निर्मल वर्मा के जन्मदिन पर ‘थिगलियाँ’ का लोकार्पण

नई दिल्ली | निर्मल वर्मा के नए कहानी संग्रह ‘थिगलियाँ’ का लोकार्पण बुधवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर के गुलमोहर सभागार में होगा. सुपरिचित कवि गगन गिल द्वारा सम्पादित इस संग्रह का लोकार्पण प्रख्यात आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी करेंगे. निर्मल वर्मा की 96वीं जयंती के मौक़े पर राजकमल प्रकाशन की ओर से यह आयोजन किया जा रहा है.‘निर्मल वर्मा का कथा साहित्य’ विषय पर आलोचक संजीव कुमार और कथाकार वन्दना राग गगन गिल से बातचीत करेंगे.

96वीं जयंती पर विशेष आयोजन
राजकमल प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अशोक महेश्वरी ने बताया, “निर्मल जी की 96वीं जयंती पर हम उनकी कहानियों का नया संग्रह ‘थिगलियाँ’ ला रहे हैं. जिसका सम्पादन हिन्दी साहित्य की जानी-मानी हस्ताक्षर और निर्मल जी की सहधर्मिणी गगल गिल ने किया हैं. इस संग्रह में निर्मल वर्मा की नौ कहानियाँ संकलित हैं, जो पाठकों को पहली बार पुस्तकाकार मिलेंगी. खास बात यह है कि इसमें निर्मल जी की पहली और अन्तिम कहानी भी शामिल है.”

उन्होंने कहा, “निर्मल वर्मा अनूठे कथाकार हैं, जिन्होंने एक तरफ व्यापक रूप से पाठकों को सम्मोहित किया, वहीं दूसरी तरफ कई पीढ़ियों के लेखकों को भी प्रभावित और प्रेरित किया. समय के साथ उनका आकर्षण और बढ़ता गया है. उनकी असंकलित कहानियों का यह संग्रह पाठकों के समक्ष रखते हुए हमें विशेष खुशी है. निर्मल जी के देश-दुनिया में फैले अनगिनत पाठकों-प्रशंसकों के लिए यह किताब एक ख़ास उपहार होगी.”

पहली कहानी से अन्तिम कहानी तक
‘थिगलियाँ’ कहानी संग्रह में निर्मल वर्मा की अभी तक असंकलित और कुछ अप्रकाशित कहानियाँ पहली बार एक साथ प्रकाशित हो रही हैं. इनमें 1954 में प्रकाशित उनकी कहानियों ‘रिश्ते’ और ‘बैगाटेल’ से लेकर 2005 प्रकाशित अन्तिम कहानी ‘अब कुछ नहीं’ भी शामिल हैं. इन कहानियों में उन्होंने पात्रों की मनःस्थितियों और उनके सामाजिक भूगोल का अत्यन्त प्रभालशाली चित्रांकन किया है. साथ ही, उनके दो अपूर्ण उपन्यास भी इस संग्रह में संकलित हैं.

नोबेल के लिए नामित हुए थे निर्मल वर्मा
निर्मल वर्मा हिन्दी के पहले और एकमात्र ऐसे लेखक है, भारत सरकार आधिकारिक रूप से जिनका नाम साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया गया था. उन्होंने लेखन की शुरुआत 1950 के दशक में की थी. उनकी कहानी ‘परिन्दे’ को हिन्दी में नई कहानी की शुरुआत माना जाता है. निर्मल वर्मा के जीवनकाल में 40 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हुईं जिसमें कहानी, उपन्यास, यात्रा-संस्मरण, निबन्ध, पत्र, अनुवाद समेत अनेक विधाओं की पुस्तकें शामिल हैं.

(विज्ञप्ति)


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