गैंडा यानी नाक पर सींग पर वाला जानवर
विश्व गैंडा दिवस की शुरुआत सन् 2010 में हुई. गैंडों के संरक्षण और उनके अस्तित्व पर आसन्न ख़तरे के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण अवसर मानकर 22 सितंबर को मनाना तय किया गया. भारत की तरह अफ्रीका में भी काले और सफ़ेद गैंडों की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पर्यावरण संतुलन में गैंडों का बहुत महत्व है. इसलिए इनके संरक्षण की हरसंभव कोशिश ज़रूरी है. गैंडे के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारी…
■ गैंडे का वैज्ञानिक नाम राइनोसरॉस (Rhinoceros) दो ग्रीक शब्दों राइनो और सेरॉस से मिलकर बना है – राइनो का अर्थ है नाक और सेरॉस का अर्थ है सींग – यानी नाक पर सींग वाला जानवर.
■ एक समय था जब उत्तरी अमेरिका और यूरोप सहित लगभग पूरी दुनिया में गैंडे पाए जाते थे, लेकिन आज ये केवल एशिया और अफ्रीका में ही देखे जाते हैं.
■ गैंडे की ख़ासियत इसका सींग है – गैंडे के थूथन पर पाया जाने वाला सींग वास्तव में सींग नहीं होता है, बल्कि हजारों घने और मज़बूत बालों का गुच्छा होता है और यह सींग बहुत मज़बूत होता है.
■ गैंडा एक स्तनपायी जीव है, जो हाथी के बाद पृथ्वी पर सबसे बड़ा और सबसे भारी जानवर है. वैज्ञानिक अनुमानों के अनुसार, गैंडे पाँच करोड़ वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद हैं.
■ बालदार गैंडे (Woolly Rhinoceros) की प्रजाति गैंडे की पहली प्रजाति थी, जो इस पृथ्वी पर उत्पन्न हुई थी, जो पाँच करोड़ वर्ष पहले इस पृथ्वी पर अस्तित्व में आई थी और हिमयुग तक अस्तित्व में थी.
■ गैंडे शाकाहारी जानवर हैं. ये घास, वनस्पतियां और पत्तों पर आश्रित रहते हैं. उनकी प्रजातियों के आधार पर उनके मुंह में 24 से 32 दांत होते हैं.
■ वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार प्राचीन काल में गैंडों की लगभग तीस प्रजातियां पाई जाती थीं, लेकिन अब उनमें से केवल पांच प्रजातियां बची हैं. अन्य प्रजातियां समय के साथ धीरे-धीरे विलुप्त हो गई हैं.
■ वर्तमान में दुनिया में गैंडे की पांच प्रजातियां पाई जाती हैं. तीन प्रजातियां एशिया में और दो प्रजातियां अफ्रीका में पाई जाती हैं.
■ अफ्रीका में गैंडे की दो प्रजातियां – काले गैंडे और सफ़ेद गैंडे पाई जाती हैं. एशिया में पाए जाने वाले भारतीय गैंडे (Indian rhinoceros), सुमात्रन गैंडे (Sumatran rhinoceros) और जावन गैंडे (Javan rhinoceros) तीन अन्य प्रजातियां हैं.
■ सभी प्रजातियों के गैंडों की औसतन ऊंचाई 5.2 फ़ीट और वजन 1,720 से 3,080 पाउंड के बीच होता है.
■ गैंडे के समूह को अंग्रेजी में क्रैश कहते हैं. नर गैंडे को बुल और मादा गैंडे को काऊ कहा जाता है जबकि उनके बच्चों को काफ़ कहते हैं.
■ सफेद गैंडा हाथी के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्तनपायी जानवर है. सफेद गैंडे की ऊंचाई करीब 6 फ़ीट तक बढ़ सकती है और वजन 3,080 और 7,920 पाउंड के बीच होता है.
■ गैंडे को देखने से ऐसा लगता है कि उनका शरीर कई प्लेटों से ढका हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं है, वास्तव में यह त्वचा की एक परत होती है.
■ नर और मादा गैंडे के मिलन के दौरान मादा गैंडा अपना मूत्र छिड़क देती है, जिसकी गंध नर गैंडे को मादा की ओर आकर्षित करती है. यदि एक से अधिक गैंडे आते हैं, तो निर्णय लड़ाई द्वारा होता है. गैंडे आपस में लड़ते रहते हैं, जिससे अक्सर उनकी मौत भी हो जाती है.
■ मादा गैंडे आमतौर पर चार साल की उम्र में यौन रूप से परिपक्व हो जाती हैं.
■ सफ़ेद मादा गैंडे को छोड़कर गैंडों की लगभग सभी प्रजातियों में मादा गैंडे का गर्भकाल 16 महीने का होता है. सफ़ेद मादा गैंडे का गर्भकाल 16 से 18 महीने का होता है.
