एश्ले बार्टी | समय के स्वैप की बेमिसाल नज़ीर
समय परिस्थितियों का सबसे बड़ा ‘स्वैपर’ होता है. वह इंसान के जीवन में भाग्य और परिस्थितियों को घड़ी के पेंडुलम की तरह पल-पल स्वैप करता रहता है. इसे ख़ुद खेलों को ‘स्वैप’ करने वाली विंबलडन की नई चैंपियन ऑस्ट्रेलिया की एश्ले बार्टी से बेहतर और कौन जान सकता है ! उनकी जीत समय के स्वैप की बेमिसाल नज़ीर भी है.
याद कीजिए क़रीब एक महीने पहले 03 जून का फ्रेंच ओपन का वाक़या. विश्व नंबर एक और 2019 की फ्रेंच ओपन चैंपियन एश्ले बार्टी इस वर्ष की भी फ्रेंच ओपन की संभावित चैंपियन मानी जा रही थीं. राउंड 2 में लिनेट के विरुद्ध 1-6, और 2-2 से पीछे थीं कि उन्हें कूल्हे की चोट के कारण मैच छोड़ना पड़ा. तब एक सपना धूल धूसरित हो रहा था. उम्मीदें किरच- किरच बिखर रहीं थीं. निराशा ने पंख फैला लिए थे और भाग्य ने मुंह मोड़ लिया था.
लेकिन एक महीने बाद ही समय ने पलटा खाया. अब समय एश्ले की गोद में किसी मासूम बच्चे-सा खिलखिला रहा था और एश्ले विंबलडन की हरी घास पर अपनी प्रतिद्वंद्वी कैरोलिना प्लिसकोवा को फ़ाइनल में 6-3, 6-7(4-7), 6-3 से हराकर नई चैंपियन बन समय को दुलार रही थीं. कुछ देर बाद समय एश्ले बार्टी के हाथों में ‘रोज़वाटर डिश’ के रूप में मुस्कुरा रहा था.
एश्ले पूरी प्रतियोगिता में चैंपियन की तरह खेलीं. फ़ाइनल तक के सफ़र में उन्होंने केवल एक सेट खोया. पहले राउंड में सुआरेज नवारो के विरुद्ध. फ़ाइनल में प्लिसकोवा के विरुद्ध भी शानदार शुरुआत की. किसी चैंपियन की तरह ही. उन्होंने लगातार पहले 14 अंक जीते और स्कोर 4-0 किया.
हालांकि यहां पर उनकी ख़ुद की दो सर्विस ब्रेक हुईं पर उन्होंने प्लिसकोवा की सर्विस पर कोई दया नहीं की और उनकी सर्विस ब्रेक कर पहला सेट आसानी से 6-3 से जीत लिया. लेकिन दूसरे सेट में अपनी दमदार पर सर्विस के बल पर प्लिसकोवा ने वापसी की और स्कोर 5-5 किया.
उसके बाद जब एश्ले 6-5 के स्कोर पर चैंपियनशिप के लिए सर्विस कर रही थीं तो प्लिसकोवा ने एश्ले की सर्विस ब्रेक कर स्कोर 6-6 किया और फिर सेट को टाई ब्रेक में 7-4 से जीत कर मुक़ाबले में जान डाल दी. 2012 के बाद यह पहला मौक़ा था जब हरी घास पर फ़ाइनल मुक़ाबला तीन सेट में पहुंचा. 2012 में वीनस विलियम्स ने पोलैंड की रदवांस्का को तीन सेटों में हराया था.
तीसरे सेट में एश्ले ने प्लिसकोवा को ज़्यादा छूट नहीं दी और अपने शानदार ग्राउंड स्ट्रोक्स और विशेष रूप से बैकहैंड स्लाइस और दमदार फोरहैंड स्ट्रोक्स से प्लिसकोवा को निरुत्तर कर दिया. सेट 6-3 से जीता और हरी घास की नई चैंपियन बन गईं.
दरअसल यह मुक़ाबला दो अलग क़द-काठी और खेल की अलग शैलियों के बीच था. एश्ले पांच फ़ीट पांच इंच लंबी दरम्याने क़द की हैं तो प्लिसकोवा छह फ़ीट एक इंच लंबी. इसी कारण प्लिसकोवा बहुत दमदार सर्विस करती हैं और यह उनके खेल की सबसे बड़ी ताक़त है.
