विंडरमेयर में थिएटर फ़ेस्ट, ‘जिन्हें नाज़ है’ का मंचन
बरेली | विंडरमेयर में मिनी थिएटर फ़ेस्टिवल की पहली प्रस्तुति के रूप में बुधवार की शाम एक अनूठा प्रयोग देखने को मिला. बंगलूरू की संस्था ‘कहे विदूषक फाउंडेशन’ के कलाकारों ने दो नाटकों पर आधारित जुड़वां प्रस्तुति को ‘जिन्हें नाज़ है’ का नाम दिया और एक साझा संदेश के साथ दर्शकों के सामने रखा. नाटककार अभिषेक मजूमदार के लिखे नाटकों ‘नमक’ और ‘राशन’ को एक माला में पिरोने का यह प्रयोग निर्देशक श्रीनिवास बीसेट्टी ने किया है.
‘राशन’ का नायक (नमन रॉय) ग़रीब है और ख़ुद्दार भी. भूख से बचने के लिए वो शराब पीता है. सवाल यह है कि जब पैसा है तो शराब क्यों ख़रीदता है, खाना क्यों नहीं खाता? नायक का जवाब है कि जब खाना लाने वाली सरकारी गाड़ी नहीं आती तो वो अपनी भूख को नशे से मिटा लेता है. उसकी ख़ुद्दारी का आलम यह है कि जब साहब उसके साथ शराब पीने आते हैं तो वो उनका खाना तक मंज़ूर नहीं करता. उन्हें बताता है कि सरकारी गाड़ी अगर आ गई तो खा लेंगे, न आई तो शराब पी लेंगे, शराब भी न बची तो शायरी कर लेंगे. ग़रीब नागरिकों के प्रति सरकारों के ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैये पर चोट करने वाले इस नाटक में कई तीखे तंज़ देखने-सुनने को मिले.
इस अद्भुत जुड़वां प्रस्तुति का दूसरा नाटक ‘नमक’ था. भूख और ग़रीबी किस तरह दुख-दर्द के पथरीले रास्तों से होती हुई त्रासदी की स्याह मंज़िल तक पहुंचती है, यही ‘नमक’ की कहानी है. एक ग़रीब मां (भूमिका माने) अपनी बेटियों (प्रज्ञा ज्ञा और दुर्गा वेंकटेशन) को हर रोज़ चावलों में नमक की मात्रा बढ़ाकर खिला रही है. धीरे-धीरे बेटियां समझने लगती हैं कि चावल कम और नमक ज़्यादा क्यों होता जा रहा है. नमक के साथ-साथ उनका दुख बढ़ता जाता है और उसे सहने की शक्ति कम होती जाती है. अंत तक पहुंचते-पहुंचते उनकी कहानी एक त्रासद अंधेरे से लिपट जाती है.
नाटक के लिए पवन कुमार के लिखे गीत को गीतांजलि काल्टा ने स्वर और संगीत से सजाया. दोनों नाटकों का सेट डिज़ाइन हंशा पल्लवी और प्रोडक्शन मैनेजमेंट बंशी ने किया.
नाटक के बाद दया दृष्टि चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. बृजेश्वर सिंह ने कलाकारों को सम्मानित किया. बताया कि विंडरमेयर में आयोजित इस मिनी थिएटर फ़ेस्टिवल के तहत 7 अक्टूबर तक हर रोज़ नाटक होंगे. पांच अक्टूबर को शाम 7 बजे ‘कहे विदूषक फाउंडेशन’ के नाटक ‘सकल जानी हे नाथ’ की प्रस्तुति होगी. अंतिम दो दिन यानि 6 और 7 अक्टूबर को बंगलूरु की प्रसिद्ध नाट्य संस्था ‘रंग शंकरा’ के कलाकार बच्चों के लिए ख़ास तौर पर तैयार किए नाटकों की प्रस्तुति देंगे.
फ़ोटो | सिद्धार्थ रावल
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