महिला दिवस | मरयम मीरज़खानी की याद

मरयम मीरज़खानी पहली ईरानी महिला थीं जिन्हें साल 2014 में गणित के क्षेत्र का सबसे बड़ा सम्मान फिल्ड्स मैडल मिला था. उनका जन्म 3 मई, 1977 को ईरान के तेहरान शहर में हुआ था. जुलाई, 2017 में 40 वर्ष की उम्र में ब्रेस्ट केंसर के कारण मरयम का देहांत हो गया. मरयम ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 2004 में अपनी पीएचडी पूरी की थी. उनके शोध का मुख्य विषय था – वेइल-पीटरसन वॉल्यूम्स में प्रयुक्त होने वाले रिएमान सतहों की गणना किस तरह की जाए. मरयम का यह इंटरव्यू ‘द गार्डियन’ में 14 अगस्त, 2014 को छपा था, जब उन्हें फिल्ड्स मेडल दिए जाने की घोषणा की गई. आज महिला दिवस के मौक़े पर मरयम मीरजख़ानी के योगदान को याद करते हुए यह बातचीत फिर पढ़वाने का एक आशय यह भी है कि सामान्यत: गणित को लेकर जो डर है वो दूर हो. ज्यादा से ज्यादा लोग गणित से दोस्ती कर पाएं और गणित की रोचक दुनिया से जुड़ें.

  • गणित से जुड़ी आपकी सबसे पुरानी यादें कौन सी हैं ?
  •  जब मैं छोटी थी तो लेखक बनने का सपना देखती थी. मैं ख़ाली समय में उपन्यास पढ़ती थी. बल्कि यह कहना ठीक होगा कि मुझे जो कुछ मिलता था, वो सब कुछ पढ़ जाती थी. अपने हाई स्कूल के आख़िरी साल के पहले तक मैंने कभी भी गणित के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के बारे में नहीं सोचा था. मैं उस परिवार में पैदा हुई, जहाँ मेरे तीन भाई-बहन थे. मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया. बेशक, उन्होंने इस बात को महत्व दिया कि उनके बच्चे एक अर्थवान और संतोषजनक पेशा चुने लेकिन वो सफलता और उपलब्धियों को लेकर बिल्कुल भी चिन्तित नहीं थे. ईरान-ईराक युद्ध के कारण ये मुश्किल दिन थे. इसके बावजूद मुझे अच्छा माहौल मिला. मेरे बड़े भाई पहले आदमी थे, जिनके कारण विज्ञान में मेरी रुचि पैदा हुई. वो जो कुछ भी स्कूल में सीख कर आते थे, मुझे लगातार बताते थे. गणित से जुड़ी मेरी सबसे पहली स्मृति यह है कि जब मेरे भाई ने 1 से लेकर 100 तक के तमाम अंकों को जोड़ने के समाधान के बारे में बताया था. शायद उन्होंने ये समाधान किसी मशहूर विज्ञान पत्रिका में पढ़ा था कि किस तरह गॉस ने इस समस्या का समाधान निकाला था. उस समस्या के समाधान ने मुझे बहुत प्रभावित किया. यह मेरी ज़िंदगी में पहली बार था, जब मैंने किसी अद्भुत समाधान को देखा था. भले ही मैंने इसे नहीं खोजा था.
  • वे कौन से अनुभव और लोग थे, जिन्होंने आपको गणित की शिक्षा के लिए विशेष रूप से प्रभावित किया?
