एसओपी | उड़ानों में देरी के बारे में समय से बताएं एयरलाइंस
मौसम की ख़राबी और घने कोहरे के चलते उड़ानों में देरी या उड़ान रद्द हो जाने की वजह से यात्रियों की परेशानी के मद्देनज़र नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सोमवार को एयरलाइंस के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की. एयरलाइंस से कहा गया है कि कोहरे की वजह से उड़ान में देरी के बारे में यात्रियों को सटीक और सही समय पर जानकारी दी जाए. डीजीसीए ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि यह जानकारी एयरलाइन की वेबसाइट पर दिए जाने के साथ ही यात्रियों को एसएमएस, व्हाट्सएप और ई-मेल के ज़रिये भी साझा की जानी चाहिए.
यह भी कहा गया है कि हवाई अड्डों पर तैनात एयरलाइंस के कर्मचारियों को ऐसी परिस्थिति में मुसाफ़िरों से पेश आने के तौर-तरीक़ों और संवाद के बेहतर ढंग का प्रशिक्षण दिया जाना ज़रूरी है.‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने लिखा है कि यह एसओपी ऐसे समय जारी की गई है जब तमाम यात्री उड़ान में बेहिसाब देरी से होने वाली अपनी मुश्किलें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं और इसे लेकर ख़ासी फज़ीहत हो रही है.
तनाव कम करने के लिए ‘फ़ॉरेस्ट बेदिंग’ करते हैं जापानी
‘फ़ॉरेस्ट बेदिंग’ सुनकर जंगल में स्नान करने जैसा बोध हो सकता है लेकिन यह दरअसल जापान में प्रचलित तनाव कम करने की लोकप्रिय मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है. जापानी भाषा में इसे ‘शिनरिन योकु’ कहते है. इसकी शुरुआत 1980 में हुई थी. यह कोई कसरत, जॉगिंग या हाईकिंग नहीं है बल्कि प्रकृति से सीधा जुड़ाव है. इसमें लोगों को चिड़ियों की आवाज़ सुनने, पेड़ों को गले लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है. खुली हवा में सांस लेने, फूलों की महक और हरियाली को महसूस करने को ही ‘फ़ॉरेस्ट बेदिंग’ नाम दिया गया है. 1982 में कृषि विभाग के प्रयासों से इसे लोकप्रियता मिली. धीरे-धीरे यह जापान के कई प्रांतों ही नहीं, कई देशों में भी चलन में आ गया. अब तो फ़िनलैंड, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में इसे सरकारी तौर पर बढ़ावा देने की कोशिशें हो रही हैं. ‘फ़ॉरेस्ट बेदिंग’ के लिए जंगल तय किए जा रहे हैं. अध्ययन से पता चला कि इससे तनाव कम होता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है. ‘दैनिक भास्कर’ ने लिखा है कि जापान में तो स्पेशल टुअर आयोजित किए जाते हैं, जिसमें गाइड और थेरेपिस्ट भी होते हैं जो लोगों को प्रकृति को महसूस करने के तरीक़े सिखाते हैं. जंगल में टी-सेरेमनी के साथ टुअर का समापन होता है.
इस्राइल ने दोहरायाः हमास पर जीत से पहले युद्ध नहीं रुकेगा
हमास के साथ युद्ध के 100 दिन पूरे हो चुके हैं. इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि कोई भी, भले अंतरराष्ट्रीय अदालत ही क्यों न कहे, हमास को पराजित किए बिना युद्ध नहीं रुकेगा. टेलीविज़न पर अपने संबोधन में उन्होंने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में चली सुनवाई का ज़िक्र करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका की ओर से अदालत में इस्राइल पर लगाए गए फ़लीस्तीनियों के नरसंहार के आरोप पांखडपूर्ण और निंदा के योग्य हैं. दरअसल, दक्षिण अफ्रीका ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में याचिका डालकर अपील की है कि इस्राइल को युद्ध रोकने का अंतरिम आदेश जारी किया जाए. इसी पर उन्होंने कहा कि युद्ध किसी के कहने पर पर नहीं रोका जाएगा. उनका इशारा ईरान समर्थित आतंकी समूहों की ओऱ भी था. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका का अंतरराष्ट्रीय अदालत में कहना था कि फ़ैसले में देर लगेगी लेकिन अंतरिम आदेश जल्दी जारी किया जा सकता है. माना जा रहा है कि एक-दो हफ्तों में अंतरिम आदेश आ सकता है. यह बाध्यकारी तो है लेकिन इसको लागू करना बड़ी समस्या होगी. नेतन्याहू के आदेश न मानने के एलान से इस्राइल अलग-थलग पड़ सकता है और उस पर युद्ध रोकने का अंतराराष्ट्रीय समुदाय का दबाव बढ़ सकता है.
मालदीव ने कहाः भारतीय सेना को 15 मार्च तक लौटना होगा
मालदीव से भारतीय सेना की वापसी पर दोनों देशों के अफसरों की रविवार को माले में आधिकारिक बातचीत हुई. इसके बाद राष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारी अब्दुल्ला नाजिम इब्राहिम ने मीडिया से कहा कि भारतीय सैनिक 15 मार्च 2024 के बाद मालदीव की धरती पर न रहें, यह राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और उनके प्रशासन की राय है. उन्होंने कहा कि भारतीय विमान सेवाओं के संचालक चाहें तो अपनी सेवाएं जारी रख सकते हैं. यूएई में पिछले महीने हुए कॉप-28 के दौरान हुई मुईज्जू और भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात के बाद माले में होने वाली बैठक की रूपरेखा तय हुई थी. ‘द ट्रिब्यून’ के मुताबिक, विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में 15 मार्च का ज़िक्र नहीं है. इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने सैन्य प्लेटफार्म पर मानवीय सहायताएं जारी रखने के उपायों पर बातचीत की. दोनों पक्षों ने चल रहे विकास कार्यों में सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति जताई है. इस बीच, नाम लिए बिना भारत पर कड़ी टिप्पणी करने वाले राष्ट्रपति मुईज्जू की सरकार ने कहा है कि मालदीव खाद्य और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भारत पर अपनी निर्भरता को कम करेगा. इससे भी दोनों देशों के बिगड़ते रिश्तों का पता चलता है.
चयन-संपादन | शरद मौर्य/ सुमित चौधरी
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