स्वामी विवेकानंद प्रज्ञापुरुष थे, आधुनिक भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक राजदूत भी. देश के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और साहित्यिक जगत की कितनी ही हस्तियां उनकी ज़िंदगी और विचारों से किसी न किसी रूप में प्रभावित रहीं. [….]
जब हम एक लेखक की ‘आत्मकथा’ पढ़ते हैं तो वह उन्हीं के शब्दों के माध्यम से अपनी ‘कहानी’ कहता है जो उसने अपनी कविताओं, उपन्यासों में प्रयोग किए थे किंतु जब एक चित्रकार या संगीतज्ञ अपने जीवन के बारे में कुछ कहता है तो उसे अपनी सृजन भाषा से नीचे उतर कर एक ऐसी भाषा का आश्रय लेना पड़ता है, जो एक दूसरी दुनिया में बोली जाती है [….]