प्रदूषण का ग्रहणः प्रवासी परिंदों की तादाद घटी

  • 9:14 pm
  • 18 December 2023

देश की 75 रामसर साइट्स में एक गुरुग्राम के सुल्तानपुर नेशनल पार्क में इस साल आने वाले प्रवासी पक्षियों की तादाद में 20 फ़ीसदी तक गिरावट दर्ज हुई है. इसे लगातार प्रदूषण, स्मॉग और बदली जलवायु का असर माना जा रहा है. पहले इस वेटलैंड में हर साल तमाम प्रजातियों के प्रवासी पक्षी बड़ी तादाद में जुटा करते थे. इस बार आधे से ज़्यादा दिसबंर बीत जाने के बाद भी वैसी ठंड नहीं पड़ रही है, जैसी कि हमेशा पड़ती आई है. लंबे समय तक बनी रही ख़राब हवा को दूसरी वजह माना जा रहा है. वाइल्ड लाइफ़ इंस्पेक्टर राजेश चहल ने ‘द ट्रिब्यून’ को बताया कि अब भी दूसरे पक्षियों के आने का इंतज़ार है, हालाँकि उन्होंने माना कि इन मेहमानों की आवक पर स्मॉग का बड़ा असर पड़ा. जी20 के तहत हुए कार्यक्रम के बाद सुल्तानपुर पार्क ज्यादा चर्चा में आया. इसके बाद से यहां आने वालों सैलानियों की संख्या 30 प्रतिशत बढ़ी है. अफ़सरों की ज्यादा चिंता बसाई और चंडू भूदेरा वेटलैंड को लेकर हैं, जहां बहुत ही कम प्रवासी पक्षी पहुंचे हैं.

राज्यसभा और लोकसभा से विपक्ष के 78 सांसद निलंबित

राज्यसभा और लोकसभा में आज कुल 78 विपक्षी सांसदों को शीतकालीन सत्र के बचे हुए कार्यदिवस के लिए निलंबित कर दिया गया. लोकसभा में हंगामे पर सख्त कार्रवाई करते हुए आसन ने 33 सांसदों को निलंबित किया है, जबकि राज्यसभा में सभापति ने 45 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड कर दिया. ‘नवभारत टाइम्स’ के मुताबिक, लोकसभा में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी सदस्यों को निलंबित करने की मांग रखी. इसके बाद आसन ने इन सदस्यों को निलंबित कर दिया. पिछले शुक्रवार को लोकसभा में 14 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. इस प्रकार अब तक राज्यसभा और लोकसभा मिलाकर कुल 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया जा चुका है. सांसदों को निलंबित करने के बाद लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. स्पीकर ओम बिरला ने सभी सदस्यों से सदन में प्लेकार्ड यानी तख्तियां नहीं लाने का आग्रह किया था. मगर संसद की सुरक्षा में चूक के मामले पर विपक्षी सांसद लगातार तख्तियां आसन के सामने दिखा रहे थे.

दस हज़ार कारीगर इस्राइल भेजेगा हरियाणा
बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार आलोचनाएं झेल रही हरियाणा सरकार ने 10,000 कुशल कारीगरों को निर्माण कार्यों में मदद के लिए इस्राइल भेजने का फ़ैसला किया है. इन्हें वहां सेरेमिक टाइल्स, दीवार पर प्लास्टर और लोहे से जुड़े का काम करने के लिए भेजा जाएगा. दरअसल, हमास के ख़िलाफ़ युद्धरत इस्राइल में निर्माण के तहत होने वाले काम करने वालों की भारी कमी हो गई है. हरियाणा स्किल इम्प्लायमेंट कारपोरेशन ने भर्ती की सूचना जारी की है. 25 से 45 साल उम्र और कम से कम तीन साल का अनुभव रखने वाले कारीगर आवेदन कर सकते हैं. इन्हें वहां महीने 26 दिन में 236 घंटे काम करना होगा. भारतीय रुपयों में उन्हें 1.38 लाख रुपये मेहनताना हर महीने मिलेगा. ‘द डेली गार्जियन’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि कारपोरेशन ने दुबई के लिए 40 बाउंसरों और ब्रिटेन में काम करने के लिए 120 नर्सों के आवेदन भी माँगे हैं. हरियाणा में बेरोजगारी की दर 2013-14 में करीब 2.9 प्रतिशत थी, जो 2021-22 में बढ़कर 9 प्रतिशत हो गई.

