बिजनौर | हरियाली से पुनर्नवा होगा हैदरपुर वेटलैंड

  • 11:01 pm
  • 23 February 2021

बिजनौर | हैदरपुर वेटलैंड के बड़े इलाक़े में इन दिनों पानी कम हो गया है. हालांकि यह नौबत तीन साल बाद आई है मगर पारिस्थिकी के लिहाज से यह बेहतर है और वेटलैंड की वनस्पतियों-वन्य जीवों के लिहाज से भी.

मुज़फ़्फ़रनगर की सीमा से सटे गंगा के खादर वाले इलाक़े में क़रीब छह हज़ार एकड़ में फैले वेटलैंड में वन्य जीवों, पक्षियों और जलीय जीवों की भरमार है. पानी कम होने से नई वनस्पतियाँ उगेंगी. यह हरियाली जानवरों के लिए तो मुफ़ीद है ही, मिट्टी की उर्वरा के लिए भी काम की होती है. संतुलन बनाने के साथ ही प्रकृति के पुनर्नवा होने की प्रक्रिया में मददगार है.

हैदरपुर वेटलैंड में पूरे साल पानी बने रहना बारिश और गंगा के उफ़ान पर निर्भर करता है. दो साल पहले तक मौसम बीत जाने के बाद भी काफ़ी बारिश हुई थी. पिछली बार जाड़े में अमूमन हर हफ़्ते बारिश हो जाती सो अर्से से वेटलैंड का इलाक़ा पानी से लबालब भरा रहा.

इस बार बरसात जल्दी ख़त्म हुई और सर्दियों में भी पानी अपेक्षाकृत कम बरसा. बैराज से पानी खोल दिए जाने के बाद वेटलैंड का बड़ा हिस्सा रीत गया है. कुछ जगहों पर जगह तालाब या पतली धाराएं बच गई हैं.

फ़्रेंड्स ऑफ़ हैदरपुर वेटलैंड के सदस्य और वन्य जीव प्रेमी आशीष लोया के मुताबिक वेटलैंड की सेहत के लिहाज से धूप और पानी दोनों ही ज़रूरी हैं. पानी घटने से पक्षियों और वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास और भोजन की स्थिति बेहतर होगी. वेटलैंड में जलीय जीवों और तमाम प्रजातियों के पक्षियों का आहार जलीय वनस्पतियाँ ही होती हैं.

बक़ौल आशीष, लगातार ठहरे हुए पानी में ऑक्सीजन कम हो जाती है और इस वजह से जलीय वनस्पतियाँ प्रभावित होती हैं. नई उगती नहीं हैं और पुरानी भी नष्ट होने लगती हैं. सूखने पर वेटलैंड की काई और दूसरे खर-पतवार ख़त्म हो जाते हैं, मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ जाते हैं, साथ ही नए पेड़-पौधे उग आते हैं. बरसात के दिनों में वेटलैंड फिर पानी में डूब जाएगी.


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