  • मैं कई मामलों में बहुत भाग्यशाली थी. जैसे ही मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की ठीक उसी समय ईराक-ईरान युद्ध ख़त्म हुआ. अगर मैं दस साल पहले पैदा हुई होती तो शायद मुझे वो तमाम अवसर नहीं मिलते, जो मुझे उन दिनों मिले. मुझे तेहरान के एक बहुत अच्छे स्कूल (फर्ज़ानेगन) में पढ़ने का मौका मिला. इस स्कूल के शिक्षक बहुत अच्छे थे. मैं अपनी दोस्त रोया बेहेष्टि से मिडिल स्कूल के पहले सप्ताह के दौरान मिली. आपके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है कि आपके पास कोई दोस्त हो, जिसकी रुचि और सोच आपसे मिलती-जुलती है. इस तरह के दोस्त आपको लगातार ताक़त देते हैं. तेहरान में हमारा स्कूल उस सड़क के पास था जहाँ किताबों की बहुत सारी दुकानें थी. मुझे अब भी याद है कि किस तरह से भीड़-भाड़ वाली सड़क पर चलना और किताब की दुकानों तक जाना हमें उत्सुकता से भर देता था. आज के लोगों की तरह हम किताबों को सरसरी निगाह से नहीं देख पाते थे और आख़िर में कई सारी किताबें खरीद कर लाते थे. साथ ही, हमारे स्कूल की प्रिंसिपल एक दृढ निश्चयी महिला थीं, जो इस बात को लेकर बहुत उत्साही थीं कि हम लड़कियों को लडकों के बराबर तमाम अवसर मिलें. इसके बाद मैंने मैथ्स ओलिंपियाड में भाग लेना शुरू किया, जिसने मुझे कई मुश्किल सवालों के बारे में सोचना सिखाया. बचपन से ही मुझे मुश्किल सवाल अपनी तरफ खींचते थे. लेकिन सबसे ज़रूरी बात, शरीफ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए मुझे कई अच्छे गणितज्ञ और दोस्त मिले. मैंने जितना ज़्यादा समय गणित को दिया, उतना ही ज़्यादा इस विषय को लेकर उत्सुक होती गई.
  • गणित की शिक्षा को लेकर क्या आपको ईरान और अमेरिका में कोई अंतर दिखता है?
  • इस सवाल का ज़वाब देना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है क्योंकि अमेरिका में गणित की शिक्षा को लेकर जो मेरे अनुभव हैं, वो कुछ विश्विद्यालयों तक ही सीमित हॉं. अमेरिका में हाई स्कूल के स्तर पर जो शिक्षा दी जा रही है, उसके बारे में बहुत कम जानती हूँ. फिर भी, ईरान में जिस तरह की शिक्षा दी जा रही है, उसके बारे में कह सकती हूँ कि शायद उस तरह की शिक्षा की कल्पना यहाँ अमेरिका में लोग नहीं कर पाते. एक स्नातक विद्यार्थी के तौर पर मुझे कई बार अमेरिका में ये समझाना पड़ा है कि लड़की होने के बावजूद मुझे ईरान में विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ने को लेकर कोई पाबंदी नहीं थी. यह सच है की ईरान में हाई स्कूल तक लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल की व्यवस्था है. इसके बावजूद बच्चे ओलिंपियाड या समर कैम्प्स में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. लेकिन ईरान और अमेरिका की शिक्षा पद्धति में कई अंतर हैं. जैसे, ईरान में आपको कॉलेज से पहले ही अपना मुख्य विषय चुनना होता है और विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा का आयोजन होता है. इसके अलावा कम से कम मेरे कॉलेज का ध्यान ख़ास तौर से समस्यायों के समाधान पर था, बजाए इसके कि बच्चों को नए-नए पेशेवर विषय पढ़ाये जाएं.
  •  अपने शिक्षा के दौरान वो कौन से सवाल थे जिन्होंने आपको सबसे ज़्यादा आकर्षित किया?