गया के किसान ने केसर उगाया
केसर मुख्यतः कश्मीर में पैदा होता है और इसके मूल में वहाँ का मौसम और तापमान का है. इस क़ीमती उत्पाद के लिए ठंडे मौसम की ज़रूरत होती है. बिहार में गया ज़िले के किसान आशीष कुमार सिंह ने केसर उगाने का प्रयोग करने की ठानी और उन्हें सफलता भी मिली है. उन्होंने अपने गांव टिकारी प्रखंड के गुलरिया चक गांव में केसर के 300 कंद लगाए थे, जिनसे अब फूल व पत्ते निकलने लगे हैं. ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में उन्होंने कहा कि केसर के फूल निकलने के लिए 12 से 19 डिग्री तापमान की ज़रूरत होती है. गया में इन दिनों 12-13 डिग्री तापमान मिल जाता है. आशीष ने बताया कि प्याज सरीखे कंद की अगस्त-सितंबर में रोपाई होती है. दिसंबर से फरवरी तक इसके पत्ते-फूल साथ-साथ निकलते हैं. 15-25 सेंटीमीटर ऊंचे पौधों के बीच से ही पुष्पदंड निकलता है. एक फूल से तीन केसर मिलता है. उन्हें इस साल 100 ग्राम केसर के उत्पादन की उम्मीद है. खेती पर लागत छह हजार रुपये आई है, जबकि बाज़ार में 100 ग्राम केसर की क़ीमत 50 हजार रुपये है. वह अगले साल बड़े पैमाने पर खेती की योजना बना रहे हैं.

यीशु के जन्मस्थान पर उत्सव की जगह सन्नाटा
कितना अजब है, दुनिया भर में जहां प्रभु यीशु का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की तैयारियां चल रही हैं, वहीं उनके जन्मस्थान बेथलहम में सन्नाटा है. 25 दिसंबर को भी वहां न तो उत्सवी सजावट दिखेगी और न ही मैनेजर स्क्वार पर सजने वाला क्रिसमस ट्री ही दिखाई देगा. यह हमास-इस्राइल युद्ध का ग्रहण है, जिसकी छाया यहां के पारंपरिक आयोजन पर भी पड़ी है. मेयर हाना हेनाह का कहना है कि फ़लस्तीनियों की पीड़ा के दौरान आनंद उत्सव मनाना अनुचित है. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने लिखा है कि क्रिसमस कार्यक्रमों में शरीक होने के लिए हज़ारों पर्यटक यहाँ आते थे. इस बार के हालात से पर्यटन आधारित शहर की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट भी पहुंचेगी. मेयर ने कहा कि अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है. लेकिन इस बर्बादी की पीड़ा उससे कम है, जो बेथलहम और गाज़ा के लोगों को सहनी पड़ रही है. दरअसल, 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने के बाद से ही सबसे मुश्किल इस्राइल अधिकृत वेस्ट बैंक को पार करना है. यहां इस्राइली सेना के चेक पोस्ट से गुज़रने के लिए मोटरों की लंबी कतारें लग रही हैं. हाल यह है कि प्रतिबंधों के चलते इस्राइल में काम कर रहे फ़लस्तीनी भी अपने ठिकानों से निकल नहीं पा रहे हैं.

चयन-संपादन | शरद मौर्य /सुमित चौधरी


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