पुस्तक मेले में राजकमल की 60 से ज़्यादा नई किताबें
नई दिल्ली | विश्व पुस्तक मेला-2024 में राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल ‘जलसाघर’ को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की थीम बहुभाषिकता की तर्ज पर सजाया जा रहा है. मेले में राजकमल प्रकाशन की 60 से ज़्यादा नई किताबें जारी होंगी. इनमें राहुल सांकृत्यायन, हरिशंकर परसाई, निर्मल वर्मा, ओमप्रकाश वाल्मीकि, मंगलेश डबराल आदि दिवंगत रचनाकारों सहित विश्वनाथ त्रिपाठी, विमल दे, गगन गिल, संजीव, मृणाल पाण्डे, अलका सरावगी, गायत्री बाला पण्डा जैसे कई दिग्गज लेखकों की किताबें शामिल हैं.
राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, “विश्व पुस्तक मेला सभी पढ़ने-लिखने वालों और पुस्तकप्रेमियों के लिए एक त्योहार की तरह है, प्रकाशन संस्थानों के लिए तो है ही. पाठकों के साथ-साथ हमें भी इसका इंतज़ार रहता है. इस बार विश्व पुस्तक मेला में राजकमल प्रकाशन समूह दस हज़ार से ज़्यादा किताबों के साथ हाज़िर होगा.” उन्होंने कहा, “राजकमल प्रकाशन शुरूआत से ही सामयिक महत्व के अनुसार विभिन्न विमर्श की पुस्तकों को प्राथमिकता से प्रकाशित करता रहा हैं. वर्तमान समय की ज़रूरत को समझते हुए इसी तरह की तमाम नई किताबें छापी हैं, जिसमें दलित और आदिवासी विमर्श, स्त्री-विमर्श, जाति विषयक समाज विज्ञान की पुस्तकें शामिल हैं. राजकमल से प्रकाशित विश्व क्लासिक श्रृंखला की बहुपठित पुस्तकों के हिन्दी संस्करण भी इस बार विश्व पुस्तक मेला में उपलब्ध होंगे, पाठक जिनकी लगातार मांग करते रहे हैं.”
नई किताबें ख़ास आकर्षण होंगी
निर्मल वर्मा और गगन गिल की सभी पुस्तकों का प्रकाशन अब राजकमल प्रकाशन कर रहा है. इनमें से निर्मल वर्मा की छह कृतियाँ― वे दिन, रात का रिपोर्टर, लाल टीन की छत, एक चिथड़ा सुख (उपन्यास); चीड़ों पर चाँदनी (यात्रा संस्मरण); परिन्दे (कहानी संग्रह) और गगन गिल की दो कृतियाँ अवाक् (यात्रा संस्मरण); यह आकांक्षा समय नहीं (कविता संग्रह) पुस्तक मेले में उपलब्ध होंगी.
राहुल सांकृत्यायन की पुस्तकें घुमक्कड़ शास्त्र और वोल्गा से गंगा; हरिशंकर परसाई का अप्रकाशित व्यंग्य संग्रह भोलाराम का जीव; विश्वनाथ त्रिपाठी की नई आलोचनात्मक कृति हरिशंकर परसाई : देश के इस दौर में; ओमप्रकाश वाल्मीकि की प्रतिनिधि कविताएँ और सम्पूर्ण कविताएँ; मंगलेश डबराल की सम्पूर्ण कविताएँ; मृणाल पाण्डे की प्रतिनिधि कहानियाँ; अलका सरावगी की सम्पूर्ण कहानियाँ इस बार मेले का मुख्य आकर्षण होंगी.
पुरस्कृत रचनाकारों की नई कृतियाँ
इस वर्ष के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक संजीव की किताब प्रार्थना (कहानी संग्रह) और वर्ष 2022 के ओड़िया भाषा के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित कवि गायत्री बाला पण्डा का नया कविता संग्रह बाघ उपाख्यान इस बार में मेले में होंगी.
जलसाघरः बहुभाषी भारत की झलक
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा घोषित विश्व पुस्तक मेला-2024 की थीम बहुभाषिकता बहुत पहले से ही राजकमल प्रकाशन समूह का कार्यक्षेत्र रही है. समूह ने 25 से अधिक भारतीय और भारतीयेतर भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्य की अनेक कृतियों के हिन्दी में अनुवाद प्रकाशित किए हैं और हाल के वर्षों में यह काम और भी तेज़ी से हुआ है. अब तक अंग्रेज़ी, फ़ारसी, उर्दू, बांग्ला, मराठी, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, तेलुगु, ओड़िया, तमिल, पंजाबी, भोजपुरी, मैथिली, राजस्थानी समेत अनेक भाषाओं की कृतियों के हिन्दी अनुवाद छप चुके हैं. इस बार जलसाघर की सजावट इसी बहुभाषिकता की थीम पर की जा रही है. साथ ही, जलसाघर में राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित नोबेल पुरस्कार, अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार, पेन/नाबोकोव अवॉर्ड, ज्ञानपीठ पुरस्कार, और साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखकों की चुनिंदा कृतियाँ; और विश्व क्लासिक श्रृंखला की पुस्तकें विशेष रूप से प्रदर्शित की जाएंगी.
जलसाघरः पाठक मंच भी बनेगा
जलसाघर में हर बार की तरह लेखक मंच बनेगा, जिसमें नई पुस्तकों का लोकार्पण, अंशपाठ, विभिन्न विषयों पर परिचर्चा, लेखक-पाठक संवाद आदि कार्यक्रम होंगे. वहीं इस बार पाठक मंच भी बनेगा, जिसमें पाठक अपने प्रिय रचनाकारों की कृतियों से रचनाओं का अंशपाठ कर सकेंगे. इसके लिए रोज़ एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा. सबसे उम्दा पाठ करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया जाएगा.
(विज्ञप्ति)
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