फुटबॉल | मेस्सी का जादू, अर्जेंटीना फ़ाइनल में

विश्व कप फुटबॉल के पहले सेमीफाइनल में अर्जेंटीना ने क्रोशिया को 3-0 से हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया है. निःसंदेह अर्जेंटीना की जीत महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण मैच की स्कोर लाइन है.

स्कोर लाइन देखकर ऐसा लगता है कि अर्जेंटीना ने किसी नौसिखिया टीम को हराया है. जबकि सारी दुनिया जानती है, यह सच नहीं है. क्रोशिया की गणना फुटबॉल की दुनिया की सबसे ताकतवर टीमों में की जाती है. वो इस बार की संभावित विजेताओं में शुमार थी और पिछली बार की उपविजेता. जिस टीम का नेतृत्व दुनिया के सबसे शानदार मिडफील्डर लुका मोद्रीच कर रहे हों, जिसके पास दुनिया के सबसे बड़े डिफेंडरों में से एक, और प्रतियोगिता में सबसे शानदार खेल रहे जोस्को ग्वार्डिओल हों, और जिसके पास लिवकोविच जैसा बेहतरीन गोलकीपर हो, जिसने इस विश्व कप में सबसे ज़्यादा 24 बचाव किए हों, वो टीम कमज़ोर हो भी कैसे सकती है.

निःसंदेह क्रोशिया की टीम एक बहुत मजबूत और शानदार टीम है, जो दुनिया की किसी भी टीम को हराने का माद्दा रखती है. लेकिन खेल का परिणाम केवल एक टीम के खिलाड़ियों के मैदान में खेल कौशल भर से निर्धारित नहीं होते. ये विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के खेल कौशल, उसकी रणनीति, उसके द्वारा अपने सामने वाली टीम की रणनीति को समझने और उसमें छिद्र ढूंढ लेने के साथ-साथ रेफरी के निर्णयों और अंततः नियति द्वारा भी निर्धारित होते हैं.

अगर मैदान में कुछ अप्रत्याशित न हो तो केशव तिवारी के शब्दों में कहा जा सकता है, ‘काहे का खेल और काहे की फुटबॉल’. यही खेल है और यही फुटबॉल.

मैच के पहले हाफ के आधे से अधिक समय तक गेंद पर नियंत्रण और खेल का नियंत्रण क्रोशिया के पास था. खेल अर्जेंटीना के हाफ में खेला जा रहा था. पर मुकाबला फुटबॉल लेजेंड मेस्सी और चतुर रणनीतिकार लियोनेल स्कलोनी से था. वे खेल के इस क्रोशियाई अधिपत्य के बीच में अपनी टीम के लिए अवसर खोज रहे थे और वे उन्होंने ढूंढ निकाले. यही फुटबॉल की समझ है. फुटबॉल है.

गेंद पर पूरी तरह नियंत्रण के अपने खतरे हैं. ऐसे में जब आप गेंद पर से नियंत्रण खोते हैं तो आप रक्षण के लिए उस तरह एकबद्ध नहीं हो पाते जिस तरह से होना चाहिए. नियंत्रण छूटने से आपकी लय टूट जाती है. आप अपने रक्षण में गैप छोड़ देते हो. मेस्सी और उनके साथियों ने वे गैप ढूंढ लिए. उन गैप से उन्होंने प्रतिआक्रमण किए, अपनी टीम के लिए मौके बनाए और विपक्षी टीम को तहस नहस कर दिया. मैच समाप्ति के बाद मेस्सी ऐसा ही कुछ कह रहे थे.

कई प्रतिआक्रमणों में से ऐसा ही एक प्रतिआक्रमण अर्जेंटीना ने 34वें मिनट में किया. मैनचेस्टर सिटी के लिए खेलने अर्जेंटीना के नवोदित स्टार जूलियन अल्वारेज ने इतना तेज आक्रमण किया कि बाकि एक रक्षक को मात दी, उसे पीछे छोड़ा. अब वे बॉक्स में अकेले गोलकीपर के सामने थे. गोलकीपर डॉमिनिक लिवकोविच अल्वारेज से जूझने के लिए मजबूर हुए. रेफरी ने इसे खतरनाक माना. अर्जेंटीना को पेनाल्टी मिली. अब मेस्सी के बाएं पैर का जादू था. सही दिशा में छलांग लगाने के बाद भी गोलकीपर गति और ऊंचाई से मात खा गए. अर्जेंटीना 1-0 से आगे हो गया. अब मैच का रुख अर्जेंटीना के पक्ष में झुक गया. माहौल उनके पक्ष में बन चुका था और क्रोशिया के हाथ से मैच फिसलने लगा था.

