कहानी एक लफ़्ज़ की

  • 10:47 am
  • 27 August 2020


कहानी एक लफ़्ज़ की | बहुत से आमफ़हम लफ़्ज़ हैं, जो हम रोज़मर्रा के कामकाज में इस्तेमाल करते हैं मगर कई बार उसके मायने से ग़ाफ़िल ही रहते हैं.
आज से हम हर रोज़ एक शब्द के बारे में बताएंगे.
और संवाद तो ख़बर का पर्यायवाची ही है. सो शुरुआत इसी से.

अकबर इलाहाबादी का यह शेर बहुत मशहूर है,
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो

राजेश रेड्डी का यह शेर और देखिए,
कौन पढ़ता है यहाँ खोल के अब दिल की किताब
अब तो चेहरे को ही अख़बार किया जाना है.


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