  •  जब मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी गई तो मेरी ज्यादातर पृष्ठभूमि कोम्बिनाटोरीक्स और अलज़ेब्रा की थी. कठिन सवालों को सुलझाना मुझे शुरू से ही अच्छा लगता था. पर उन सवालों के बारे में ज़्यादा नहीं जानती थी. अब उन सवालों के बारे में सोचते हुए लगता है कि उनके बारे में मेरे पास कोई संकेत नहीं था. मुझे और भी कई विषयों के बारे में सीखना पड़ा. मैंने कुर्त मैकमुल्लेन द्वारा आयोजित किए जाने वाले सेमिनार में जाना शुरू किया. अधिकतर समय ये होता था कि वक्ता द्वारा कहा जाने वाला एक भी शब्द मेरे समझ में नहीं आता था. लेकिन डॉ. कुर्त द्वारा दिए जाने वाले कुछ टिप्पणियों को समझ पाती थी. इस बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया कि कैसे वो कई सवालों को आसान और सहज बना देते थे. तो, फिर मैंने उनसे लगातार सवाल पूछना शुरू किया और उन सवालों के बारे में सोचने लगी जो उन ज़रूरी चर्चाओं से निकलकर आए थे. उनके उत्साहवर्धन को मैं कभी नहीं भूल सकती. डॉ.कुर्त के साथ काम करते हुए मैं उनसे बहुत प्रभावित हुई. अब मुझे लगता है की काश मैं उनसे और ज़्यादा सीख पाई होती. स्नातक करते हुए मेरे दिमाग़ में कई विचार थे जिनको लेकर मैं काम करना चाहती थी.
  • क्या आप आसान शब्दों में अपने शोध के बारे में बता सकती हैं? इसका दूसरे क्षेत्रों में किस तरह से उपयोग हुआ है?
  • अधिकतर समस्याएँ जिन पर मैंने काम किया है वो ज्योमेट्रीक सरंचनाओं और उनके विरूपण (बिगड़े रूप से) जुड़ा हुआ है. विशेष तौर से मेरी दिलचस्पी हाइपरबोलिक सतहों को समझने में है. मेरा शोध थियोरेटिकल फ़िज़िक्स, टोपोलॉजी और कोम्बिनाटोरिक्स से भी जुड़ा हुआ है. मुझे ये दिलचस्प लगता है कि एक ख़ास समस्या को कई तरीक़ों से देखा जा सकता है और उसे सुलझाने के लिए कई विधियाँ हैं.
  • शोध के दौरान आपको सबसे ज़्यादा ख़ुशी या कुछ पाने वाला क्षण कौन-सा होता है?
  • बेशक, वो क्षण सबसे ज़्यादा ख़ुशी देने वाला होता है, जब भीतर से “अहा!” की आवाज़ आती है. ये कुछ नया खोजने और समझने की ख़ुशी है. यह कुछ इस तरह का अहसास है जैसे की आप किसी पहाड़ के सबसे ऊंचाई वाले हिस्से पर खड़े हों और आप दूर-दूर तक साफ़ देख पा रहे हैं. लेकिन ज्यादातर समय गणित के साथ रहना कभी न ख़त्म होने वाले पैदल यात्रा की तरह है जब दूर-दूर तक कुछ नहीं दिखता. गणित के दूसरे पृष्ठभूमि (बैकग्राउंड) से आए हुए अपने सहकर्मियों से लगातार चर्चा करना, आगे बढ़ने का सबसे अच्छा रास्ता है.
  •  जो लोग गणित के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं उन्हें आप क्या सलाह देना चाहती हैं? साथ ही गणित विषय की समाज में क्या भूमिका है?
  • यह एक मुश्किल सवाल है. ये ज़रूरी नहीं कि सारे लोग गणितज्ञ बने लेकिन मुझे लगता है कि ऐसे कई विद्यार्थी हैं जो गणित को पर्याप्त समय नहीं देते. अपने मिडिल स्कूल के दौरान गणित विषय में मेरा प्रदर्शन बुरा था और इस विषय के बारे में मैं उस समय सोचना तक नहीं चाहती थी. पर समय के साथ इस विषय में मेरी दिलचस्पी बढ़ी. मैं इस बात को समझ सकती हूँ कि बिना उत्सुकता के गणित एक उबाऊ और बासी विषय लग सकता है. अगर आपको गणित की सुन्दरता को देखना है तो पूरे धैर्य से इसके साथ बने रहिए.

(इस इंटरव्यू का पुन:प्रकाशन क्ले मैथमेटिक्स इंस्टीट्यूट, अमेरिका की अनुमति से)
साभार | द गार्डियन: 14 अगस्त, 2014

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