एनसीआरबी रिपोर्ट | कोलकाता सबसे सुरक्षित शहर

  • 10:04 pm
  • 5 December 2023

देश के महानगरों में कोलकाता सबसे सुरक्षित शहर माना गया है, जहाँ प्रति लाख आबादी पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के हवाले से ‘टेलीग्राफ़ इंडिया डॉट कॉम’ लिखा है कि लगातार तीसरे साल कोलकाता ने यह दर्जा हासिल किया है. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि सन् 2022 में कोलकाता में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के 86.5 मामले दर्ज किए गए, पुणे (280.7) और हैदराबाद (299.2) दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे. कलकत्ता में 2021 में ऐसे 103.4 मामले दर्ज हुए थे, जो घटकर 86.5 रह गए. बीस लाख से अधिक आबादी वाले 19 शहरों के बीच तुलना के बाद यह रैंकिंग जारी की गई. हालाँकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलकाता में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध बढ़े हैं, 2021 में ऐसे 1,783 मामले दर्ज हुए, जो 2022 में बढ़कर 1,890 हो गए.

लद्दाख सीमा पर बैक्ट्रियन ऊंटों से गश्त करेंगे सेना के जवान

चीन के साथ तनातनी वाली लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर गश्त के लिए अब पूर्वी लद्दाख में बैक्ट्रियन ऊंट का इस्तेमाल किया जाएगा. इनका फ़ायदा यह है कि गश्त के अलावा ज़रूरत पड़ने पर ये ऊंट विषम परिस्थितियों वाले लद्दाख में सामान की ढुलाई के काम भी आएंगे. बता दें कि बैक्ट्रियन ऊंटों की पीठ पर दो कूबड़ होते हैं. मध्य एशिया मूल का होने के कारण इन्हें मंगोलियाई ऊंट भी कहा जाता है. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट में कह गया है कि ये ऊंट पूर्वी लद्दाख की 17000 फ़ीट की ऊंचाई पर 170 किलो का बोझ उठाकर आसानी से चल सकते हैं. इनसे एक बार में 15 किलोमीटर तक घूमा जा सकता है. सबसे बड़ी बात यह कि अब तक इस्तेमाल किए जा रहे खच्चरों की ढुलाई क्षमता 40 किलो ही है. ये क्षेत्र के स्थानीय पशु हैं और इनकी तादाद भी काफ़ी है.

सोशल मीडिया की लत से बचाने को खेलों को बढ़ावा
हरियाणा में नूह पुलिस ने युवाओं को सोशल मीडिया की लत से बचाने के लिए खेलों को बढ़ावा देना शुरू किया है. उसने सात मृतप्राय स्टेडियम, पांच व्यायामशालाओं और दो मैदानों को अपने अधिकार में ले लिया है. इनमें पूर्व सैनिकों की मदद से युवाओं को खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. चार ब्लाकों में शुरू की गई इस कोशिश के अच्छे परिणाम आने की उम्मीद इसलिए भी बंधती है कि रोज़ 30-40 नौजवान स्टेडियम पहुंच रहे हैं. यह योजना एसपी नरेंद्र बिजारनिया के दिमाग की उपज है. दरअसल, अगस्त में हुए नूह के दंगे की जांच में पाया गया था कि इसका बड़ा कारण पढ़ाई छोड़कर सोशल मीडिया पर शब्दों का युद्ध लड़ने वाले युवाओं के समूह रहे. उन्होंने अफ़वाहें भी फैलाईं. एक सर्वे के मुताबिक नूह में हर दूसरे घर का युवा अशिक्षित और बिना किसी कौशल का है. ये सोशल मीडिया पर ही समय बिताते हैं. एसपी ने ‘द ट्रिब्यून’ से कहा कि खेलों से इन युवाओं में हुनर तो आएगा ही, नकारात्मकता भी दूर होगी.

