पीलीभीत | आबादी में आ गए तेंदुओं के लिए रेस्क्यू सेंटर बनेगा
पीलीभीत | यहाँ टाइगर रिज़र्व में बाघों की बढ़ती तादाद से तेंदुए बेदख़ल होने लगे हैं. यही वजह है कि जंगल छोड़कर अब वे रिहायशी इलाक़ों में दस्तक देने लगे हैं. इन दिनों कम से कम पाँच तेंदुओं की आबादी में आवाजाही नोटिस की गई है.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 65 से ज़्यादा बाघ हैं. हर तीन साल में होने वाली गणना के मुताबिक यहाँ 50 से अधिक तेंदुए भी हैं. तेंदुए दूसरे जानवरों से अलग-थलग और जंगल में बाहरी इलाक़े की तरफ़ रहना पसंद करते हैं. बाघों की संख्या बढ़ने के साथ उनका फैलाव जंगल के उन क्षेत्रों में भी हो गया, जहां तेंदुओं की रिहाइश है. यही वजह है कि तेंदुए जंगल से बाहर आबादी में पहुंच जाते हैं. पिछले छह साल में आबादी में आ गए आठ तेंदुओं को पकड़ा जा चुका है.
पिछले कुछ सालों से तेंदुए जंगल से सटे इलाकों में डेरा जमाने लगे हैं. अमरिया और गजरौला के इलाक़े में पांच तेंदुए घूमते देखे गए हैं. अमरिया के सूरजपुर इलाके में पिछले साल २५ अक्तूबर को एक तेंदुआ पकड़कर कानपुर चिडिय़ाघर भेजा गया था. इसी इलाक़े में फिर घूम रहे तेंदुए को पकड़ने के लिए दो जगह पिजड़े लगाए गए हैं.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने कहा कि वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर पीटीआर प्रशासन गंभीर है. जंगल में बाघों के साथ तेंदुए और दूसरे वन्यजीवों की तादाद बढ़ी है. यहां ‘लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर’ बनना प्रस्तावित हैं. सेंटर बनने के बाद रेस्क्यू किए गए तेंदुओं को यहीं रखा जाएगा.
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