सवा साल बाद पकड़ में आई रबर फ़ैक्ट्री की बाघिन

बरेली | दो दशकों से बंद पड़ी रबर फ़ैक्ट्री पिछले सवा साल से लोगों के बीच सनसनी बनी रही तो उसकी वजह शर्मीली ही थी. तमाम जतन के बाद वही शर्मीली शुक्रवार को वन विभाग के लोगों की पकड़ में आ गई. 11 फ़ीट की लंबाई और डेढ़ सौ वजन वाली इस बाघिन को पकड़ने की यह छठवीं कोशिश थी.

रबर फ़ैक्ट्री की बाघिन के नाम से शोहरत पा चुकी इस बाघिन को वन विभाग के लोगों ने शर्मीली नाम दिया कि उसने छकाया बहुत. उसे पकड़ने की तमाम तरक़ीबें इसलिए भी नाकाम होती रहीं कि वह जल्दी-जल्दी अपना ठिकाना बदलती रही या फिर लंबे समय के लिए लोप होती आई.

पहली बार उसे 13 मार्च, 2020 को रबर फ़ैक्ट्री परिसर में देखा गया था. तब से उसे पकड़ने की कोशिश की जाती रही मगर कामयाबी मंगलवार को कैमरों से मिली उसकी सटीक लोकेशन के बाद मिल पाई. उसे कोयला प्लांट के मंदिर मिली है. हफ़्ते भर तक उसे इसी इलाक़े में देखा गया. उसे पकड़ने के लिए जुटी विशेषज्ञों की टीम ने ट्रेंक्यूलाइज़ करने के लिहाज से इसे बेहतर लक्षण माना.

फिर बृहस्पतिवार को बाघिन की लोकेशन शीरे के टैंक में मिली. उसे पकड़ने का यह अच्छा मौक़ा था. टीम ने इस उम्मीद में टैंक के बाहर पिंजरा लगा दिया कि वह जब भी बाहर आएगी, क़ैद हो जाएगी. पिंजरा लगाकर इंतज़ार करते हुए 31 घंटे बीत गए, फिर भी जब वह पिंजरे में नहीं आई तो आख़िरकार उसे ट्रेंक्यूलाइज़ करने का फ़ैसला किया गया.

बेहोश करने के बाद टैंक काटकर बाघिन को निकाला गया और पिजड़े में रखा गया. अफ़सरों का कहना है कि शर्मीली को किशनपुर अभयारण्य में छोड़ा जाएगा.
और इस तरह एक साल तीन महीने और पांच दिनों तक चली शर्मीली की इस कहानी का पटाक्षेप हुआ.


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