शिशिर सोमवंशी के कविता संग्रह ‘शायद तुमने हो पहचाना’ का लोकार्पण

प्रयागराज | कवि और चिंतक प्रो. बद्रीनारायण मानते हैं कि शिशिर सोमवंशी की कविताओं की वाचिकता इसकी शक्ति है. श्रवण और वाचन कविता के और तरह के अर्थ खोलते हैं. कविता बहु अर्थ देने वाली विधा है. उनका ताज़ा संग्रह भी इसी की पुष्टि करता है.
शिशिर सोमवंशी की कविताओं के संग्रह ‘शायद तुमने हो पहचाना’ के लोकार्पण समारोह के मौक़े पर अपने वक्तव्य में प्रो.बद्रीनारायण ने कहा कि यह समय शायद तुमने हो पहचाना का समय है. पहचान की समाप्ति ऐसे शून्य होती है, जहां बड़ी कविता बनती है. कविता लिखना कठिन काम है. कविता किसी को भी बेहतर इंसान बनाती है. प्रेम ही कविता का मूल भाव है.
बैकस्टेज की ओर से होटल ट्यूलिप-इन में आयोजित इस समारोह में शहर के कवि, संस्कृतिकर्मी और साहित्यकार जुटे.
अख़बारनवीस और शायर प्रताप सोमवंशी ने कहा कि काव्य तत्व और भाव कविता के ज़रूरी तत्व होते हैं. शिशिर की कविताओं में यह ख़ूब है. इन कविताओं में प्रेम पुष्पित व पल्लवित है. यह एक ऐसी आग है, जिसमें जलकर प्रकृति के फूल खिलते हैं. कहा कि इस संग्रह की रचनाएं पूर्णता की रचनाएं हैं. यह ग़ज़ल, नवगीत, नज़्म आदि के फ़ॉर्मेट में है.
कवि सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज (लखनऊ) ने कहा कि प्रेम की लय तक पहुंचने का माध्यम कविता है. इसी लय को पाने की कोशिश बनी रहती है. लय को पा लेना कठिन है लेकिन शिशिर सोमवंशी प्रेम और प्रकृति की लय को हासिल करते हैं. उन्होंने कहा कि शिशिर की कविताएं स्मृतियों में जाती हैं और इनमें रिकनेक्ट करने का प्रयास है. इनमें चाहने की तीव्रता है, व्यग्रता है. कविता कुछ दे सकती है तो वह है प्रेम की लय. कवि ने प्रेम के लय हो पाने का विनम्र प्रयास किया है.
कवि रजनीश त्रिवेदी (कानपुर) ने कहा की शिशिर प्रेम रस के सशक्त हस्ताक्षर हैं. उनकी कविताओं में भाव की अभिव्यक्ति प्रबल है. शिशिर की कविताओं का आयाम विस्तृत है. वह वैज्ञानिक हैं, इसीलिए प्रकृति उनकी कविताओं में नायिका के रूप में है, जो उनकी क़लम से खेलती रहती है.
कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि-गीतकार विनम्र सेन सिंह ने कहा कि इस दौर में हर व्यक्ति आत्म केंद्रित है. आत्म प्रशंसा के भाव से आज लोग जूझ रहे हैं. ऐसे में शिशिर सोमवंशी की कविता प्रेम करने का संदेश देती है और कवि समाज को समग्रता में देख रहा है. इस संग्रह को समग्रता की दृष्टि से देखना चाहिए.
शिशिर सोमवंशी ने अपने संग्रह से कुछ कविताएं सुनाईं, बताया कि इस संग्रह में शामिल कविताएं 1990 के बाद की लिखी हुई हैं. मेहमानों का स्वागत बैकस्टेज के निदेशक प्रवीण शेखर ने किया. डॉ.अनीता तोमर, प्रवीण शेखर, शिशिर सोमवंशी ने उन्हें अंगवस्त्र और स्मृति चिह्न भेंट किया.
इस मौक़े पर हरीश चंद्र पांडे, तेज बहादुर सिंह, अमितेश कुमार, प्रेम शंकर सिंह, दीना नाथ मौर्य, लक्ष्मण गुप्ता, हितेश कुमार सिंह, यासमीन सुल्ताना नकवी, आनंद कक्कड़, अरशद फाखरी, आलोक सिंह, सतीश तिवारी, टोनी सिंह, अजीत बहादुर, अरिंदम घोष, संजय बनौधा, नीरज श्रीवास्तव, अनुभव श्रीवास्तव, अनिल कुमार मिश्र, अखिलेश मिश्र, शिवा शंकर पाण्डेय, नज़र इलाहाबादी वगैरह मौजूद रहे.
(विज्ञप्ति)
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