पेनाल्टी का निर्णय रेफरी का था. बहुत से लोगों का मानना था कि ये टैकल इतना खतरनाक नहीं था कि पेनाल्टी दी जाती. लेकिन रेफरी का निर्णय अर्जेंटीना के पक्ष में गया. यही भाग्य था, नियति थी और फुटबॉल भी.

पांच मिनट बाद अर्जेंटीना ने एक और प्रतिआक्रमण किया. 39वें मिनट में एक बार फिर अल्वारेज ने काउंटर अटैक पर शानदार मूव बनाया और लगभग अकेले दम पर गोल कर टीम को 2-0 से आगे कर दिया. ये युवा अल्वारेज की स्किल और गति हैं, जिसने वन मैन आर्मी मेस्सी के बोझ को न केवल कम किया है,बल्कि उन्हें आक्रमण और रणनीति बनाने के अतिरिक्त अवसर भी दिए हैं.

क्रोशिया एक फाइटर टीम है. उसने 2-0 से पिछड़ने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी थी. क्वार्टर फाइनल में नीदरलैंड भी अर्जेंटीना के विरुद्ध 0-2 से पीछे थी और वो मैच को पेनाल्टी शूट तक ले गई थी. दूसरे हाफ में भी क्रोशिया ने गेंद पर अपना नियंत्रण बनाए रखा. कुछ अच्छे मूव भी बनाए. पर मूव बनाना और उसे फिनिश करना दो बातें हैं. वे फिनिश करने में असफल रहे. इधर अर्जेंटीना ने क्रोशिया डिफेंस में छिद्र ढूंढ लिए थे. वे प्रतिआक्रमण करते रहे. इस बीच मैच के 69वें मिनट में क्रोशिया के हाफ में लगभग मध्य रेखा से बॉल मेस्सी को मिली. दुनिया का एक बेहतरीन डिफेंडर ग्वार्डिओल, मेस्सी को मार्क कर रहा था. लेकिन यहां मेस्सी था, मेस्सी की ड्रिब्लिंग थी, मेस्सी के पैरों का जादू था. ग्वार्डिओल की मार्किंग के साथ ही मेस्सी गेंद को बॉक्स में ले गए, उसके बाद वे एक क्षण के लिए रुके, फिर दाएं गए, फिर बाएं गए और फिर दाएं गए, ग्वार्डिओल को पूरी तरह युक्तिहीन और असहाय छोड़ गेंद अल्वारेज को सरका दी. अल्वारेज ने गेंद आगे गोल में सरका दी. स्कोर अब 3-0 था और इसने क्रोशिया की किसी भी संभावना को खत्म कर दिया था.

मेस्सी का ये असिस्ट इस विश्व कप का सबसे खूबसूरत मूव था. इस मूव को देखना किसी खूबसूरत कविता को देखना, किसी बेहतरीन नृत्य को देखना और किसी उम्दा संगीत को सुनने जैसा था. ये मेस्सी की स्किल थी. उनके पैरों का जादू था. ये फुटबॉल का खेल था, फुटबॉल था.

इस विश्व कप में मेस्सी क्या ही कमाल खेल रहे हैं. पहले मैच में हार के बाद पांच मैच और पांचों में ‘मैन ऑफ द मैच’. अविश्वसनीय प्रदर्शन. मेस्सी का दूसरा फाइनल पक्का हुआ. अर्जेंटीना तीसरे विश्व खिताब की और बढ़ी और नि:संदेह मेस्सी सार्वकालिक महानतम खिलाड़ी. मैं जानता हूँ, आप जानते हैं, सारी दुनिया जानती है,आखिर ‘गोट’ कौन है.

तो तय हुआ कि खिलाड़ियों की प्रतिभा और खेल कौशल में जब भाग्य और अनिश्चितता का तड़का लगता है, तो फुटबॉल के खेल में रोमांच पैदा होता है. फुटबॉल का खेल बनता है. फुटबॉल बनता है.

तो रविवार तक अनिश्चितता में झूलते रहिए और दिल को थामे रखिए. पिक्चर तो अब भी बाकी है दोस्तों!

कवर | @fifaworldcup_es/ Twitter के सौजन्य से

सम्बंधित

फ़ुटबॉल | नियति और खेल के मेल का चर्मोत्कर्ष अभी बाक़ी है


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.