आपबीती | तूफ़ान के बीच समुद्र की लहरों पर चौदह घंटे

बस्ती | समुद्र में डूब रहे जहाज से पानी में कूदे तो कई लोग मगर तूफ़ान का यह असर कि लहरें उन्हें ख़ूब ऊंचा उछाल रही थीं. बहते हुए वे सब एक-दूसरे से काफी दूर चले गए. तूफ़ान की भयावहता के बीच लाइफ़ जैकेट के भरोसे पानी में डूबते-उतराते हुए ज़िंदगी की आस छोड़ चुके थे. नौसेना के बचाव दल को जब वह मिले, तब तक उन ख़ौफ़नाक लहरों के बीच चौदह घंटे बीत चुके थे. और शिव प्रसाद उपाध्याय आज जब अपने गाँव महादेवा लौटे तो घर-गाँव वालों ने बैंड-बाजे के साथ उनकी अगवानी की.

चक्रवाती तूफ़ान ताउते आने के दौरान अरब सागर में डूब गए बार्ज पी 305 पर शिवप्रसाद भी सवार थे. अपने अनुभव साझा करते हुए उनका गला रुंध गया. बताया – ‘ओएनजीसी की तरफ़ से 20 फरवरी को मुझे अरब सागर में बार्ज पी 305 पर पहुंचाया गया था. मैं उस जहाज में टूल मशीन ऑपरेटर के पद पर था. 16 मई को जब तूफ़ान जहाज से टकराना शुरू हुआ, तो जहाज के अंदर अफ़रातफ़री मच गई. हम सभी लोग शोर मचा रहे थे. जहाज को अंदर से लॉक और सील कर दिया गया. हम सारे जल्दी-जल्दी लाइफ़ जैकेट पहन रहे थे.’

बक़ौल शिवप्रसाद – यह 17 मई को सबेरे पांच बजे की बात है. जहाज पानी में डूबने लगा और उसका एक हिस्सा ऊपर की तरफ उठने लगा. जहाज पर मौजूद सारे लोग ऊपर उठ गए हिस्से की ओर भागे. वहाँ जिसको जो कुछ मिला, उसी को पकड़कर ख़ुद को बचाने की कोशिश की. हम क़रीब आधे घंटे तक इसी तरह लटके रहे.

फिर जब हम ख़ुद पर काबू नहीं रख पाए तो पानी में कूदने लगे. पानी में गिरे तो लहरों ने ख़ूब ऊंचा उछालना शुरू कर दिया. अपने कई साथियों को डूबता हुआ देख मैं भी हिम्मत हार गया था और घर वालों को और भगवान को याद करता. फिर हिम्मत करके सीटी बजाता रहा. लाइफ़ जैकेट में लगी लाइट लगातार जलती रही.

आख़िर नौसेना के बचाव दल की निगाह मुझ पर पड़ी. उन्होंने हेलीकॉप्टर से मुझे ऊपर उठा कर आईएनएस कोच्चि पर पहुंचाया. दो घंटे तक मैं एकदम बेसुध था रहा. फिर 19 मई को इलाज के बाद नौसेना ने मुझे कंपनी के हॉस्टल पहुंचा दिया गया.

बार्ज पी 305 जहाज पर कुल 273 लोग सवार थे. वह बताते हैं कि जब वह और उनके साथी समुद्र में ‌कूदे तो लहरों के साथ बहने लगे. लहरें 15 से 18 फ़ीट तक उछाल रही ‌थीं और इस तरह वे एक दूसरे से दूर बहते गए. इनमें से कई लापता हो गए. वह अपने जहाज से क़रीब 35 किलोमीटर तक बह गए थे. वह ख़ुशकिस्मत थे कि बच गए.

शिवप्रसाद बताते हैं कि समुद्री तूफ़ान में फंसने पर उन्हें क्या करना है, इसके बारे में उन्हें बाक़ायदा ट्रेनिंग दी जाती है. लाइफ़ जैकेट का इस्तेमाल इसमें सबसे अहम है. सीटी बजाने को इसलिए कहा जाता है कि उनकी आवाज़ को दूर तक सुना जा सके.

कवर | समुद्र में बार्ज और घर लौटे शिवप्रसाद.
वीडियो | डूब रहे बार्ज पी 305 के क़रीब बचाव में जुटी टीम.


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