50 हजार स्कूली बच्चों ने लिख दीं एक हज़ार किताबें

  • 8:53 pm
  • 15 February 2024

उत्तरी केरल की कन्नूर पंचायत ने ज़िले के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के पचास हज़ार से ज्यादा छात्रों की लिखी हुई एक हज़ार से ज़्यादा किताबें छापी हैं. ऐसा पहली बार देखा गया कि इतनी बड़ी संख्या में छात्र इतनी सारी किताबें लिखने के साथ ही कवर डिज़ाइन, संपादन और इलस्ट्रेशन बनाने में जुटे रहे. यूनिवर्सल रिकॉर्ड्स फ़ोरम के अधिकारियों ने इसे “एक स्थान पर प्रकाशित सबसे अधिक पुस्तकें” बताते हुए एक प्रमाण-पत्र दिया है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मलयालम में लिखी गई 1,056 पुस्तकों का अनावरण किया, जो पूरी तरह से कन्नूर के कुल 1100 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में से 1,020 स्कूलों के 50,000 से अधिक विद्यार्थियों ने लिखी हैं.
ये किताबें पंचायत के ‘मेरी किताब मेरा स्कूल’ नाम के प्रोजेक्ट के तहत छापी गईं. इन किताबों में लघु कथाएं, कविता, नाटक, यात्रा वृतांत और विज्ञान पर लेख शामिल हैं और कक्षा 1 से 12 वीं के छात्रों ने ये किताबें लिखी हैं. जबकि 1,000 छात्रों ने प्रविष्टियां संपादित की हैं. इतनी ही तादाद में विद्यार्थियों ने हर किताब का कवर बनाने के लिए अपने कलात्मक कौशल का प्रयोग किया. ‘द टेलीग्राफ़’ के मुताबिक, कैराली बुक्स के प्रबंध निदेशक ओ.अशोक कुमार ने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि ये किताबें राज्य के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में मुहैया कराई जा सकें.

सेंसर पहले ही बता देगा, भैंस कम दूध देगी
हिसार का केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र (सीआईआरबी) ऐसा सेंसर बनाने जा रहा है, जो भैंसों की सेहत सहित तमाम गतिविधि पर नज़र रखेगा, यहाँ तक कि उनके दूध की मात्रा पर भी. सेंसर किसान के मोबाइल पर मैसेज भेज देगा कि कौन-सी भैंस कल कम दूध देने वाली है और इसका कारण क्या है? कौन सी भैंस बीमार होने वाली है या पिछले कुछ दिनों से कम चारा खा रही है, यह भी पता चल जाएगा. इसका समाधान भी बताया जाएगा. डॉ. अशोक बल्हारा के नेतृत्व में सीआईआरबी अप्रैल से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करेगा. बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन इसके लिए 15 करोड़ रुपये देगा. सीआईआरबी के वैज्ञानिक आईआईटी रोपड़ और ऑस्ट्रेलिया को ऑडलेड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर सेंसर बनाएंगे. सेंसर भैंस के शरीर में लगेगा. हर गांव में एंटिना होगा, जो सीआईआरबी के सर्वर से जुड़ेगा. सेंसर से भैंसों का हर तरह का डाटा इकट्ठा होता रहेगा. वैज्ञानिक इस डाटा के आधार पर किसानों को सुझाव देंगे. डायरेक्टर डॉ. टीके दत्ता ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया हमारे देश में ज़्यादातर किसान ही भैसें पालते हैं, ऐसे में उनकी ढंग से मॉनीटरिंग नहीं हो पाती मगर आइंदा ऐसा संभव हो सकेगा.

बुंदेलखंड में विकास की 1,249 करोड़ की परियोजनाएं
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास ने बुंदेलखंड को पर्यटकों की पसंदीदा जगह बना दिया है. अपनी इसी विशिष्ट पहचान के बल पर इसने पर्यटन के क्षेत्र में एमओयू के बूते मान्यता भी पाई है. ये एमओयू 1,249 करोड़ रुपये की लागत वाले हैं, 19 फरवरी को शिलान्यास समारोह के साथ जिनको अमल में लाने का काम शुरू होगा. क्षेत्र के सभी सात ज़िले – झाँसी, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, ललितपुर और महोबा की अपनी अद्वितीय पहचान, संस्कृति और इतिहास रहा है. बुंदेलखंड में लगभग 34 क़िले और ऐतिहासिक इमारतें हैं. पर्यटन विभाग ने इन्हें राजस्थान की तरह सुधारने और इनका सुंदरीकरण कराने की योजना बनाई है. इन्हें पीपीपी मोड पर संचालित करने का भी निर्णय लिया गया है. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के मुताबिक झांसी के लिए विशेष रूप से 837 करोड़ रुपये के एमओयू हुए हैं. चित्रकूट में 118 करोड़ रुपये की लागत से विकास के काम कराए जाएंगे. इसके अलावा बांदा में 75, हमीरपुर में 23, जालौन में 86.73, ललितपुर में 21 और महोबा में 89 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम होने वाला है.

शार्क के हमले में युवक घायल
महाराष्ट्र में समुद्री प्राणियों द्वारा किसी मनुष्य पर हमले का पहला मामला सामने आया है. स्वच्छ जल में जीवित रहने वाली शार्क ने मंगलवार को मैनर के वैतरणा नदी के गहरे पानी को पार कर रहे 32 वर्षीय आदिवासी व्यक्ति के बाएं तलवे और टख़ने को लगभग काट डाला. डोनगरपाड़ा के निवासी भीक्या गोवारी नदी के किनारे पर लकड़ी और डालें इकट्ठा कर रहे थे. उन्होंने पानी में कदम रखा और शार्क ने उनके बाएं तलवे और टखने का बड़ा हिस्सा नोच डाला. बताते हैं कि 190 किलो की शार्क को बाद में डोन गरपाड़ा के लोगों ने पकड़कर मार दिया. ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने लिखा है कि वायरल वीडियो में, जिसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, शार्क के पेट पर घाव व खून दिख रहा है.

कैप्टन विक्रम बतरा की मां का निधन
कारगिल युद्ध में अपने शौर्य के परमवीर चक्र पाने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बतरा की मां कमलकांत बतरा का हृदय गति रुक जाने से बुधवार को पालमपुर में निधन हो गया. वह 77 वर्ष की थीं. उनके पति जीएल बतरा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि वह हृदय रोगी नहीं थीं. फिर भी एहतियातन जांच के लिए उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी की जा रही थी कि दोपहर एक बजे उनका निधन हो गया. कमलकांत रिटायर्ड सरकारी टीचर थीं. कुछ समय तक वह राजनीति में भी सक्रिय रही थीं. कैप्टन बतरा कारगिल युद्ध के दौरान में प्वाइंट 4875 पर कब्जे के अभियान के दौरान शहीद हो गए थे.

चयन-संपादन | शरद मौर्य/ सुमित चौधरी

कवर | टेलीग्राफ़ के सौजन्य से


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