गरतांग गली | 59 साल बाद सैलानियों के लिए खुला

  • 1:59 pm
  • 8 September 2021

उत्तरकाशी | नेलांग घाटी में गरतांग गली का लकड़ी पुल सैलानियों के लिए खुल गया है. कभी भारत और तिब्बत के बीच व्यापार-मार्ग का यह महत्वपूर्ण पुल 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था.

जाड़ गंगा की पहाड़ी पर समुद्रतल से क़रीब 11 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर चट्टानों को काटकर देवदार की लकड़ी से बना यह सीढ़ीनुमा पुल क़रीब 600 मीटर का है. आसपास का माहौल सुरम्य है, पर इसका शुमार दुनिया के ख़तरनाक रास्तों में है.

कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में पेशावर के पठानों ने पहाड़ों को काटकर यह रास्ता तैयार किया था. भारत-चीन युद्ध से पहले तिब्बत के तिजारती गुड़-नमक, मसाले और पशमीना लेकर आया करते थे. बाद में सुरक्षा कारणों से यह रास्ता कारोबारियों और सैलानियों के लिए बंद कर दिया गया था.

उत्तराखंड सरकार ने 59 साल बाद गरतांग गली को सैलानियों के लिए खोलने का फ़ैसला किया तो सबसे पहले जर्जर हो गईं लकड़ी की सीढ़ियों को बदलने और मरम्मत करने की ज़रूरत पड़ी. नई सीढ़ियां तैयार करने का ज़िम्मा पीडब्ल्यूडी को दिया गया.

इस दिनों उत्तरकाशी आने वाले सैलानियों के यह ख़ास आर्कषण बन गया है. हालांकि कोविड नियमों के ख़्याल से एक बार में दस सैलानियों को ही यहां जाने की इज़ाजत है. हर रोज़ 40 से 50 पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं.


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