■ मादा का गर्भकाल पूरा होने के बाद एक बार में केवल एक ही बच्चे का जन्म होता है. जन्म के बाद गैंडे के बछड़े तीन साल तक अपनी मां के साथ ही रहते हैं.
■ जन्म के समय गैंडे के बच्चे के सींग नहीं होते हैं. जन्म के 40 दिन बाद बच्चे के सींग निकलने लगते हैं.
■ मादा गैंडा हमेशा बच्चे की देखभाल करती है, शावक एक साल तक अपनी मां का दूध पीते हैं.
■ गैंडे का जीवनकाल – काले गैंडे का जीवन काल 35 से 50 वर्ष के बीच होता है जबकि सफेद गैंडे का जीवन काल 40 से 50 वर्ष के बीच होता है.
■ गैंडे की देखने की शक्ति बहुत कमज़ोर होती है. उन्हें 30 मीटर की दूरी तक भी चीजों को देखने में परेशानी होती है, जबकि उनकी सूंघने और सुनने की क्षमता बहुत तेज़ होती है.
■ आपको यक़ीन नहीं होगा लेकिन गैंडे के सबसे करीबी रिश्तेदारों में घोड़ा और ज़ेब्रा शामिल हैं और ये तीनों इक्विडे वंश (Equidae family) से ताल्लुक रखते हैं.
■ गैंडे का पारिवारिक जीवन अन्य जंगली जानवरों से अलग होता है. नर गैंडे के जीवन में केवल एक मादा गैंडा होती है.
■ गैंडे के सींग, बाल और नाखून की तरह, जीवन भर बढ़ता रहता है. अगर यह किसी कारण से टूट जाता है, तो उसके स्थान पर दूसरा सींग उग आता है.
■ भारतीय गैंडे और जावन गैंडे के केवल एक सींग होते हैं जबकि बाकी तीन प्रजातियों में दो सींग होते हैं.
■ गैंडे का सींग केराटिन (Keratin) नामक प्रोटीन से बना होता है. यह वही प्रोटीन है जिससे हमारे हाथों के नाखून और बाल बने होते हैं.
■ भारी शरीर होने के बावजूद गैंडा 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है.
■ सफेद गेंडा अफ्रीका में पाया जाता है लेकिन यह पूरी तरह से सफेद नहीं बल्कि हल्के भूरे रंग का होता है. इसका मुंह काले गैंडे से थोड़ा बड़ा होता है.
■ काले गैंडे वास्तव में काले रंग के नहीं होते बल्कि गहरे भूरे रंग के होते हैं.
■ गैंडे की त्वचा बहुत मोटी लेकिन संवेदनशील होती है इसलिए सूरज की गर्मी से बचने के लिए गैंडे कीचड़ में पड़े रहते हैं. उन्हें कीचड़ में नहाने में काफ़ी मज़ा भी आता है.
■ गैंडे ज्यादातर अकेले रहना पसंद करते हैं जबकि सफेद गैंडे समूहों में रहते हैं.
■ गैंडा छह फीट से अधिक ऊंचा और 11 फीट लंबाई तक बढ़ सकता है.
■ आपको जानकर हैरानी होगी कि 50 प्रतिशत नर गैंडे और 30 प्रतिशत मादा गैंडे आपसी लड़ाई के कारण मारे जाते हैं.
■ गैंडे का सबसे अच्छा दोस्त ऑक्सपेकर (Oxpeckers) नामक पक्षी है, जो इसकी पीठ पर मौजूद कीड़ों को खा जाता है.
■ पृथ्वी पर जितने भी प्राणी हैं, उनमें गैंडा ही एक ऐसा प्राणी है जो आग से नहीं डरता, बल्कि उसके सामने चला जाता है.
■ हम इंसानों की तरह गैंडों को भी हर दिन आठ घंटे की नींद की ज़रूरत होती है. गैंडा खड़े-खड़े या बैठकर, दोनों स्थितियों में सो सकता है.
■ इस जानवर के बारे में कहा जाता है कि यह हमेशा अपना मल एक ही जगह पर त्यागता है.
■ गैंडे अपने क्षेत्र को चिह्नित करने के लिए अपने गोबर का उपयोग करते हैं.
■ गैंडे रात और दिन दोनों समय सक्रिय रहते हैं.
■ सफ़ेद मादा गैंडे कभी-कभी जुड़वा बच्चों को भी जन्म देती हैं.
■ भारतीय गैंडा अपनी रक्षा के लिए और दुश्मनों पर हमला करने के लिए अपने सींग का इस्तेमाल हथियार के रूप में नहीं करता है, जबकि अफ्रीकी गैंडे इन सींगों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
■ गैंडे के अब तक के सबसे लंबे सींग की लंबाई 4 फीट 9 इंच मापी गई है.
■ भारतीय गैंडा असम के काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में प्रमुखता से पाया जाता है. यह वह जगह है जहां भारतीय गैंडों की दो तिहाई आबादी (लगभग 2400 के आसपास) पाई जाती है.
