‘सांड की आंख’ वाली दादी चंद्रो तोमर नहीं रहीं

बड़ौत | शूटर दादी चंद्रो तोमर का शुक्रवार को मेरठ मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया. वह 89 वर्ष की थीं. कुछ रोज़ पहले सांस लेने में तकलीफ़ होने पर उन्हें मेरठ के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं कोरोना संक्रमित हो गईं तो उन्हें मेरठ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था.

जौहड़ी गांव की चंद्रो तोमर को आत्मीयता से लोग शूटर दादी कहते हैं. इसलिए कि निशानेबाज़ के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और राष्ट्रीय स्तर पर पचास से ज़्यादा पदक जीतने वाली चंद्रो तोमर ने 66 साल की उम्र में पहली बार निशाना लगाया था.

उनके निशानेबाज बनने की कहानी भी ख़ासी दिलचस्प है. यह 1998 की बात है, जब डॉ.राजपाल सिंह ने जौहड़ी गाँव में एक शूटिंग रेंज बनाई. जहाँ वह अपनी पोती शैफाली के साथ रोज जातीं. शैफाली सीखती और दादी उन्हें देखती रहतीं. एक रोज़ दादी ने शैफाली की एयर पिस्टल लेकर ख़ुद निशाना लगाया. उनका पहला निशाना ही सटीक लगा था. यही निशानेबाजी के उनके सफर की शुरुआत थी.

यों घर के बड़े-बूढ़ों के एतराज के बावजूद बेटे-बहुओं और पोते-पोतियों ने उनका पूरा साथ दिया. उन्हें दुनिया की सबसे उम्रदराज निशानेबाज़ कहा जाता है. अपनी बहन प्रकाशो के साथ वह कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शरीक हुईं और कामयाब भी हुईं. दादियों की इस जोड़ी और उनकी कहानी से आमिर ख़ान इतने मुतासिर हुए थे कि उन्होंने अपने टीवी शो ‘सत्यमेव जयते’ में दोनों को बुलाया था.

‘सांड की आंख’ फ़िल्म उनकी ज़िंदगी की कहानी पर आधारित है. इसमें दादी चंद्रो का किरदार भूमि पेडनेकर और प्रकाशो का किरदार तापसी पन्नू ने किया था. फ़िल्म का नाम रखने का भी एक क़िस्सा है. अनुराग कश्यप ने पहले इस फ़िल्म का नाम ‘वूमनिया’ सोचा था मगर स्किप्ट पर काम करते-करते उन्होंने एक जुमला कई बार सुना. निशानेबाज़ी के क्लब में बार-बार दोहराया जाने वाले जुमले ‘हिटिंग द बुल्स आई’ को दोनों दादियाँ हिंदी में ‘सांड की आंख’ कहा करतीं. अनुराग को यह इतना भाया कि उन्होंने फिल्म का नाम ही ‘सांड की आंख’ रख दिया.

अभिनेत्री भूमि पेडेनकर ने ट्वीट कर दादी चंद्रो के निधन पर अफसोस जताया है. उन्होंने लिखा है कि ऐसा लगता है कि मेरे परिवार का एक हिस्सा चला गया. उन्होंने महानता से भरा जीवन जिया, पितृसत्ता पर सवाल उठाया और युगवाद के हर हथकंडे को तोड़ा. उनकी विरासत उन सभी लड़कियों के पास रहेगी, जिनके लिए वह एक रोल मॉडल बन गईं. मैं बेहद खुशकिस्मत हूं कि मुझे पर्दे पर उनको जीवंत करने का मौक़ा मिला.


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