हालांकि एश्ले दरम्याने कद के बावजूद बेहतर सर्विस करती हैं. पर उनके खेल की ताक़त उनके शक्तिशाली ग्राउंड स्ट्रोक्स और स्ट्रोक्स वैविध्य है. वे शानदार बैकहैंड स्लाइस करती हैं, डीप खिलाती हैं और नेट पर बेहतर खेलती हैं. दरम्याने कद और शॉट वैविध्य के कारण उनकी तुलना मार्टिना हिंगिस से की जाती है. आज उन्होंने प्लिसकोवा की सर्विस पर शानदार रिटर्न किए और बेहतरीन प्लेसिंग कर जीत हासिल की.
आज का फ़ाइनल तीन सेटों तक चलने के बाद भी बहुत शांत और उत्तेजनाहीन था. दोनों खिलाड़ी खेल के दौरान बहुत शांत थी, भावविहीन सी. बहुत आसान अंक गंवाने पर कोई खीझ नहीं और कठिन अंक जीतने पर ख़ुशी नहीं. दोनों ही खिलाड़ियों की भाव-भंगिमा में भी वो गति नहीं थी जो किसी खेल के फ़ाइनल में होनी चाहिए.
यह बात यक़ीनन विस्मित करती है. ऐसा लगता है मानो सेरेना विलियम्स की अनुपस्थिति में खेल श्रीहीन हो गया है. उनकी उपस्थिति से कोर्ट में जो गति और जीवंतता होती है वो निश्चय ही मिसिंग थी. पर दोनों ही खिलाड़ी जिस भावनाओं के उद्रेक को कोर्ट में खेल के दौरान रोके हुए थीं, उसे मैच के बाद के उद्बोधन में नहीं रोक सकीं.
ये एश्ले का दूसरा ग्रैंड स्लैम ख़िताब था. इससे पहले वे 2019 में फ्रेंच ओपन जीत चुकी थीं. आज जब वे जीत हासिल कर रहीं तो वे दस साल पहले शुरू किए जीत के सिलसिले को ही आगे बढ़ा रहीं थीं. वे यहां 2011 में जूनियर विंबलडन खिताब जीत चुकी हैं.
यह भी कि 41 साल बाद कोई ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ी यह ख़िताब जीत रही थीं. इससे पहले उनकी आदर्श रहीं इवान गूलागोंग काउले ने 1980 में यह ख़िताब दूसरी बार जीता था. गूलागोंग ने ओपन एरा में पहली बार 1971 में यह ख़िताब जीता था और इस वर्ष उस जीत की 50वीं वर्षगांठ थी.
जीत की 50वीं सालगिरह पर अपनी आदर्श गूलागोंग को एश्ले इससे बेहतर तोहफ़ा और क्या दे सकती थीं. एश्ले ने कहा भी कि ‘आज वे (गूलागोंग) गर्व महसूस कर रहीं होंगी.’
कमाल यह है कि 2014 में एश्ले ने टेनिस से ब्रेक लिया और क्रिकेट में हाथ आजमाया. वे ब्रिस्बेन क्रिकेट क्लब से अनुबंधित हुईं और छह मैच खेले. जिसमें 53 और 63 रन की दो शानदार पारियां और मध्यम तेज गति की गेंदबाजी करते हुए छह विकेट भी लिए. लेकिन 2016 में क्रिकेट को छोड़ फिर से टेनिस के संसार में लौट आईं और अपने लिए नए मक़ाम हासिल किए.
जो भी हो इस एक महीने में उन्होंने ज़रूर ही सीखा होगा कि जिस तरह हम अपनी पसंदीदा चीजों के बीच स्वैप करते रहते हैं, परिस्थितियां भी अच्छे और बुरे के बीच स्वैप करती रहती हैं.
फ़िलहाल हरी घास की नई चैंपियन को बधाई.
कवर | ट्विटर से
अपनी राय हमें इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.
अपना मुल्क
-
हालात की कोख से जन्मी समझ से ही मज़बूत होगा अवामः कैफ़ी आज़मी
-
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
-
सहारनपुर शराब कांडः कुछ गिनतियां, कुछ चेहरे
-
अलीगढ़ः जाने किसकी लगी नज़र
-
वास्तु जौनपुरी के बहाने शर्की इमारतों की याद
-
हुक़्क़ाः शाही ईजाद मगर मिज़ाज फ़क़ीराना
-
बारह बरस बाद बेगुनाह मगर जो खोया उसकी भरपाई कहां
-
जो ‘उठो लाल अब आंखें खोलो’... तक पढ़े हैं, जो क़यामत का भी संपूर्णता में स्वागत करते हैं