पेरिस ओलंपिक में भारत और मनु भाकर का निशाना
क्रिकेट की दुनिया में दक्षिण अफ्रीका की टीम को चोकर्स कहा जाता है. शुरुआती दौर में बेहतरीन प्रदर्शन करने और एक अच्छी टीम होने के बावजूद वह कोई बड़ी प्रतियोगिता आज तक नहीं जीत पाई है. यह संदर्भ यहां इसलिए कि भारतीय ओलंपिक दल भी कहीं उनकी ही तरह चोकर्स तो नहीं है. भारतीय खिलाड़ियों का दल जब भी ओलंपिक में भाग लेने जाता है तो प्रचार-तंत्र की मार्फ़त उसके इर्द-गिर्द ख़ासी जगमग आभा पैदा कर दी जाती है. भारत के खेल प्रेमी हर बार उनसे पदकों की बौछार की उम्मीद लगा बैठते हैं, मगर मामूली छींट के सिवाय उनके हिस्से कुछ आता नहीं है. भारतीय दल का प्रदर्शन मानो मौसम के मिज़ाज से मेल खा हो गया हो.
अगर टोक्यो ओलंपिक जितने पदक भी भारत के हिस्से में आने की उम्मीद करते रहे हों तो उतने तो सिर्फ़ शूटिंग से आ जाने चाहिए थे, लेकिन नहीं आए. हालांकि टोक्यो में ये अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. उसी से उत्साहित होकर पेरिस ओलंपिक के लिए इस बार नारा आया—’अबकी बार दस पार’. लेकिन दो दिन के भारतीय दल के प्रदर्शन से क्या ऐसा होता संभव लग रहा है!
इन दो दिनों में भारत का प्रदर्शन मिला-जुला रहा है. जिन दो खेलों में भारतीय टीम से सबसे ज़्याद उम्मीद होती हैं, वे हैं—शूटिंग और तीरंदाज़ी. और यह उम्मीद किसी प्रचार के नाते नहीं बल्कि भारतीय खिलाड़ियों के विश्व तथा महाद्वीपीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन की वजह से जागती है. यहां पर पुरुष और महिला टीम ने क्वालीफ़िकेशन दौर में तो ठीक किया. लेकिन इतवार को महिला तीरंदाज़ी टीम ने क्वार्टर फ़ाइनल मैच नीदरलैंड से खेला. भारतीय टीम की प्रतिष्ठा और प्रदर्शन के अनुसार यह मैच भारत को बहुत आसानी से जीत लेना चाहिए था लेकिन हुआ इसका उल्टा. भारतीय टीम सीधे तीन सेटों में 0-6 से आसानी से हार गई. चिंता की बात हार नहीं बल्कि भारतीय टीम का बेहद लचर प्रदर्शन है जिसमें उन्होंने 6 और 4 अंकों तक के शॉट्स लगाए.
हॉकी में भारत ने 27 जुलाई को अच्छी शुरुआत की. अपने पहले मैच में एक गोल से पिछड़ने के बाद 3-2 से हरा दिया. टोक्यो ओलंपिक में भी भारत ने 27 जुलाई 2021 को ही न्यूज़ीलैंड को 3-2 से हराकर अपने अभियान की शुरुआत की थी और 41 साल बाद भारत को कांस्य पदक दिलाया था.
भारत ने उम्मीद के अनुरूप अच्छी शुरुआत की. सिंधु, प्रनॉय और लक्ष्य सेन ने एकल में और रेंकी रेड्डी और चिराग की जोड़ी ने डबल्स में अपने प्रारंभिक दौर के मैच आसानी से जीत लिए. केवल अश्विनी पोनप्पा और क्रिस्टा अपना महिला युगल का पहला मैच हार गई.
टेबल टेनिस में महिला में श्रीजा अकुला ने क्रिस्टीना कालबर्ग को 4-0 से और मनिका बत्रा ने ब्रिटेन की अन्ना हर्से को 4-1 से हराकर और हरमीत देसाई ने पुरुष एकल के अगले दौर में प्रवेश किया लेकिन वेटरन शरथ कमल पुरुष एकल के पहले ही राउंड डेनी कोज़ुल से हार गए.
टेनिस में सुमित नागल स्थानीय खिलाड़ी कोरेंटीन मोटेट से एक संघर्षपूर्ण मैच में 2-6, 6-2,5-7 से हार गए.
रोइंग में बलराज पंवार पुरुष एकल स्कल्स स्पर्धा के रेपेचेज 2 में दूसरे स्थान पर रहे और क्वार्टर फ़ाइनल में पहुंच गए हैं.
बॉक्सिंग में पदक की प्रबल दावेदार निखत जरीन ने पहले राउंड में 2-3 से पिछड़ने के बाद जर्मनी की मैक्सी करीना कोईट्जर को सर्वसम्मति से 5-0 से हरा दिया. लेकिन वे यहां ग़ैर वरीयता प्राप्त खिलाड़ी के रूप में हैं और उन्हें कठिन ड्रॉ मिला है. उनका अगले दौर में वर्तमान फेदरवेट चैंपियन चीन की वू यू से होगा.
