डॉ. बुशरा अतीक़ को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार

कानपुर आईआईटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बुशरा अतीक़ को चिकित्सा विज्ञान श्रेणी में इस वर्ष के शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया है. डॉ.बुशरा ने प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर के कारणों और इसके इलाज में दी जाने वाली दवाओं पर कई शोध किए हैं. यह पुरस्कार बायोलॉजी, केमिस्ट्री, फ़िजिक्स, पर्यावरण विज्ञान, इंजीनियरिंग, गणित और मेडिसिन के क्षेत्र में असाधारण शोध करने वाले ऐसे वैज्ञानिकों को दिए जाते हैं, जिनकी उम्र 45 वर्ष से कम है. सन् 2020 के लिए चुने गए बारह वैज्ञानिकों में डॉ.बुशरा भी शामिल हैं.
आईआईटी के डायरेक्टर प्रो.अभय करंदीकर के एक ट्वीट में कहा गया है कि डॉ.बुशरा की हालिया खोज प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों को पहले चरण में दी जाने वाली एंड्रोजन डिप्रिवेंशन थेरेपी पर आधारित है. डॉ.बुशरा ने अपने शोध-निष्कर्ष में बताया है कि प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों को एंटी-एंड्रोजन दवाएं लंबे समय तक दिया जाना नुकसानदेह हो सकता है.
डॉ.बुशरा अतीक़ सन् 1995 से 2003 तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की विद्यार्थी रही हैं. ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने ज़ूलॉजी में पीएचडी एएमयू से की है. 2009 में उन्हें जेनेटिक पोस्ट डॉक्टरल अवार्ड, 2010 में यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड, 2011 में अमेरिकन रिसर्च एसोसिएशन फ़ॉर कैंसर रिसर्च की ओर से कैंसर रिसर्च स्कॉलर अवार्ड और 2013 में रामानुजन फेलोशिप अवार्ड भी मिला है.
इन दिनों वह कानपुर आईआईटी के बायोकेमिकल साइंस एण्ड बायोइंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं.
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