चंबा | विद्यार्थियों तक पहुंचने के लिए सात घंटे का सफ़र

चंबा | महामारी के दिनों में ऑनलाइन पढ़ाई से भी अछूते बच्चों के लिए फ़िक्रमंद शिक्षक हफ़्ते में एक बार पढ़ने-लिखने की सामग्री लेकर उनके पास पहुंचते हैं. उन तक पहुंचने वाले रास्ते इतने दुर्गम-दुरूह कि सात-आठ किलोमीटर चलने में छह-सात घंटे लग जाते हैं.

यहां हैंठा के प्राइमरी स्कूल में तैनात जेबीटी अध्यापक मनोज कुमार की कोशिश रहती है कि उन बच्चों तक पहुंच सकें जो ऐसे इलाक़ों में रह रहे हैं, जहाँ मोबाइल के सिग्नल की पहुंच ही नहीं है. उनके स्कूल में तीस विद्यार्थी हैं. इनमें से 22 विद्यार्थी अल्पसंख्यक समुदाय के हैं.

इनके अभिभावक गर्मियों में अक्सर धारों की ओर चले जाते हैं और सर्दियां शुरू होने से लौटते हैं. बच्चों को भी वे अपने साथ ही रखते है. ऐसे में शिक्षकों को धारों में पाठ्य सामग्री पहुंचाने के लिए काफ़ी मुश्किल पेश आ रही है.

बक़ौल मनोज कुमार, उनके स्कूल के बच्चे इन दिनों कुशंड धार, दराटगला, झुप्पु और द्रम्मणी में रह रहे है. इन जगहों तक पहुंचने के लिए खड़ी चढ़ाई पार करने में छह-सात घंटे लग जाते हैं. इस वजह से वहीं रुककर वह अगले रोज़ घर लौट पाते हैं. बच्चों की पढ़ाई चलते रहने का संतोष मगर बड़ा है.


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