शूटिंग में भाकर के अलावा पहले दिन भारत के अन्य निशानेबाजों ने निराश किया. भारतीय पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल और 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम स्पर्धा के क्वालीफ़िकेशन चरण से ही बाहर हो गए. 10 मीटर एयर पिस्टल में रिदम सांगवान 573 के स्कोर के साथ 15वें स्थान पर रहीं. सरबजोत सिंह का दुर्भाग्य रहा कि समान स्कोर रहने पर भी कम 10 स्कोर करने के आधार पर 10 मीटर एयर पिस्टल के फ़ाइनल में जगह बनाने से चूक गए. डेब्यू कर रहे सरबजोत और अर्जुन चीमा ने टुकड़ों में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन क्रमश: 577 और 544 के स्कोर के साथ नौवें और 18वें स्थान पर रहे.
भारतीय निशानेबाज 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम क्वालीफ़िकेशन चरण में बाहर हो गए. भारत की दो जोड़ियां इस स्पर्धा में भाग ले रही थी. रमिता जिंदल और अर्जुन बबूता 628.7 के कुल स्कोर के साथ छठे, जबकि इलावेनिल वलारिवन और संदीप सिंह 626.3 के कुल स्कोर के साथ 12वें स्थान पर रहे. लेकिन इतवार को भारत ने शूटिंग में बेहतरीन प्रदर्शन किया. रमिता जिंदल 10 मीटर एयर राइफ़ल स्पर्धा में क्वालीफाइंग दौर में 631.5 अंकों के साथ पांचवे स्थान पर रहकर फ़ाइनल के लिए क्वालीफ़ाई कर लिया है. इसके अलावा अर्जुन बटुता ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफ़ल क्वालिफिकेशन राउंड में सातवें स्थान पर रहकर फ़ाइनल में पहुंच गए हैं. लेकिन इलावेनिल वलारिवान महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफ़ल में और संदीप सिंह पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफ़ल प्रतियोगिता के पहले ही दौर में बाहर हो गए.
आज भारत के लिए इतिहास रचा 21 वर्ष की निशानेबाज़ मनु भाकर ने. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीत कर न केवल इस ओलंपिक में भारत का पदकों का खाता खोला बल्कि शूटिंग स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली महिला शूटर बन गई हैं.
मनु का ये पदक तीन साल देरी से आया है. आप इसे यूं भी कह सकते हैं कि आपको समय से पहले और क़िस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता. पर मनु का मामला सिर्फ़ किस्मत का खेल भर नहीं है. ये मानवीय अहंकार, ईर्ष्या, पक्षपात और कुप्रबंधन की वजह से भी है. टोक्यो ओलंपिक में शूटर्स का ख़राब प्रदर्शन उनका चोकर्स होना नहीं था, बल्कि खिलाड़ियों और स्टाफ़ के बीच में सब कुछ ठीक नहीं होना था.
मनु लगातार पक्षपात का शिकार रही है और दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम में उनके साथ क्या कुछ हुआ था, टोक्यो को उसी क्रम में संज्ञान में लेना चाहिए. इस बात को समझना चाहिए कि ओलंपिक जैसे इवेंट में पिस्टल का जाम हो जाना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना भर ही थी क्या?
हिंदुस्तान में खेल प्रबंधन दंभी और अहंकारी लोगों का मजमा है जिसके ख़िलाफ़ बोलने वालों का हस्र दुनिया में देश का सीना गर्व से ऊंचा करने वाले श्रेष्ठ पहलवानों जैसा हो सकता है और भारतीय जनता इसे राजनीति कहकर विरोध कर सकती है. इसीलिए हर कोई खुलकर सच्चाई बयान नहीं कर पाता बल्कि वो मनु की तरह खेल छोड़ने का फ़ैसला भी कर सकते हैं.
लेकिन ये लड़कियां आंसू बहाने वाली और ख़ुद को विक्टिम दिखाने वाली नहीं बल्कि ख़ुद को साबित करने वाली हैं. वे प्रतिभाशाली भी हैं और हिम्मती भी.
इस ओलंपिक का पहला पदक कज़ाकिस्तान ने निशानेबाज़ी की 10 मीटर एयर राइफ़ल मिक्स्ड स्पर्धा में जीता. कज़ाकिस्तान की इस्लाम सेटपायेव और एलेक्जेंडर ले की जोड़ी ने जर्मनी की जोड़ी को हराकर ये पदक जीता. पदक तालिका में अमेरिका, फ़्रांस, दक्षिण कोरिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया का दबदबा है. भारत एक कांस्य पदक के साथ 22वें स्थान पर है.
और चलते-चलते यह कि विकासशील देशों को चोरी या लूटपाट जैसी घटनाओं पर इसलिए शर्मिंदा होने की ज़रूरत नहीं है कि ऐसा विकसित देशों में तो होता नहीं है या बहुत कम होता है. ऐसा पेरिस में भी खूब हो रहा है. चोरों ने ऑस्ट्रेलियाई ओलंपिक साइकिलिंग टीम के सदस्य लोगन मार्टिन की वैन की यात्री सीट की खिड़की तोड़कर न केवल एक बटुआ चुराया बल्कि फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की मसाज़ टेबल सहित कई उपकरण भी चुरा लिए. इसके अलावा अर्जेंटीना की फुटबॉल टीम भी लूटपाट का शिकार हो गई है. चोर अर्जेंटीना के ट्रेनिंग कैंप में घुस गए और उसके खिलाड़ी थियागो अल्माड़ा का सामान, महंगी घड़ी और गहने उठा ले लिए.
कवर | एक्स से साभार
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