उत्तराखंड | दो दिनों में 70 हेक्टेयर जंगल जलकर राख
देहरादून | उत्तराखंड में जंगलों की आग विकराल हो गई है. पिछले दो दिनों में ही क़रीब 70 हेक्टेयर जंगल ख़ाक हो गए. सूबे के अलग-अलग हिस्सों में जंगल की आग में झुलसने से चार लोगों की जान चली गई. हालात बेकाबू होते देखकर इतवार को मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री से केंद्रीय मदद का आग्रह किया.
मुख्यमंत्री ने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने दो हेलीकॉप्टर मुहैया कराए हैं. इनमें एक हेलीकॉप्टर गौचर (चमोली) हवाई पट्टी से गढ़वाल के आग से प्रभावित इलाक़ों के लिए उड़ान भरेगा, दूसरे हेलीकॉप्टर का स्टेशन हल्द्वानी होगा.
गढ़वाल जाने वाला हेलीकॉप्टर श्रीनगर झील से पानी लेगा और कुमाऊं के प्रभावित इलाकों के लिए उड़ान भरने वाला हेलीकॉप्टर भीमताल झील से पानी लेगा. आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए वन विभाग में सभी अफ़सरों और कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है. उनसे लगातार प्रभावित इलाकों का दौरा करने को कहा गया है.
इस बार जाड़ों में सामान्य से भी कम बारिश और बर्फ़बारी होने से राज्य के जंगलों में अक्तूबर से ही आग भड़कने की घटनाएं होने लगी थीं. छह महीने में अब तक 1265 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं.
गढ़वाल के पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी तथा कुमाऊं के पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, रामनगर के जंगल वाले इलाक़ों अभी आग धधक रही है. शुक्रवार को चंपावत में ज़िला मुख्यालय से क़रीब 30 किलोमीटर दूर मंच गांव में जंगल की आग बस्ती तक पहुंच गई और करीब 16 घर जल गए. चमोली में थराली तहसील के बैनोली, लोल्टी, थाला और जटोरा के जंगलों में अब भी लपटें उठ रही हैं.
शनिवार को पौड़ी ज़िले के कोट ब्लाक में तुणख्या का प्राइमरी स्कूल जंगल की आग की चपेट में आ गया. कोरोना संक्रमण की वजह से यह स्कूल अभी बंद पड़ा था. टिहरी ज़िले के कीर्तिनगर ब्लॉक का गोरसाली गांव चारों ओर से जंगल की आग से घिर गया. वन विभाग ने ग्रामीणों और फ़ायर ब्रिगेड की मदद से आग पर काबू पा लिया. रुद्रप्रयाग और श्रीनगर इलाक़े के जंगलों से आग की लपटें और धुंआ उठता दिखाई दे रहा है.
देहरादून के अनूप नौटियाल जंगल में आग और इससे होने वाले जैव विविधता के नुकसान से लोगों को आगाह करते रहे हैं. उनका कहना है कि बीस वर्षों में यानी सन् 2000 से 2020 तक उत्तराखंड में 44000 हेक्टेयर से ज़्यादा जंगल आग से ख़त्म हो गए. इस क्षेत्रफल को समझने के लिए वह इसे फ़ुटबॉल के 82000 मैदान के बराबर इलाक़ा बताते हैं.
कवर | रुद्रप्रयाग का जंगल.
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