5 मई | कुछ दास्तानें हैं, जो तस्वीरों में ही कही जाती हैं
आमतौर पर चुनाव में हार जाने उम्मीदवारों के बारे में सुनने को मिलता है कि वे उन पर अपनी खीझ उतारते हैं या उनसे बदला लेते हैं जिनसे उम्मीद होती है कि साथ देंगे मगर जो दग़ा दे गए. या कि बयाना उनसे लेकर विरोधियों के साथ हो लिए. लखनऊ से आई यह तस्वीर अपवाद है.
लखनऊ | चेहरे पर मास्क, माथे पर पट्टी और कपड़ों पर लहू के दाग़ लिए ये लोग उस प्रत्याशी के घर वाले हैं, जो नगराम से प्रधानी का चुनाव जीत गए. इन लोगों का कहना है कि चुनाव हार गए आनंद गोपाल के समर्थकों ने आज उन सबको बुरी तरह पीटा. इतना कि इलाज कराने के लिए उन्हें लखनऊ के सिविल अस्पताल भेजा गया है.
लखनऊ से कुछ 35 किलोमीटर दूर सुल्तानपुर वाले रास्ते पर आबाद नगराम की ख्याति यह है कि इसे राजा नल पासी ने बसाया और अवध के नवाबों के दौर में यह साझी संस्कृति की पहचान बना. यहाँ बना इमामबाड़ा वजाहत हुसैन रिज़वी यानी सैयदबाड़ा भी इसकी एक मिसाल है.
फ़ोटो | मनीष वर्मा
कानपुर | इस बच्ची का नाम सुहाना है. निमोनिया से पीड़ित है. ऑक्सीज़न का लेवल घटा तो मां-बाप लेकर भागे. यहाँ हैलट अस्पताल के बाहर उसे ऑक्सीज़न मिल सकी है.
कानपुर | फज़लगंज में बब्बर ऑक्सीज़न प्लांट के बाहर अपनी बारी का इंतज़ार करते लोग.
कानपुर | फज़लगंज के बब्बर ऑक्सीज़न प्लांट में टैंकर के बैठे इन लोगों को भी अपनी बारी आने का इंतज़ार है.
जोशीमठ | रैणी और जुगजू गांव के लोग आज नदी का यह रूप देखकर अपने घरों को लौट आए हैं. ऋषि गंगा में पानी का उफ़ान देखकर मंगलवार को नीती घाटी में खलबली मच गई थी, और जब शाम तक नदी का पानी घटता हुआ नहीं दिखाई दिया तो ज़रूरी सामान लेकर गाँवों के लोग सुरक्षित जगहों पर निकल गए. पूरी रात गुफाओं और छानियों में बिताई. बुधवार को बारिश थमने और धूप खिलने से नदी का जलस्तर सामान्य हुआ. मंगलवार को नदी में पानी बढ़ा तो किनारे पर लगा सायरन भी बहा ले गया है.
सात फ़रवरी की विपदा का साया उन्हें जब-तब बेचैन करता ही रहता है.
देहरादून | दून अस्पताल के बाहर खड़ी होने वाली प्राइवेट गाड़ियों से आमतौर पर यहाँ हर रोज़ जाम लग जाता है और राहगीरों की फजीहत होती है. बुधवार को दून अस्पताल के बाहर लगे जाम में फंसी मरीज़ को अस्पताल लेकर आने वाली एंबुलेंस.
यह वही दून है, जो अपनी ख़ूबसूरती के साथ ही ख़ामोश और मंथर गति की लाइफ़स्टाइल से ज़माने को अपनी ओर खींचता रहा है.
इन दो छोटी वीडियो क्लिप से इस बात का पता ज़रूर मिलता है कि नियम-क़ायदों के बारे में कहने और अमल करने में फ़र्क़ बहुत है.
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4 मई | कुछ दास्तानें हैं, जो तस्वीरों में ही कही जाती हैं
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