फ़ोटोग्राफ़ी | ग्रहण की तस्वीरें बनाने का पहला तजुर्बा

बरेली | हाल के दिनों सूर्यग्रहण के बारे में छपने वाली ख़बरों में यह भी पढ़ता रहा कि भारत में ऐसा सूर्यग्रहण अब 25 अक्टूबर 2022 को ही पड़ेगा. मैंने अब तक सूर्यग्रहण नहीं देखा था तो ग्रहण की तस्वीरें बनाने का भी कोई तजुर्बा नहीं था. ऐसी तस्वीरें बनाने के बारे में मुझे इतना भर मालूम था कि मेरे कैमरा लेंस पर एनडी (न्यूट्रल डेंसिटी) फिल्टर ज़रूर लगा होना चाहिए ताकि सूरज की रोशनी का ताप और उसकी तीव्रता इतनी मद्धिम हो जाए कि व्यूफ़ाइंडर में झांककर सूरज की तरफ़ देखा जा सके.

इसे ही ध्यान में रखते हुए आज जब मैंने ग्रहण की तस्वीरें बनाने के बारे में सोचा तो कैमरा लेंस के एन.डी.फ़िल्टर के साथ ही एहतियातन अपने लिए यूवी 400 प्रोटेक्शन वाला चश्मा और सनग्लास भी साथ रखे ताकि आंखों को विकिरण से बचाया जा सके.

हालांकि आज सवेरे से ही आसमान बादल से ढंका हुआ था और मैं संशय में था कि ग्रहण देख भी सकूंगा या नहीं. यों अपनी ओर से मैंने सारी तैयारी कर रखी थी. और क़रीब चार घंटे लगाकर मैंने सचमुच नया तर्जुबा हासिल किया. ये तस्वीरें मेरा वही अनुभव हैं. मैं 100-400 मिमी का ज़ूम इस्तेमाल कर रहा था, मगर सारी तस्वीरों में एक ही फ़ोकल लेंथ का इस्तेमाल किया. एक जगह रुककर थोड़ी-थोड़ी देर के अंतराल पर तस्वीरें बनाने के बाद सूरज को ढांकते चंद्रमा की गति के मुताबिक कैमरे की जगह बदलता रहा. एक्सपोज़र के ब्योरे में दिलचस्पी रखने वालों के लिए कैमरा सेंटिंग साझा करना मुनासिब समझता हूं – न्यूनतम आईएसओ, 1/3200 और एफ़/40.

गर्मी और तेज़ उमस के बीच चार घंटे की मेहनत के नतीजे से मुझे संतोष है. हां, तकनीकी जानकारी अपनी जगह पर ऐसे मौक़ों पर धैर्य बहुत काम आता है.


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