कार्लोस अल्काराज़ | बरगदों की छाँव में बड़ा होता बिरवा
बात 2022 की लाल मिट्टी पर खेली जाने वाली मेड्रिड ओपन प्रतियोगिता की है. इसमें 19 साल का एक नौजवान जर्मनी के एलेक्ज़ेंडर ज्वेरेव को हराकर प्रतियोगिता जीत रहा था. क्वार्टर फ़ाइनल में उसने राफ़ेल नडाल को और सेमीफ़ाइनल में नोवाक जोकोविच को हराया था.
टेनिस इतिहास में इससे ख़ूबसूरत और क्या हो सकता था कि एक नौउम्र खिलाड़ी राफ़ा और नोवाक को हराकर यह प्रतियोगिता जीत रहा था.
ये लड़का कोई और नहीं स्पेन का कार्लोस अल्काराज़ था.
दरअसल यह जीत नए उगते हुए सूरज की मानिंद थी. जिसकी नरम-मुलायम रौशनी बरगद के पेड़ों की घनी छाया को चीरकर टेनिस के नए भविष्य का संकेत दे रही थी. वो नौजवान बता रहा था कि वह ऐसा महत्वाकांक्षी और सक्षम बिरवा है कि वट वृक्ष सरीखे नोवाक और राफ़ा के अनुभव और क़ाबिलियत की सघन छाया के नीचे भी पनप सकता है.
उसके चार महीने बाद फ्लशिंग मीडोज़ के आर्थर ऐश स्टेडियम पर कैस्पर रड को हराकर अपना पहला यूएन ओपन ग्रैंड स्लैम जीतकर वह अपनी बात ही साबित कर रहा था. पूरा स्टेडियम ‘ओले ओले ओले कार्लोस’ से गूंज रहा था. यह भविष्य में टेनिस का थीम सांग बनने जा रहा था.
और विंबलडन तक आते-आते उस बिरवे का कद काफ़ी बढ़ गया था. अब वह अपना आकार बनाने लगा था. उसकी जड़ें ज़मीन में कुछ और गहरे धंस रहीं थीं. सुबह का नरम मुलायम सूरज आसमान में और ऊपर हो आया था. उसका प्रकाश अब इतना तेज़ हो गया था कि दुनिया की आंखें चौंधियाने लगी थीं.
विम्बलडन 2023 का फ़ाइनल उम्मीद के अनुरूप नोवाक और उस अल्काराज़ के बीच ही खेला गया.
यह मैच केवल फ़ाइनल मैच भर नहीं था, बल्कि ये विरुद्धों का द्वंद्व था. ये दो अलग व्यक्तित्व, दो अलग खेल शैलियों, दो अलग समयों के बीच का द्वंद्व भी था. यहां अनुभव जोश के मुक़ाबिल था. नया पुराने के सामने था. यह अपने-अपने अस्तित्व की रक्षा का मसला था. पुराना अपनी जड़ें और मजबूती से जमाए रखने की कोशिश में था और नया था कि पुराने को उखाड़ फेंकना चाहता था.
मैदान पर पहले नंबर दो नोवाक आए और उनके पीछे नंबर एक अल्काराज़. 35 साल के नोवाक का अनुभवी चेहरा बाल सुलभ मुस्कुराहट से चमक रहा था, तो बीस साल के युवा अल्काराज़ का बालसुलभ चेहरा विश्वास और गंभीरता से प्रदीप्त था.
नोवाक साल की पहली दो ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिता जीतकर यहां आए थे. उनके हिस्से अब तक कुल 23 ग्रैंड स्लैम आ चुके थे. यह उनकी सबसे प्रिय और अनुकूल सतह थी. वे अनुभव का टोकरा अपने साथ लिए थे. वे यहां सात बार जीत चुके थे. इसके विपरीत अल्काराज़ की यह एकदम पसंदीदा सतह नहीं थी. लेकिन वे नंबर एक टेनिस खिलाड़ी का तमगा अपने सीने से लगाए थे. जोश उनमें हिलोरें ले रहा था और प्रतिभा उनमें कूट-कूट कर भरी थी.
