चेनाप घाटी | कुदरत का गुमनाम ख़ज़ाना

चमोली | फूलों की घाटी के साथ ही क़रीब पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैली एक और घाटी है, जहां जैव विविधता का ख़ज़ाना बिखरा हुआ है, मगर जिस पर ज़माने की निगाह से अभी दूर है. यह चेनाप घाटी है.

जोशीमठ की यह गुमनाम घाटी जून से सितंबर तक रंग-बिरंगे फूलों से लकदक रहती है. यहां फूलों की तीन सौ प्रजातियों के साथ ही दुर्लभ जड़ी-बूटियों और वन्य जीवों का समृद्ध संसार बसता है. इसके बावजूद यह घाटी देश-दुनिया के सैलानियों की नज़रों से ओझल है. हालांकि ट्रेकिंग के शौकीन यहां आते रहे हैं.

चेनाप घाटी जाने के लिए जोशीमठ से दो रास्ते हैं. एक रास्ते से जाकर दूसरे से वापस लौटा जा सकता है. एक रास्ता घिवाणी और दूसरा मेलारी टॉप होकर जाता है. मेलारी टॉप से हिमालय की तमाम पर्वत शृंखलाओं का विहंगम नज़ारा देखने को मिलता है. घाटी के क़रीब फुलाना, चंयाणा घट, सोना शिखर, मस्कुश्यां समेत देखने लायक़ कई जगहें हैं.

बदरीनाथ हाईवे पर बेनाकुली से खिरों और माकपाटा होते हुए भी चेनाप घाटी पहुंचा जा सकता है. क़रीब 13 हज़ार फ़ीट की ऊचाईं पर यह 40 किलोमीटर लंबा ट्रैक है. सन् 2013 की आपदा में जब फूलों की घाटी जाने वाला रास्ता बंद हो गया था तो प्रकृति प्रेमी यहां पहुंचने लगे थे. इसके बाद ही लोगों ने इस घाटी के बारे में जाना.

चांई के क़रीब थैंग गांव से चेनाप घाटी पहुंचते ही पांच वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में बुग्यालों (मखमली घास के मैदान) के बीच खिले रंग-बिरंगे फूल आकर्षित करते हैं. कहा जाता है कि फूलों की घाटी की तरह ही चेनाप घाटी भी हर 15 दिन में रंग बदलती रहती है.

थैंग गांव के दिलवर सिंह फर्स्वाेण बताते हैं कि पर्यटन विभाग की ओर से सन् 2018 में चेनाप वैली को ‘ट्रैक ऑफ़ द इयर’ घोषित करने के साथ ही यहां पर्यटन के विकास के लिए मुख्यमंत्री को लिखा गया था. मगर हालात ज़रा भी नहीं बदले हैं.


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