महाकवि के रूप में विख्यात जयशंकर प्रसाद का हिन्दी नाट्य-जगत और कथा-साहित्य में भी विशिष्ट स्थान है. प्रसाद की कहानियों में हमें न सिर्फ़ भारतीय दर्शन की सुखवादी मूल्य-मान्यताओं की अनुगूँज सुनाई देती हैं, बल्कि ये हमें सामाजिक यथार्थ के तमाम अप्रिय स्तरों तक ले जाती हैं. प्रसाद के लिए साहित्य की रचना [….]