पंजाब | नाजायज़ तरीक़े से मजदूरों को घर भेजने वाला रैकेट पकड़ा
पंजाब में लॉक डाउन के बाद कर्फ्यू की वजह से बदहाल प्रवासी मजदूरों की घर लौट जाने की ख़्वाहिश बहुतों के लिए धंधा बन गई है. नाजायज़ तौर पर पंजाबियों को विदेश भेजने वाले ‘कबूतरबाजों’ की तरह ही नए धंधेबाज़ों ने बिहार और यूपी के मजदूरों से मोटी रक़म लेकर उन्हें घर भेजने की तिकड़म शुरू कर दी है. इस धंधे में ट्रांसपोर्टर और डॉक्टरों की मिलीभगत का हाल ही में पता चला, जब कुछ लोग पुलिस के हत्थे चढ़ गए.
24 अप्रैल को पुलिस ने दो जगहों से ऐसे गिरोह के लोगों को पकड़ा, जो जाली कर्फ्यू पास बनाकर मजदूरों को बिहार और उत्तर प्रदेश ले जाते थे. डीजीपी दिनकर गुप्ता ने भी इसकी पुष्टि की. होशियारपुर के टांडा-उड़मुड़ और जालंधर के शाहकोट व लोहिया क़स्बों में ये गिरफ्तारियां हुई हैं. इसके पहले 23 अप्रैल को फतेहगढ़ साहिब के मंडी गोबिंदगढ़ में ऐसा ही मामला पकड़ा गया था. ये लोग एसडीएम और दूसरे अफ़सरों के नाम पर जाली कर्फ्यू पास के ज़रिये लोगों सूबे से बाहर ले जाते थे.
डीजीपी दिनकर गुप्ता के मताबिक, “कुछ फर्जी कर्फ्यू पास पंजाब से हरियाणा और यूपी की सरहद पार करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे. राजपुरा के शंभू बैरियर पर ड्यूटी कर रहे अफ़सरों को शक होने पर उन्होंने एक गाड़ी को टांडा वापस जाने को कहा. टांडा लौटने पर मजदूरों ने अपना पैसा वापस मांगा और फिर यह बात पुलिस तक पहुंच गई. दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए बटाला के एसडीएम दफ़्तर से एक टैक्सी वाले को पास जारी किए गए थे. उसी पास का इस्तेमाल करके एक और ड्राइवर ने नकली पास तैयार कर लिए. बाक़ायदा गिरोह बन गया औक कुछ ही दिनों में इन लोगों ने 71 मजदूरों को बिहार और यूपी ले जाकर छोड़ा. इससे उन्होंने 3.05 लाख रुपए कमाए.
होशियारपुर पुलिस का कहना है कि इस धंधे में दस लोग शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक इसी जिले में एक से ज्यादा गिरोह काम कर रहे हैं और उनकी तादाद सौ से ज़्यादा है. टांडा में गिरफ्तार लोग एसडीएम की मुहर के साथ मजदूरों के नाम से जाली पास तैयार करते थे. हर मजदूर पांच से सात हजार रुपए लेकर उन्हें बिहार और यूपी बॉर्डर तक छोड़ आते थे. इसके लिए कुछ टेंपो ट्रैवलर और इनोवा गाड़ियां इस्तेमाल की जा रही थीं. आरोपियों से पुलिस को कई जाली कर्फ्यू पास भी मिले हैं.
24 अप्रैल को ही जालंधर की शाहकोट और लोहियां में ऐसे ही मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है. मंडी गोविंदगढ़ की पुलिस ने एक ट्रक पकड़ा था, जिसमें मजदूर सवार थे. अब तक ऐसे किसी मामले में पुलिस ने किसी मजदूर पर कोई मामला दर्ज नहीं किया है. पुलिस अफ़सरों ने उन्हें मजबूर और पीड़ित माना है मगर उन्हें गवाही देनी होगी.
लुधियाना में पकड़ा गया मामला कुछ अलग किस्म का निकला. एक प्राइवेट अस्पताल का मालिक डॉक्टर फर्जी तौर मजदूरों को अपने अस्पताल में दाखिल दिखाता, और फिर फ़र्जी हिस्ट्री की फाइल बनाकर एंबुलेंस के ज़रिये उन्हें घर भेजने का इंतजाम करता. मीडिया के स्ट्रिंग ऑपरेशन में इस डॉक्टर ने खुद क़बूला है कि वह फर्जी टेस्ट रिपोर्ट से लेकर एक्स-रे तक सब बनाकर दे देता है. अब तक वह इसी तरह से कई लोगों को घर पहुंचा चुका है. कथित मरीज को उसके मूल राज्य लौटने की सलाह लिख दी जाती है. 18 रुपए किलोमीटर के हिसाब से एंबुलेंस का किराया वसूला जाता है यानी दोगुना. खैर, लुधियाना के पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल और सिविल सर्जन डॉ. राकेश बग्गा के अनुसार इस फर्जीवाड़े में कार्रवाई की जाएगी.
आवरण फ़ोटो | अमर उजाला से साभार
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