनों ने जीते हैं. यानी पिछले तीन साल से इन तीनों के अलावा कोई और ग्रैंड स्लैम नहीं जीत पाया है. यहां उल्लेखनीय यह भी है कि पिछले 67 ग्रैंड स्लैम ख़िताबों में से 56 इन तीनों ने जीते हैं. यह अद्भुत है और अविश्वसनीय भी. थिएम, ज्वेरेव, सिटसिपास, मेदवेदेव, रुबलेव और किर्गियोस जैसे युवा खिलाड़ी लगातार हाथ-पैर मार रहे हैं, छटपटा रहे हैं, पर इन तीनों से पार नहीं पा रहे हैं. यहां उल्लेखनीय यह भी है कि फेडरर ने अपना पहला ग्रैंड स्लैम केवल 22वें साल में, नडाल ने 19वें साल में और जोकोविच ने 21वें साल में जीत लिया था.

इस साल यूएस ओपन में फेडरर ने अपने घुटने के आपरेशन के कारण और नडाल ने कोरोना के चलते सुरक्षा कारणों से भाग नहीं लिया और यह माना जा रहा था कि जोकोविच के लिए यह वॉक ओवर जैसा है. जोकोविच इसे जीतकर अपने ग्रैंड स्लैम खिताबों की संख्या 18 तक पहुंचा देंगे और ग्रैंड स्लैम की रेस को कड़ा और रोचक कर देंगे. पर नियति को यह मंज़ूर नहीं था. नहीं तो जोकोविच यूं प्रतियोगिता से बाहर न होते. प्री-क्वार्टर फ़ाइनल में वे अनजाने में लाइन जज को गेंद मार बैठे और डिसक्वालिफाई हो गए. अब युवा खिलाड़ियों के लिए यह प्रतियोगिता पूरी तरह खुल गई थी. कोई भी बाज़ी मार सकता था. बाज़ी मारी अलेक्जेंडर ज्वेरेव और डॉमिनिक थियम ने और दोनों फ़ाइनल में पहुंचे.

जोकोविच के प्रतियोगिता से बाहर हो जाने के बाद युवा खिलाड़ियों का संघर्ष अलग स्तर पर पहुंच गया, जिसका चरम फ़ाइनल था. इससे पहले थियम तीन ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल खेलकर हार चुके थे, दो बार फ्रेंच ओपन में नडाल से और इस साल ऑस्ट्रेलिया ओपन में एक मैराथन मैच में जोकोविच से. थियम के पास न केवल तीन ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल का अनुभव था बल्कि इस प्रतियोगिता में अब तक उनका शानदार खेल रिकॉर्ड भी था. वे अभी तक खेले गए छह मैचों में केवल एक सेट हारे थे और उनके खेल में एक निरंतरता और स्थायित्व था. दूसरी ओर ज्वेरेव का यह पहला ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल था. शानदार सर्विस, पावरफुल और नियंत्रित बैकहैंड शॉट और लंबी रैली के लिए जाने जाने वाले 6 फ़ीट 6 इंच लंबे ज्वेरेव के खेल में ख़ासा अस्थायित्व है. वे पैचेज में बहुत अच्छा खेलते हैं तो बहुत ख़राब भी. इसे उनके इस प्रतियोगिता में फ़ाइनल तक के सफर को देखकर अच्छी तरह से समझा जा सकता है.

