फ़िलिस्तीन के हालात पर दुनिया की ख़ामोशी इंसानियत की हार : नासिरा शर्मा

नई दिल्ली | इजरायल-फ़िलिस्तीन का विवाद मूल रूप से धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक मसला है. वर्तमान में फ़िलिस्तीन में बच्चों की इतनी बुरी हालत पर भी दुनिया का ख़ामोश रहना इंसानियत की हार है. ऐसे समय में इस मुद्दे पर एक किताब का आना बेहद सामयिक और ज़रूरी हस्तक्षेप है. शनिवार की शाम को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में नासिरा शर्मा की किताब ‘फ़िलीस्तीन : एक नया कर्बला’ के लोकार्पण और परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने ये बातें कहीं.

इस मौक़े पर पश्चिमी एशियाई मामलों के विशेषज्ञ प्रो.ए.के. रामाकृष्णन, रक्षा मामलों के विशेषज्ञ-पत्रकार क़मर आग़ा और लेखक नासिरा शर्मा बतौर वक्ता मौजूद रहे. प्रसिद्ध रंगकर्मी और कवि अशोक तिवारी ने किताब के चुनिंदा अंशों का पाठ किया.

किताब पर बात करते हुए प्रो.ए.के. रामाकृष्णन ने कहा, “इस किताब में लेखक ने ऐतिहासिक और समसामयिक दोनों आधारों पर बहुत ही गहन विचार करके समाधानपरक लेख लिखे हैं. उन्होंने इस किताब के ज़रिए हमें फ़िलिस्तीन के वर्तमान हालात पर एक दृष्टिकोण दिया है. यह बेहद सामयिक और ज़रूरी हस्तक्षेप है. साथ ही यह एक राजनीतिक हस्तक्षेप भी है क्योंकि यह किताब हमें एक्शन के लिए प्रेरित करती है. लेखक ने इस किताब को हमारे सामने लाकर अपने हिस्से का योगदान किया है और हमें भी अपने हिस्से काम करने के लिए प्रेरित किया है.”

उन्होंने कहा, “हमारी आज़ादी की लड़ाई के नेताओं ने भी फ़िलिस्तीन से जुड़ाव दिखाया था क्योंकि जिस समय भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरूद्ध संघर्ष चल रहा था, उस समय फ़िलिस्तीन भी उससे पीड़ित था. मुझे उम्मीद है कि यह किताब एक नई खिड़की खोलेगी. यह किताब सभी के लिए पठनीय है लेकिन विशेष रूप से यह उन युवाओं के लिए उपयोगी है, जो इजरायल-फ़िलिस्तीन के मसले और समझना और उस पर काम करना चाहते हैं.”

क़मर आग़ा ने कहा, “इजरायल-फ़िलिस्तीन का विवाद मूल रूप से धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक मसला है. इस समय फ़िलिस्तीन के हालात ऐसे हैं कि वहाँ के लोगों को इंसान समझा ही नहीं जा रहा है. उन्हें जानवरों की तरह मारा जा रहा है.”

बक़ौल क़मर आग़ा, “ऐसा नहीं है कि सभी यहूदी फ़िलिस्तीनी नागरिकों से दुश्मनी का व्यवहार करते हैं. आज भी यहूदियों का एक बड़ा तबका ऐसा है, जो इस हिंसा के पूरी तरह ख़िलाफ़ है.”

फ़िलिस्तीन के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए नासिरा शर्मा ने कहा, “फ़िलिस्तीनी जनता पर ज़ुल्म और अत्याचार पहले भी मैंने अपनी आंखों से देखे हैं लेकिन जो अब हो रहा है, उतना बर्बर जनसंहार पहले कभी नहीं हुआ. जिस तरह से फ़िलिस्तीन में बच्चों और किशोरों को निशाना बनाया जा रहा है और उनकी जो हालत हुई है, उतनी बुरी हालत पूरी दुनिया में पहले कभी नहीं हुई. इस पर भी पूरी दुनिया जिस तरह से ख़ामोश है, उसे देखकर लगता है कि यह सिर्फ फ़िलिस्तीन की नहीं, बल्कि इंसानियत की हार है.”

यह किताब लिखने की प्रेरणा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब फ़िलिस्तीन पर हमला हुआ तो मेरे अंदर का पत्रकार बेचैन हो उठा. मुझे लगा कि मैं इस पर अभी काम नहीं तो कब करूँगी? यह किताब उसी बेचैनी का नतीजा है.”

किताब के बारे में :
लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित ‘फिलीस्तीन : एक नया कर्बला’ किताब में इज़रायल और फ़िलिस्तीन समस्या का एक सम्पूर्ण अध्ययन है, जिसमें इसके राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक और भावनात्मक पहलुओं को बारीक़ी से समझा जा सकता है. इसमें अनेक ऐसी कहानियां, कविताएं, साहित्यिक-राजनीतिक आलेख, साक्षात्कार और टिप्पिणयाँ संकलित है जो इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी सामाजिक-मानवीय परिणतियों का एक ख़ाका प्रस्तुत करती है. फ़िलिस्तीन और इज़रायल की राजनीति, समाज और साहित्य पर केन्द्रित पुस्तक के तीन अलग-अलग खंडों में हम यहूदियों और अरब फ़िलिस्तीनियों, दोनों के हालात को सम्पूर्णता में समझ सकते हैं. चौथे खंड में नासिरा शर्मा ने अपनी वे रचनात्मक और विश्लेषणात्मक चीज़ें प्रस्तुत की हैं, जिनसे इन दोनों क़ौमों से सम्बन्धित हर जिज्ञासा का समाधान हो जाता है.

(विज्ञप्ति)


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.