मुक़ाबला शुरू हुआ. नोवाक ने शानदार शुरुआत की. पहला सेट 6-1 से आप के नाम किया. लगा ये मैच नोवाक के लिए ‘केक वॉक’ होने जा रहा है. वे संख्या 24 की तरफ़ दौड़ते दिखे. लेकिन कार्लोस की यही क़ाबिलियत है कि वे कोई भी दबाव अपने ऊपर बनने देते. फिर चाहे ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल खेलने का दबाव हो या सामने नोवाक सरीखा लेजेंड. अगले सेट में ज़ोरदार संघर्ष हुआ. टाईब्रेक अंततः 8-6 से जीत लिया. अब मैच में जान आ गयी थी. नोवाक यहां थोड़े थके दिखे और अगला सेट सेट 1-6 से हार गए. अब लगा कि मैच एकतरफ़ा कार्लोस के पक्ष में हो चला है. तभी नोवाक अपनी फॉर्म में लौट आए और सेट 6-3 से जीत कर मैच अत्यधिक रोमांचक बना दिया. अंतिम और निर्णायक सेट में नोवाक के दूसरे सर्विस गेम में कार्लोस ने सर्विस ब्रेक की. गुस्से में आकर नोवाक ने नेट पोल में मारकर अपना रैकेट तोड़ दिया. दरअसल नोवाक उसी समय हार गए थे. ये उनकी निराशा थी. मन ही मन हार जाने का संकेत. वही हुआ भी अल्काराज़ ने अंततः सेट 6-4 से जीतकर अपना दूसरा ग्रैंड स्लैम जीत लिया.
ये फ़ाइनल कितना संघर्षपूर्ण और सघन था, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि तीसरे सेट का चौथा गेम लगभग 26 मिनट चला, जिसमें कुल 13 ड्यूस हुए और 32 पॉइंट बने. ये मैच लगभग पाँच घंटे तक चला. नोवाक के 166 के मुकाबले अल्काराज़ ने कुल 168 अंक जीते. इस बात से भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मैच कितना क़रीबी था और संघर्षपूर्ण भी.
इस मैच में शानदार टेनिस खेला गया. बुलेट की तेजी सी सर्विस,शानदार ग्राउंड स्ट्रोक, एंगुलर फोरहैंड स्ट्रोक्स, वॉली, ड्राप शॉट्स, बैक हैंड स्लैश, क्या कुछ नहीं था इस मैच में.
ये एक ऐसा मैच था, जिसे दो पीढ़ियों की टकराहट के सबसे शानदार उदाहरण के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा.
2003 से लेकर 2022 तक के 20 साल के सफर में विम्बलडन का ख़िताब फ़ेबुलस के अलावा कोई और नहीं जीत सका था. ये अल्काराज़ है, जिसने 20 सालों के ‘फ़ेबुल्स फ़ोर’ के विम्बलडन पर उनका वर्चस्व ख़त्म कर दिया.
जो भी हो जोकोविच अपनी हार में भी ग्रेसफुल थे. मैच के बाद ऑन कोर्ट इंटरव्यू में उन्होंने अल्काराज़ की ख़ूब तारीफ़ की. उन्होंने कहा कि 20 साल की उम्र में दबाव झेलने की सलाहियत सराहनीय है. और क्रोशियन कोच इवान लूबिसिक की उस बात की ताईद की कि अल्काराज़ में स्वयं नोवाक, फेडरर और राफ़ा की ख़ूबियों का मिश्रण है.
पिछले सालों में फ़ेबुलस फ़ोर ने यहां कहें कि ‘बिग थ्री’ ने इतना शानदार टेनिस खेला कि उन्होंने पूरी एक पीढ़ी के खिलाड़ियों – ज्वेरेव, सितसिपास,थिएम,मेदवेदेव जैसे खिलाड़ियों की पूरी पीढ़ी को लगभग ख़त्म कर दिया. लेकिन उसके बाद कि पीढ़ी के खिलाड़ियों-कैस्पर रड,रुन, बेरेटिनी से पार पाना मुश्किल होगा. हालांकि अभी भी नोवाक की फ़िटनेस शानदार है. उनमें बहुत टेनिस बाक़ी है. उन्हें अभी खारिज़ कतई नहीं किया जा सकता.
अल्काराज़ की यह स्वप्न सरीखी यात्रा पूरी दुनिया अपनी खुली आँखों से देख रही है. ऐसी न जाने कितनी स्वप्निल सफलताएं उनके हाथ आने वाली हैं, यह तो आगे ही मालूम होगा.
अभी तो बस कार्लोस अल्काराज़ को उनके दूसरे ग्रैंड स्लैम की बधाई.
फ़ोटो | ट्विटर से साभार
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