शूटिंग रिपोर्ट | भोजपुरी के दर्शकों को अपना परिवेश ही भाता है

जौनपुर | सिद्दीकपुर और आरे गाँव के लोगों की दिनचर्या की एकरसता कुछ दिनों से टूटी है. फ़िल्म की शूटिंग चल रही हो तो एकरसता टूटना स्वाभाविक भी है. भोजपुरी फ़िल्मों के सितारे उनके क़रीब हैं, सो उन्हें देखने के साथ ही फ़िल्म बनते हुए देख पाने के तजुर्बे से गुज़र रहे हैं.

भोजपुरी फ़िल्म ‘मेरा भारत महान’ की शूटिंग के लिए फ़िल्म की यूनिट इन दिनों शहर में है. कलेक्ट्रेट परिसर और भंडरिया स्टेशन भी शूटिंग शेड्यूल में शामिल हैं. शूटिंग वाली जगह पर सुरक्षा घेरे की वजह से बेचैन भीड़ में से किसी दर्शक के फेंके पत्थर से फ़िल्म की अभिनेत्री मणि भट्टाचार्य के सिर में चोट लगने का वाक़या स्टेशन के आसपास गुज़रा तो सुरक्षा बंदोबस्त और बढ़े है.

गाँव-गिराँव के कितने ही लोगों की स्मृति और बतकही में ‘नदिया के पार’ के क़िस्से जाग उठे हैं. शूटिंग देखने का मौक़ा उनके लिए बंबई के क़रीब आ जाने जैसा है. कहानी की ज़रूरत के मुताबिक़ खपरैल वाले घर और कच्चे आंगन की तलाश यूनिट को आरे गाँव तक ले गई. दिन भर और कई बार रात को भी लगातार शूट कर रहे कलाकारों का ठौर शहर का होटल है, सो उनसे होटल में ही मुलाक़ात हुई.

भोजपुरी फ़िल्मों के सुपर स्टार और अपने मुरीदों में दबंग कहलाने वाले पवन सिंह भी मानते हैं कि सिनेमा के पर्दे पर भोजपुरी कहानी कहने के लिए रिसार्ट या मॉल की लोकेशन की दरकार नहीं होती. दर्शकों को अपना परंपरागत परिवेश ही भाता है – कच्चा घर, लिपा हुआ आंगन, खेत, पगडंडियाँ उनके दिल के ज़्यादा क़रीब हैं. उनकी अगली फ़िल्म ‘स्वाभिमान’ है और उसकी सारी लोकेशन प्रतापगढ़ में होगी.

अब तक क़रीब डेढ़ सौ फ़िल्मों में काम कर चुके पवन कोलकाता में पले-बढ़े हैं, मगर उनकी जड़ें पूरब में हैं. आरा के जोकहरी गाँव से उनके बड़े कोलकाता गए. उनके चाचा अजित सिंह गाते हैं और उनकी सोहबत में पवन ने भी बहुत कम उम्र में गाना शुरू कर दिया था. उनके कॅरिअर की शुरुआत भी गाने से हुई. पिछले डेढ़ दशक से फ़िल्में कर रहे हैं मगर गाना नहीं छोड़ा है. और इसी की बदौलत भाजपा के स्टार प्रचारकों में भी उनका शुमार है.

पवन मानते हैं कि भोजपुरी ज़बान और तहज़ीब ही है, जो बेशुमार लोगों के बीच आत्मीयता और आदर का पुल बनाए हुए है. यही वजह है कि अपनी ज़मीन छोड़कर दुनिया भर में फैले लोग अपनी जड़ों से जुड़ाव बनाए रखते हैं, भोजपुरी भूलते नहीं.

इस बार होली पर सलीम सुलेमान के साथ उनका संगम होली गीत आने वाला है. समय-समय पर भोजपुरी फ़िल्मों पर अश्लीलता के आरोपों के बारे में पवन कहते हैं कि संवाद और गानों में दोहरे अर्थ वालों शब्दों के चलते ऐसी नौबत आती है. देखने-सुनने वालों को भी यह तय करना होगा कि आख़िर उन्हें क्या चाहिए? थोड़े से लोगों की वजह से पूरी तहज़ीब पर आक्षेप मुनासिब नहीं जान पड़ता.

होली के दिनों में अक्सर ऐसी ख़बरें आ जाती हैं कि चलती ट्रेन पर पत्थर लगने से खिड़की का शीशा टूट गया या किसी खिड़की के क़रीब बैठे किसी मुसाफ़िर को चोट आ गई. उस रोज़ शूटिंग के दौरान मणि भट्टाचार्य पर पत्थर फेंकने वाला शायद वैसी मनःस्थिति में रहा होगा. मणि की कनपटी के क़रीब चोट लगी थी. जब उनसे भेंट हुई तो माथे पर पट्टी बाँधे पर वह अपने कमरे में आराम कर रही थीं. चोट के बारे में पूछने पर कहा कि शरारती लोग तो सब जगह मिल जाते हैं वरना जौनपुर तो तहज़ीब वालों का शहर है.

तमाम बंगला फ़िल्मों और टेलीविज़न सीरियल में काम कर चुकी मणि नृत्य में निष्णात हैं और 11 वर्ष की उम्र से ही धारावाहिकों में काम कर रही हैं. भोजपुरी फ़िल्मों में वह पवन सिंह, निरहुआ और खेसारी लाल के साथ काम कर चुकी हैं. दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में काम करने के इरादे से इन दिनों तेलुगू सीख रही हैं. वह मानती हैं कि दक्षिण भारतीय फ़िल्मों की रफ़्तार और एक्शन उन्हें हॉलीवुड के ज़्यादा क़रीब ले जाते हैं.

फ़िल्म की शूटिंग बीस फ़रवरी तक चलेगी.


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