बरेली के डॉ.बृजेश्वर को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड

  • 11:53 pm
  • 19 February 2021

बरेली | उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कारों की बृहस्पतिवार को घोषणा हुई. नाट्य कला उन्नयन के लिए यह पुरस्कार बरेली के सर्जन और विंडरमेयर थिएटर फ़ेस्टिवल के संस्थापक डॉ.बृजेश्वर सिंह को मिला है.

बरेली में रंगकर्म का परिदृश्य बदलने के श्रमसाध्य उद्यम का श्रेय डॉ.बृजेश्वर को है. पिछले क़रीब डेढ़ दशकों से बरेली में रंगकर्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने और युवाओं को मंच और प्रशिक्षण के मौक़े मुहैया कराने में उनकी सक्रियता का नतीजा बरेली थिएटर फ़ेस्टिवल की निरंतरता और हर साल उसका बेहतर होता स्तर है. पिछले वर्ष महामारी के चलते आए व्यतिक्रम के सिवाय यह फ़ेस्टिवल पिछले तेरह वर्षों से लगातार होता आया है.

थिएटर फ़ेस्टिवल के अलावा शहर में समय-समय पर होने वाली साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना ‘विंडरमेयर’ और रंगविनायक रंगमंडल उनकी ही सोच और पहल का नतीजा है. नई पीढ़ी को रामलीला से वाक़िफ़ कराने के इरादे से उन्होंने ढ़ाई घंटे में रामायण के मंचन के बारे में कल्पना की और इसे हक़ीकत भी बनाया. विंडरमेयर ब्लैकबॉक्स थिएटर में पिछले दो वर्षों से रंगमंडल के कलाकार दशहरे के पहले रामलीला करते हैं. बक़ौल डॉ.बृजेश्वर, हफ़्ते-दस दिन की रामलीला के बजाय ढाई घंटे के मंचन का मतलब इतना ही है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग देख पाएं और कोई प्रसंग अधूरा रह जाने की गुंजाइश भी न रहे.

डॉ.बृजेश्वर को जानने वाले उन्हें कुशल सर्जन के साथ ही एक संवेदनशील इंसान, लेखक और कवि के तौर पर भी पहचानते हैं. अपनी किताब ‘इन एण्ड आउट ऑफ़ थिएटर्स’ में उन्होंने अपने मरीज़ों के मानवीय पहलुओं पर लिखा है. इसी श्रृंखला में उनकी एक और किताब जल्दी ही आने वाली है.

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने कल लखनऊ में बताया कि अकादमी के अध्यक्ष डा.राजेश्वर आचार्य की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति और सामान्य परिषद की बैठकें हुई. बैठक में वर्ष 2020 के लिए अकादमी पुरस्कारों पर विचार के बाद प्रतिष्ठित बी.एम.शाह पुरस्कार मुम्बई के चन्द्रप्रकाश द्विवेदी को और सफ़दर हाशमी पुरस्कार मुम्बई के ही विपुल कृष्ण नागर को दिए जाने का फ़ैसला किया गया. अकादमी की रत्न सदस्यता लखनऊ की डा.पूर्णिमा पाण्डे, लखनऊ के ही उस्ताद युगान्तर सिन्दूर, वाराणसी के कुंवर जी अग्रवाल और मिर्ज़ापुर की श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव को दी गई.

नाट्य कला उन्नयन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए बरेली के डा.बृजेश्वर सिंह को अकादमी पुरस्कार देने का फ़ैसला किया गया. वाराणसी के महन्त प्रो.विशम्भरनाथ मिश्र और महाराज कुमार अनन्त नारायण सिंह को संगीत कला उन्नयन के लिए संयुक्त रूप से अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया.

इनके साथ ही शास्त्रीय गायन के लिए गोरखपुर के डा.शरदमणि त्रिपाठी, गौतमबुद्धनगर के ब्रह्मपाल नागर को रागिनी लोकगायन, लखनऊ के रामेश्वर प्रसाद मिश्र को शास्त्रीय गायन, वाराणसी के विशाल कृष्णा को कथक, तिदौली, महोबा के भूरा यादव को राई लोकनृत्य, लखनऊ के अनिल मिश्र को नाट्य निर्देशन, वाराणसी के अष्टभुजा मिश्र को नौटंकी-अभिनय-निर्देशन, दिल्ली के पंडित विनोद लेले को तबला वादन और वाराणसी के फतेह अली ख़ान को शहनाई वादन के लिए अकादमी पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई.


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