अभी-अभी | एक सितारा डूब गया

  • 12:36 pm
  • 29 April 2020

इरफान ख़ान नहीं रहे. दो साल पहले गंभीर बीमार का शिकार हुए इरफ़ान को मंगलवार की रात में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आज दोपहर को उनका निधन हो गया. वह 54 वर्ष के थे.

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के स्टूडेंट रहे इरफान के लिए अभिनय कोई जुनून नहीं, ज़िंदगी था. क्रिस्पी, क्रंची, बिकाऊ और खांटी कॉमर्शियल फ़िल्मों के दौर में उन्होंने कम कॉमर्शियल और ख़ुद को सार्थकता का अहसास कराने वाली फ़िल्मों को अहमियत दी. ऐसा सिनेेमा, जिसमें उनका व दर्शकों का दिल लगे.

इरफ़ान मानते थे कि कोई काम तभी संभव है जब वह दिल से जुड़े और मन लगता रहे. और यही वजह रही कि दर्शक उनके नाम पर फ़िल्म देखने जाते थे. दर्शकों के लिए फ़िल्म का बैनर, बजट, प्रमोशन नहीं इरफ़ान का होना ही आकर्षण था.

पुलिस वाले के मनोद्वंद्व पर आधारित फिल्म ‘रोग’ हो, शेक्सपीयर के नाटक ‘मैकबेथ’ का अडॉप्टेशन ‘मक़बूल’ हो, मानवीय रिश्तों पर बनी फिल्म ‘द लंचबॉक्स’ हो या फ़ौजी से मशहूर एथलीट और फिर डकैत बनने की कहानी ‘पान सिंह तोमर’, इरफ़ान ने हर क़िरदार में अपनी गहरी छाप छोड़ी. ‘पीकू’ और ‘हासिल’ के उनके क़िरदार भी यादगार हैं। ‘द नेमसेक’ ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. इरफ़ान ने ‘लाइफ ऑफ पाई’, ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’,’द अमेज़िंग स्पाइडर मैन’ जैसी हॉलीवुड की फ़िल्में भी कीं.

बतौर एक्टर पीआर का शऊर न सीख पाने को वह अपनी बड़ी कमज़ोरी मानते थे और ऐसे में विश्व सिनेमा में जगह बनाने को ऊपर वाले का तय किया हुआ मानते थे-जस्ट हैपेन.

जून 2017 में उनको न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (गंभीर कैंसर) का पता चला. इलाज के लिए न्यूयार्क जाने के पहले उन्होंने अपने प्रशंसकों से कहा था, “जीवन में अनपेक्षित बदलाव आपको आगे बढ़ना सिखाते हैं. मेरे बीते कुछ दिनों का लब्बोलुआब यही है. पता चला है कि मुझे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हो गया है. इसे स्वीकार कर पाना मुश्किल है. लेकिन मेरे आसपास जो लोग हैं, उनका प्यार और उनकी दुआओं ने मुझे शक्ति दी है. कुछ उम्मीद भी बंधी है. फ़िलहाल बीमारी के इलाज के लिए मुझे देश से दूर जाना पड़ रहा है.”

बीमारी के बारे में – “न्यूरो सुनकर लोगों को लगता है कि ये समस्या ज़रूर सिर से जुड़ी बीमारी होगी. लेकिन ऐसा नहीं है. इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप गूगल कर सकते हैं. जिन लोगों ने मेरे शब्दों की प्रतीक्षा की, इंतज़ार किया कि मैं अपनी बीमारी के बारे में कुछ कहूं, उनके लिए मैं कई और कहानियों के साथ ज़रूर लौटूंगा.”

कुछ दिनों पहले उन्होंने एक ट्वीट किया था- ‘कभी एक रोज आप दिन में उठते हो और आप को अचानक से यह जान कर झटका लगता है कि जीवन में सब कुछ सही नहीं चल रहा. पिछले कुछ दिनों से मेरा जीवन एक सस्पेंस स्टोरी जैसा हो गया है. मुझे नहीं पता था कि दुर्लभ कहानियों को तलाश करते-करते मेरा सामना एक दुर्लभ बीमारी से हो जाएगा.’

फिर आगे लिखा, “इस एहसास ने मुझे समर्पण और भरोसे के लिए तैयार किया. अब इसका जो भी नतीजा हो, ये भी मायने नहीं रखता ये मुझे कहां लेकर जाएगा, आज से आठ महीनों के बाद, या आज से चार महीनों के बाद, या दो साल बाद.

सारी चिंताएं खत्म हो चुकी हैं…पहली बार, मुझे आजादी के सही मायने समझ में आए हैं.”


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