अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 18 साल के बाद फिर फ़सल

कठुआ | अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर तारबंदी के आगे किसानों के खेतों में फ़सल उगाने का यह मौक़ा 18 सालों के बाद आया. सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से तारबंदी के आगे की 90 एकड़ ज़मीन पर लगाई गई गेहूं की फसल की कटाई हीरानगर सेक्टर के मानियारी गांव से शुरू की गई.

सन् 2002 में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की ओर से भारी गोलाबारी के बाद तनाव और भय का ऐसा माहौल बना कि किसानों ने तारबंदी के आगे की ज़मीनों पर खेती करना ही छोड़ दिया था. ज़िले के अफ़सरों ने किसानों को फिर से वहाँ खेती के लिए प्रेरित करने की सोची. पिछले साल 25 सितंबर को तत्कालीन डीसी ओपी भगत ने बीएसएफ़ के अफ़सरों
से तारबंदी के आगे की ज़मीन पर खेती की तैयारी में सहयोग मांगा.

बीएसएफ़ ने इस जमीन को खेती करने लायक़ बनाने का काम तभी शुरू कर दिया. नवंबर में कृषि विभाग ने उन्हें गेहूं का बीज मुहैया कराया. अब यहां पककर तैयार हुई फ़सल की कटाई का काम बीएसएफ़ के सहयोग से शुरू हुआ. इसके लिए एक कंबाइन लगाई गई है, जो तय समय-सीमा में अपना काम करेगी.

जिला उपायुक्त राहुल यादव ने कहा कि सीमावर्ती किसानों के लिए यह खुशी का मौक़ा है कि आज उनकी जमीनों पर लगी फ़सल की कटाई हो रही है. किसानों को यहां खेती करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से ही पहली फसल का इंतज़ाम प्रशासन ने किया. अब किसान ख़ुद आकर अपने खेतों को संभाल सकते हैं. बीएसएफ उन्हें पूरी सुरक्षा और सहयोग मिलेगा.


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