रविवार को अपने पहले ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल में अपनी बेहतर सर्विस के बूते ज्वेरेव ने शानदार शुरुआत की. पहला सेट 6-1 से और दूसरा 6-4 से जीत लिया. लगा उनका जितना महज औपचारिकता है. पर ऐसा था नहीं. जब स्कोर दूसरे सेट में 5-1 ज्वेरेव के पक्ष में था तभी थियम ने वापसी की हालांकि उनकी वापसी देर से हुई और वे दूसरा सेट 4-6 से हार गए. लेकिन वे लय पा चुके थे और अगले दो सेट थियम ने 6-4 और 6-3 से जीत लिए. अब लगा थियम जीत जाएंगे. पर असली संघर्ष अब होना था. एक बार फिर बढ़त ज्वेरेव ने ले ली 5-3 से. और अब वे चैंपियनशिप के लिए सर्व कर रहे थे. लेकिन वे दबाव में अपनी सर्विस बरकरार नहीं रख सके. थियम ने सर्विस ब्रेक की और सेट अंततः टाईब्रेक में पहुंचा. दरअसल यहां ज्वेरेव की सर्विस भर ब्रेक नहीं हुई थी उनका सपना भी ब्रेक हुआ था और मंज़िल तक के सफ़र पर ब्रेक भी लगा था. थियम ने टाईब्रेक 8-6 से जीतकर न केवल अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता बल्कि यूएस ओपन को एक नया चैंपियन दिया. यूएस ओपन को 2014 में क्रोशिया के मारिन सिलिच के छह साल बाद थिएम के रूप में एक नया चैंपियन मिल रहा था.

तो क्या डोमिनिक थियम की इस जीत को टेनिस इतिहास में एक नए युग की शुरुआत माना जाए, नए युग की दस्तक, उसकी आहट. जाने-माने खेल पत्रकार मैथ्यू फुटरमैन लिखते है, ‘टेनिस में कभी-कभी ऐसे अप्रत्याशित चैंपियन आते हैं, विशेष रूप से दो युगों के बीच के संक्रमण काल में जब महान खिलाड़ियों के एक समूह का अवसान हो रहा होता है और नए खिलाड़ियों के दूसरे समूह का उदय होना बाकी होता है. ऐसे में जो खिलाड़ी एक बार ग्रैंड स्लैम जीत लेता है वो दोबारा कभी नहीं जीत पाता. 2002 में ऑस्ट्रेलियन ओपन स्वीडन के थॉमस जॉनसन ने जीता था जब आंद्रे अगासी अवसान की ओर थे और फेडरर का आगमन नहीं हुआ था, नडाल के क्ले के बादशाह बनने से एकदम पहले अर्जेंटीना के गस्टोन गौडीओ ने फ्रेंच ओपन जीता था, फेडरर के लगातार पांच बार चैंपियन बनने से एकदम पहले 2001 में गोरान इवनोसेविच ने और 2002 में लेटिन हेविट ने विंबलडन जीता था और फेडरर द्वारा लगातार पांच बार जीतने से एकदम पहले 2003 में एंडी रोडिक ने यूएस ओपन जीता था. तो यह (थियम की जीत) नए के आगमन का प्रतीक भी हो सकती है और एक असामान्य वर्ष में फेडरर, नडाल व जोकोविच की अनुपस्थिति से उपजा महज एक संयोग भी. ये डोमिनिक थिएम बताएंगे.’

लेकिन निकट भविष्य में कुछ बदलेगा, ऐसा लगता नहीं. 39 साल की उम्र में भी फेडरर युवाओं की तरह खेल रहे हैं. उनका सन्यास लेने का कोई मन अभी नहीं है. वे भले ही जोकोविच और नडाल को नहीं हरा पा रहे हो पर अभी भी नए खिलाड़ियों के लिए उनसे पार पा पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है और वे किसी भी उदीयमान खिलाड़ी की पार्टी ख़राब करने का माद्दा रखते हैं. अगले दो ग्रैंड स्लैम हैं इस महीने के अंत में होने वाला फ्रेंच ओपन और जनवरी में ऑस्ट्रेलियन ओपन. इस समय नडाल लाल बजरी के बेताज बादशाह हैं और जोकोविच नीली सतह पर अजेय लगते हैं. ये दोनों प्रतियोगिता बहुत कुछ तय करेंगी टेनिस का आसन्न भविष्य.

फिलहाल तो इंतज़ार कीजिए और नए चैंपियन को बधाई दीजिए. तो हमारी भी बहुत बधाई डोमिनिक थिएम को.

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