आज का दिन | राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस

नई पीढ़ी के निबंध के विषयों में शायद न भी हो मगर कुछ बरस पहले तक स्कूल की अंग्रेज़ी की किताब में ‘द पोस्टमैन’ और हिन्दी की किताब में ‘डाकिया’ पर निबंध शामिल हुआ ही करते थे. किताबों के बाहर कमोबेश हम सब की ज़िंदगी में भी – चिट्ठी, मनीऑर्डर, टेलीग्राम, किताबों और खिलौनों और चॉकलेट और कितनी ही चीजों के पार्सल साइकिल के कैरियर या झोले में बैठकर डाकिये की मार्फ़त ही घर तक आते. और भी कितनी ही तरह की ख़ुशख़बरों का हरकारा.

एक जुलाई राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस है. हमारे देश डाक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को सम्मान देने के लिए यह दिवस समारोहपूर्वक मनाने की शुरुआत 1977 से हुई. यों यह डाक विभाग के सभी कर्मचारियों के लिए है मगर आम लोगों के बीच डाक विभाग का नुमाइंदा हमेशा से डाकिया ही रहा है. लोगों के बीच डाक विभाग की पहचान विनम्रता से सिर झुकाए खड़े हाने की मुद्रा वाले लाल रंग के लेटर बॉक्स और ख़ाकी वर्दी में टोपी लगाए साइकिल पर सवार डाकिया ही बना रहा है.

आज के दौर में भी जब चिट्ठी इलेक्ट्रॉनिक हो गई है और ज़्यादातर पार्सल मोटरसाइकिल पर बोरे सा झोला लटकाए कूरियर वाला लेकर आता है, दूरदराज़ के इलाकों में जहां पैदल चलकर पहुंचना ही मुमकिन है, वह डाकिया ही पहुंच पाता है.

और हां, प्रसंगवश यह और कि अपने देश में डाक सेवा की शुरुआत 1 अक्तूबर 1854 को हुई और पहला पोस्ट ऑफिस कलकत्ते में खुला.


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