ख़ुदकुशी करने वालों में मजदूर और किसान सबसे ज़्यादा
वर्ष 2022 में देश भर में दर्ज हुई आत्महत्या की 1.7 लाख घटनाओं में एक तिहाई दिहाड़ी व खेतिहर मजदूर और किसान रहे. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. घरेलू कलह और बीमारी से परेशानी खुदकुशी के सबसे बड़े कारणों के रूप में सामने आया है. इन कारणों से खुदकुशी के मामले कुल मामलों के करीब आधे हैं. एक तथ्य यह भी है कि आत्महत्या करने वालों में 9.6 प्रतिशत लोग स्वरोजगार कर रहे थे या वेतनभोगी थे. वहीं, खुदकुशी करने वाले बेरोजगारों की संख्या भी करीब इतनी ही, कुल घटनाओं का 9.2 प्रतिशत रही. ‘द हिंदू’ की ख़बर के मुताबिक, साल 2022 में 12,000 से ज्यादा विद्यार्थियों और लगभग 48,000 महिलाओं ने भी जान दी है. महिलाओं में ज्यादातर ने विवाह संबंधी मसलों पर अपनी जान दी, जिसमें दहेज भी शामिल है.

लेबर सर्वेः पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी सबसे ज्यादा

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के अनुसार 33.9 प्रतिशत के साथ बेरोजगारी में शीर्ष पर है. 15 से 29 साल के इस राज्य के श्रमिकों को शहरों में काम नहीं मिल पा रहा है. जुलाई-सितबर 2023 की अवधि में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ़िस द्वारा किए गए इस सर्वे के मुताबिक 30.2 प्रतिशत के साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर है. पीएलएफएस डाटा के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में 49.2 प्रतिशत महिलाएं और 25.3 प्रतिशत पुरुष बेरोजगार हैं. राजस्थान में 39.4 प्रतिशत महिलाएं और 27.2 प्रतिशत पुरुषों के पास काम नहीं है. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने लिखा है कि उच्च बेरोजगारी दर वाले राज्य में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर भी शामिल है. यहां श्रमिक बेरोजगारी दर 29.8 प्रतिशत है जिसमें 51.8 फीसदी महिलाएं व पुरुष 19.8 प्रतिशत पुरुष शामिल हैं. देश में 15 से 29 साल के आयु वर्ग में ओवरऑल बेरोजगारी 17.3 प्रतिशत है.

चुनाव ख़त्म होते ही बिजली दरों में इजाफ़े की तैयारी

पांच राज्यों के चुनाव नतीजों का जश्न मना रहे पार्टी समर्थकों को अब चुनाव ख़त्म होने के झटके लगना भी शुरू हो जाएंगे. पहली ख़बर राजस्थान से आई है. यहां बिजली कंपनियों ने रेट बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है. जयपुर, अजमेर व जोधपुर डिस्कॉम ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में दरों में बढ़ोतरी की याचिका लगाई है. माना जा रहा है कि 20 फीसदी तक वृद्धि की मांग की जा सकती है. हालांकि अंतिम फैसला आयोग का ही होगा जिसमें दो से छह महीने का समय लगता है. ‘दैनिक भास्कर’ की ख़बर के अनुसार, डिस्कॉम को 30 नवंबर तक याचिका लगानी होती है. हर बार इसमें देर हो जाती है. पिछले साल याचिका में दर बढ़ाने की मांग नहीं की गई थी. यह भी जान लें, बिजली वितरण कंपनियां 76 हजार करोड़ के घाटे में हैं. इसका बड़ा कारण मुफ्त बिजली, स्थायी शुल्क और फ्यूल सरचार्ज माफी जैसी योजनाएं हैं. हाल यह है कि कंपनियों को सरकार भुगतान नहीं कर रही और वे उत्पादन कंपनियों को. करोड़ों रुपये ब्याज के रूप में भी चुकाने पड़ते हैं.

चयन-संपादन | शरद मौर्य


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