■ भारत में गैंडे असम के अलावा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों और हिमालय की निचली पहाड़ियों पर भी पाए जाते हैं.
■ भारत में, सन् 1850 तक बंगाल और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में बड़ी संख्या में गैंडे पाए जाते थे, लेकिन अब वे केवल असम तक ही सीमित रह गए हैं.
■ भारतीय गैंडे दस अलग-अलग तरह की आवाज़ें निकालने के लिए जाने जाते है.
■ भारतीय गैंडा 16 फीट से अधिक की दूरी तक मूत्र का छिड़काव कर सकता है. आमतौर पर वे अपने क्षेत्र को चिह्नित करने के लिए ऐसा करते हैं.
■ भारत में अब तक के सबसे बड़े गैंडे का वजन 3800 किलोग्राम दर्ज किया गया है. इसका आकार अफ्रीका के सफ़ेद गैंडे के बराबर है.
■ नेपाल और भारत में गैंडे को एक मंगलकारी जानवर भी माना जाता है.
■ एक सींग वाले गैंडों की संख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है.
■ एशिया में, गैंडे भारत के अलावा पाकिस्तान, म्यांमार (बर्मा), नेपाल और चीन के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं.
■ सुमात्रन गैंडा इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर पाया जाता है. इनकी गिनती भी 275 के आसपास ही रह गई है.
■ सुमात्रन प्रजाति के गैंडे क़द में सबसे छोटे होते हैं, इनकी ऊंचाई करीब पांच फ़ीट होती है.
■ सुमात्रन प्रजाति के गैंडे एकमात्र ऐसा गैंडा प्रजाति है, जिसके शरीर पर बाल होते हैं.
■ जावन गैंडा इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर पाया जाता है. जावन गैंडे की प्रजातियों में से केवल 50 गैंडे ही बचे हैं. गैंडे की यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है.
■ गैंडे के मोटे शरीर के कारण लगभग कोई भी शिकारी जानवर इसका शिकार करने के बारे में नहीं सोचता है, लेकिन इंसान गैंडे का सबसे बड़ा दुश्मन है, जो इसके सींग के लिए इसका शिकार करता है.
■ गैंडे की त्वचा बहुत मजबूत होती है. इसलिए प्राचीन काल से ही इसका काफ़ी शिकार होता रहा है. प्राचीन काल में कवच, ढाल और हथियार बनाने के लिए गैंडे के चमड़े, सींग और मजबूत हड्डियों का उपयोग किया जाता था. पुरातत्व से स्पष्ट है कि ढाल, तलवार, कवच आदि बनाने में गैंडे के मजबूत चमड़े का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था.
■ गैंडों का शिकार प्रमुखता से उनके सींगों के लिए किया जाता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका पारंपरिक चीनी चिकित्सा में औषधीय उपयोग है. चीनी मान्यताओं के अनुसार इसके सींगों में खोई हुई युवा शक्ति को वापस लाने का गुण होता है.
■ प्राचीन भारत में, राजकुमारों को बीमारियों और बुरी शक्तियों से बचाने के लिए गैंडे के सींग की नोंक से बने ताबीज़ पहनाने की प्रथा थी.
■ कुछ अरबवासियों का मानना था कि गैंडे के सींगों से बने प्यालों से पेय पीने से ज़हर का असर नहीं होता. जबकि इन सभी मान्यताओं में कोई सच्चाई नहीं है. 1892 में, भारत में भी गैंडे के सींग से बने प्याले मिलते थे.
■ गैंडे के बारे में एक आश्चर्यजनक बात यह है कि यदि शिकारी उसे गोली मार दे तो वह अन्य जानवरों की तरह अपने टांगों को फैलाकर नहीं पड़ा रहता. वह सीधे बैठे-बैठे ही मर जाता है जैसे कि वह सो रहा हो.
■ गैंडे का शिकार वीरता का भी प्रतीक माना जाता था. सन् 1871 और 1907 के बीच, एक भारतीय राजा ने 208 गैंडों का शिकार किया था. अति-शिकार के कारण इनकी संख्या बहुत कम हो गई है, जिसके कारण इन्हें अब सुरक्षा की आवश्यकता है.
■ सभी पशु प्रेमियों के लिए यह दुख की बात है कि जंगलों की कटाई और लगातार शिकार के कारण अब गैंडे की प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है.
■ उत्तरी यमन गैंडे के सींगों का सबसे बड़ा निर्यातक देश रहा है. कई देशों ने गैंडों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिर भी इसके सींग और खाल की तस्करी गुप्त रूप से जारी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैंडे का एक लाख रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है.
■ 1980 से भारत में गैंडो के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है. काज़ीरंगा अभयारण्य में गैंडों के संरक्षण और रखरखाव के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. गैंडे को संरक्षित जंगली जानवर घोषित कर उसके शिकार पर रोक लगा दी गई है.
फ़ोटो | pixabay.com
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