विशाखापत्तनम में बंदरगाह पर आग से 40 नाव जलीं
विशाखापत्तनम में बंदरगाह पर लगी भीषण आग से ज़रा-सी देर में मछली पकड़ने वाली चालीस नावें जलकर ख़ाक हो गईं.आगजनी से क़रीब 30 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है. दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग बुझाई. आग लगने का कारण अभी मालूम नहीं हो सका है. फिलहाल घटना में किसी के हताहत या घायल होने की सूचना नहीं है.
गाज़ा के अस्पताल से 30 बच्चे मिस्र ले जाए गए
गाज़ा के सबसे बड़े अस्पताल अल शिफ़ा के बाहर हमास आतंकवादियों और इस्राइली सेना के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद से ही बिजली आपूर्ति ठप है. अस्पताल में समय से पूर्व जन्मे 32 नवजात बच्चों की हालत बेहद गंभीर हो गई थी. बिजली न होने कारण इन्क्यूबेटर की जगह कंबलों में लपेट कर इनकी जान बचाने की डॉक्टरों की कोशिश की तस्वीरों ने दुनिया भर का ध्यान खींचा. इसके बाद संयुक्त राष्ट्रसंघ की पहल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने शनिवार को अस्पताल का दौरा किया. वहां 30 बच्चों की हालत बेहद गंभीर पाते हुए उन्हें वहाँ से निकालकर मिस्र के अस्पताल में भर्ती करा गया. ‘द ट्रिब्यून’ ने लिखा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है. टीम ने पाया कि अल शिफ़ा में 32 नवजात समेत 291 मरीज गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती थे. इनमें से कई घायलों के घावों में संक्रमण हो रहा था तो कुछ की रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण वे हिलने में भी असमर्थ थे.
‘दोहरी पृथ्वी परिक्रमा’ का रिकार्ड बनाने को तैयार 73 साल का भारतीय
पंजाब में जन्मे और करीब 50 वर्षों से आयरलैंड के शहर लिमरिक में रहने वाले 73 साल के व्यक्ति ने दावा किया है कि वह दुनिया के पहले आदमी हैं, जिन्होंने पैदल चलकर ‘पृथ्वी की दोहरी परिक्रमा’ की है. गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने के लिए भेजे आवेदन में विनोद बजाज ने बताया है कि पृथ्वी की परिधि के बराबर दूसरी बार पदयात्रा 1114 दिन में पूरी हुई, जिसमें सितंबर 2020 में पूरी की गई पहली यात्रा से 382 दिन कम लगे. हालांकि उनकी पत्नी ने उन्हें दूसरी बार यात्रा से रोकन की कोशिश की कि कहीं इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े. रिटायर्ड इंजीनियर और बिजनेस कंसलटेंट बजाज चेन्नई में पढ़े-बढ़े और 1975 में स्कॉटलैंड आए. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने लिखा है कि वज़न कम करने के लिए अगस्त 2016 में उन्होंने पैदल चलना शुरू किया. बाद में इसी से उन्हें विभिन्न मार्गों पर यात्रा की प्रेरणा मिली. पैदल चलने का अभ्यास मौसम की दुश्वारियों के कारण बाधित न हो, इसके लिए उनके मार्गों में इन्डोर मॉल भी शामिल रहे.
आईएमए और ट्रेंड नर्सेज एसोसिएशन को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार
इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण एवं विकास पुरस्कार-2022 संयुक्त रूप से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और ट्रेंड नर्सेज़ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (टीएनएआई) को संयुक्त रूप से दिया गया. इतवार को दिल्ली में हुए समारोह में पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी से यह पुरस्कार आईएमए के डॉ.शरद कुमार अग्रवाल और टीएनएआई के अध्यक्ष राय के. जार्ज ने प्राप्त किया. इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा हर साल दिए जाने वाले इस पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र और 25 लाख रुपये नक़द दिए जाते हैं. इस मौके पर ट्रस्ट की मुखिया और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं. ‘द हिंदू’ की ख़बर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उन सभी डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ़ व कर्मचारियों के नाम है, जिन्होंने कोरना काल में लोगों की निस्वार्थ सेवा की.
23 साल बाद मेजर की पत्नी को स्पेशल फ़ेमिली पेंशन
एक मेजर की विधवा को सेना से 23 साल ‘जंग’ लड़नी पड़ी तब कहीं जाकर उन्हें स्पेशल फ़ेमिली पेंशन मिल सकी. सैन्य ट्रिब्यनल (एएफटी) ने उन्हें पेंशन का हक़दार मानते हुए अफ़सरों को दिए निर्देश में कहा कि जिसने भारतीय सेना के लिए अपने बेशकीमती 12 साल दिए हों, उसकी मौत पर ‘मशीनी या बेहद तकनीकी’ पद्धति नहीं अपनानी चाहिए. मेजर तनाव के कारण हुए ब्रेन हैमरेज के कारण बाथरूम में मृत मिले थे. जस्टिस राजेंद्र मेनन (रिटायर्ड) और लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती (रिटायर्ड) की एएफ़टी दिल्ली की बेंच मेजर (स्व) संजीव चड्ढा की पत्नी बिंदु चड्ढा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. संजीव की मृत्यु 3 सितबंर 2000 को हुई थी. अधिकारियों ने इसे स्पेशल फ़ेमिली पेंशन का केस नहीं माना. बिंदु के वकील की दलील थी कि मेजर हेडक्वार्टर में तैनाती के दौरान हाइपर टेंशन का शिकार हुए. वही ब्रेन हैमरेज का कारण बना. ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने लिखा है कि सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने फ़ैसला बिंदु के पक्ष में दिया. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को उन्हें दो माह के भीतर स्पेशल फ़ेमिली पेंशन देने का आदेश पारित किया.
चयन-संपादन | शरद मौर्य/ सुमित चौधरी
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