टेनेसी में तूफान से तबाही, छह लोगों की मौत
अमेरिका के टेनेसी में भीषण तूफान और बवंडर से शनिवार को व्यापक तबाही हुई है, कम से कम छह लोगों की जान चली गई और बड़े इलाक़े में बिजली गुल हो गई. ड्रेसडेन में तूफान की चपेट में आने से तमाम पेड़, बिजली की लाइनें और घरों को नुक़सान पहुँचा है. स्थानीय आपातकालीन सेवाओं के अफ़सरों ने व्यापक नुक़सान की जानकारी दी है. ‘द हिंदू’ के मुताबिक टेनेसी में मोंटगोमरी काउंटी के फ़ेसबुक पेज पर तीन लोगों की मृत्यु और 23 लोगों के अस्पताल में होने की जानकारी दी गई है. एक्स पर नैशविले के उपनगरीय इलाके में तीन और मौतों की ख़बर मिली है.
छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे विष्णुदेव साय
छत्तीसगढ़ को आदिवासी राज्य कहा जाता है, क्योंकि यहां की 32 फ़ीसदी आबादी शेड्यूल्ड ट्राइब श्रेणी में है. आदिवासी समुदाय से आने वाले बीजेपी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया है. वह इस समाज से आने वाले पहले मुख्यमंत्री होंगे. ‘अमर उजाला डॉट कॉम’ की ख़बर के मुताबिक, विष्णु देव साय के राज्य का सीएम बनने की एक बड़ी वजह गृहमंत्री अमित शाह का बयान है. चुनाव के दौरान अमित शाह ने बस इतना ही कहा था, ‘इनके बारे में मैंने कुछ बड़ा सोचा है.’ प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में कुछ बड़ा सोचा है, का मतलब मुख्यमंत्री बनाना ही होता है और शाह ने अपना वादा आख़िर पूरा किया. साय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का भी क़रीबी माना जाता है. वह इससे पहले वो छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष और मोदी सरकार की पहली पारी में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं.
रिपोर्टः नाम फास्ट ट्रैक लेकिन चाल सुस्त
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) की नई रिसर्च चौंकाने वाली है. इसकी रिपोर्ट बता रही है कि प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ़्रॉम सेक्सुअल आफ़ेन्सेस (पाक्सो) के मुक़दमों के निस्तारण के लिए देशभर में बनीं हज़ार से ज्यादा विशेष फ़ास्ट ट्रैक अदालतें साल में 28 मामले ही निपटा पा रही हैं. इनसे, हालांकि 165 केसों के निस्तारण की उम्मीद की गई थी. हाल यह है कि 31 जनवरी 2023 को इन अदालतों में पाक्सो के 2.43 लाख मुकदमे लंबित थे. 2019 में गठित इन अदालतों से उम्मीद की गई थी कि वे दर्ज मामलों में एक साल के भीतर फ़ैसला दे देंगी. ‘द हिंदू’ ने लिखा है कि आईसीपीएफ़ का पेपर ‘जस्टिस अवेट्स’ बताता है कि पाक्सो मामलों के निस्तारण का जो तरीक़ा अपनाया जा रहा है, उसमें अरुणाचल प्रदेश में लंबित मामलों को ही निस्तारित होने में 30 साल लगेंगे.
शिक्षा ऋण के आवेदकों में महाराष्ट्र के विद्यार्थी सबसे आगे
भारत या विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए ऋण के लिए आवेदन करने वाले सबसे अधिक विद्यार्थी छात्र महाराष्ट्र के हैं. वहीं, उत्तर भारत में हरियाणा के विद्यार्थियों ने पंजाब को दूसरे नंबर पर खिसका दिया है. निजी और सरकारी दोनों ही बैंकों में किए गए आवेदनों का यह हाल पिछले पांच साल से है. संसद में रखे गए वर्ष 2018-19 के आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा के 4,716 और पंजाब के 4297 छात्रों ने शिक्षा ऋण के लिए आवेदन किए थे. अगले साल हरियाणा से 23.4 प्रतिशत तो पंजाब से 29.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ क्रमशः 5818 व 5574 आवेदन किए गए. 2020-21 में कोरोना के प्रभाव से आवेदक हरियाणा में 6.7 प्रतिशत तो पंजाब में 18 प्रतिशत आवेदक घटे. ‘द ट्रिब्यून’ की ख़बर के मुताबिक, लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री भगवत कराड़ ने बताया कि 2022-23 में देश में सबसे ज्यादा 78,686 आवेदन महाराष्ट्र से बैंकों के पास पहुंचे. इसके बाद केरल (66,586) और तमिलनाडु (60,550) का नंबर रहा.
आईएएस बनने में इंजीनियरिंग स्नातकों का दबदबा
भारतीय प्रशासनिक सेवा की प्रतियोगी परीक्षा में इंजीनियरिंग और बीई करनेवाले छात्रों का पिछले पांच साल से दबदबा कायम है. आईएएस बने 66 से 60 प्रतिशत अभ्यर्थी इंजीनियरिंग बैक ग्राउंड के ही रहे हैं. उत्तर प्रदेश के उम्मीदवार 18 वर्षों से देश में सबसे आगे हैं. 2017 के बैच में 66 प्रतिशत चयनित अभ्यर्थी इंजीनियर थे. 2021 में उनकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत रही. बीटेक व बीई डिग्रीधारियों की सफलता का प्रतिशत और भी ज्यादा है. 2017 बैच में 77.6 प्रतिशत इंजीनियरिंग ग्रेजुएट थे जबकि 2021 में 72 प्रतिशत. 2017 बैच के सफल उम्मीदवारों में 52 प्रतिशत तो 2021 में 61 प्रतिशत एमए डिग्रीधारी थे. सिविल परीक्षा में ह्यूमैनिटीज लेने वाले अभ्यर्थी ज्यादा सफल रहे हैं भले उनका बैकग्राउंड कुछ भी रहा हो. ‘दैनिक भास्कर’ के विश्लेषण में साफ़ हुआ है कि 2005 से 2022 तक 12 वर्षों में सर्वाधिक 34 आईएएस उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों में से चुने गए. तमिलनाडु व राजस्थान से 20-20 चुने गए थे.
42वाँ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला
राजधानी के प्रगति मैदान में चल रहे 42वें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में आज छुट्टी वाले दिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. मेला अंतिम दौर में होने के कारण विक्रेताओं ने उत्पादों पर भारी छूट दी. मेले में लोगों की भीड़ सबसे ज्यादा विदेशी स्टॉलों-थाईलैंड, अफ़गानिस्तान, दुबई और तुर्की के स्टॉलों पर दिखी. इसके अलावा लोग, सरस आजीविका मेला, खादी उत्पाद व साझेदार राज्य बिहार-केरल के हस्तोकरघा और हस्तशिल्पो उत्पाद भी खरीदते हुए दिखे. ‘आकाशवाणी’ से अपने विचार साझा करते हुए विक्रेताओं ने बताया कि वह मेला ख़त्म होने से पहले अपने सभी उत्पाद ख़त्म करना चाहते हैं, इसलिए उत्पादों पर भारी छूट दे रहे हैं. मेले में बेहतर इंतजाम के लिए विक्रेताओं ने आयोजक और सरकार की भी प्रशंसा की है. इसी माह 27 तारीख तक चलने वाले मेले की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ रखी गई है.
कवर | एक्स से साभार
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