पंजाब | एक दिन में तीन लोगों ने जान दे दी

  • 4:35 pm
  • 28 May 2020

महामारी और फिर लॉकडाउन के बाद बेतहाशा बढ़ी बेरोजगारी लोगों को मानसिक रूप से तोड़ने लगी है. ख़ुदक़ुशी के कुछ मामले इसी का संकेत देते हैं. 26 मई को पंजाब पुलिस ने ख़ुदक़ुशी के तीन ऐसे मामले दर्ज किए है, जो साफ़ तौर पर लॉकडाउन और उससे वाबस्ता बेरोजगारी की देन हैं. दो मामले लुधियाना के हैं और तीसरा पटियाला का, जहां एक मजदूर ने अपनी जान दे दी. चार और जगहों से आत्महत्या की कोशिश की ख़बरें आई हैं. पंजाब में इससे पहले भी लॉकडाउन के दौरान बीस लोग खुदकुशी कर चुके हैं और पचास से ज्यादा लोग ऐसी कोशिश. ये ऐसे मामले हैं, जो पुलिस की जानकारी में आ सके.

लुधियाना के एक निजी बैंक के गोल्ड लोन विभाग में काम करने वाले 35 वर्षीय रवीश कुमार ने ख़ुदक़ुशी कर ली. पहले बैंक के बाहर बैठकर उन्होंने बाक़ायदा अपनी वीडियो बनाई और देर शाम को नहर में कूदकर जान दे दी. वीडियो में उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान बैंक ने उन्हें नौकरी से जवाब दे दिया था. उनको टर्मिनेशन लेटर भी नहीं दिया गया और न ही बकाया तनख़्वाह. अपने घर के हालात का वास्ता देकर उन्होंने अपना बकाया मांगा लेकिन प्रबंधन ने एक न सुनी. वीडियो में रवीश ने कहा है कि वह इन हालात से परेशान होकर जान देने जा रहे हैं. इसी वीडियो में रवीश ने अपने दोस्तो और सगे-संबंधियों से बूढ़े माता-पिता का ख़्याल रखने का आग्रह किया, साथ ही उन्हें राशन मुहैया कराने को भी कहा. देर शाम बस्ती जोधेवाल के न्यू सुभाष नगर के रहने वाले रवीश का शव नहर से बरामद हुआ.

रवीश की मां शशि के अनुसार उन्हें भी फोन पर कहा था कि इन बदतर हालात का वह सामना नहीं कर पा रहे हैं. इसके बाद घर वाले ढूंढ़ने निकले तो नहर के किनारे मोटरसाइकिल और दूसरा सामान मिला और बाद में उनकी लाश. साहनेवाल के एसएचओ इंद्रजीत सिंह ने इस बात की पुष्टि की है कि लॉकडाउन के दौरान पैदा हुए हालात के चलते रवीश आर्थिक बदहाली में थे और इसीलिए ख़ुदक़ुशी की. बैंक के दो अफ़सरों के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
लुधियाना में महासिंह नगर के 52 वर्षीय श्यामलाल ने 26 मई को तड़के अपने घर में फंदा लगा लिया. काम-धंधा चौपट होने से आज़िज़ श्यामलाल के घर वालों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जमा-पूंजी ख़त्म होने के बाद अब फ़ाके की नौबत आ गई थी. घर का मुखिया होने के नाते श्यामलाल अपने घर वालों की भूख बर्दाश्त नहीं कर सके. ऐसे में अपनी जान देने के अलावा उन्हें कुछ और नहीं सूझा.

पटियाला की घन्नौर अनाज मंडी में एक प्रवासी मजदूर ने फंदा लगाकर जान दी. 19 साल का गोविंद प्रसाद इन दिनों बेरोजगार था. राजपुरा में मजदूरी करने वाले गोविंद के पिता राज बली ने बताया कि काम नहीं मिलने की वजह से उनका बेटा इन दिनों बेहद परेशान था. 26 मई को घन्नौर से फ़ोन आया कि उनके बेटे ने फंदा लगाकर ख़ुदक़ुशी कर ली है. अपने भतीजे को साथ लेकर जब वह वहां पहुंचे तो देखा कि बेटे ने गले में तार डालकर फंदा लगा लिया था. उनके परिवार ने घर वापस लौटने के लिए पंजीकरण करा रखा था.
फरीदकोट, बठिंडा, लुधियाना और तरनतारन में 26 मई को चार लोगों ने खुदकुशी की कोशिश की. इनमें एक महिला भी शामिल है. यह आत्मघाती क़दम उठाने की वजह आर्थिक तंगी है.

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