कहानी एक लफ़्ज़ की | सब्ज़ी

  • 12:20 pm
  • 30 August 2020


क़ुर्रतुलएन हैदर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सरहद पार के रिश्तेदार तरकारी कहने पर उनका मज़ाक बनाया करते क्योंकि वे लोग तो सब्ज़ी खाते हैं. मगर अपने यहां तो सब्ज़ी वाला, सब्ज़ी मंडी, हरी सब्ज़ियां जाने कब से लोगों की ज़बान पर हैं, और तरकारी भी. दोनों पर्याववाची हैं, जिसकी ज़बान पर जो चढ़ गया, बोलता-बरतता है.
और कपड़ों के रंग बताते हुए सब्ज़ या सुर्ख़ घरों की आम बोलचाल में शामिल ही है.
हरे पत्ते वाली सब्ज़ियां खाने का मशविरा घर के बुज़ुर्गों से लेकर डॉक्टर तक देते ही हैं.
अफ़ीम के सब्ज़ पत्तों की सब्ज़ी अफ़ीम उगाने वाले किसानों के घरों में बनती ही आई है.
यों वेजीज़, वेज, वेज मार्केट वाले भी हैं, जिनका इन दोनों ही से कोई वास्ता नहीं.

अबरार अब्दाली लिखते हैं,
दाल जली कच्ची सब्ज़ी यह हर रोज़ जो तुम मुझे खिलाती हो
आख़िर ये सारा चक्कर क्या क्यूं नहीं मुझे बताती हो.

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