ऑस्ट्रेलियन ओपन: जोश पर जीत तजुर्बे की

यह निश्चित है कि इतवार यानी 2 फरवरी को मेलबोर्न पार्क के रॉड लेवर सेन्टर कोर्ट में उपस्थित 37 हज़ार से ज़्यादा दर्शक विक्टोरिया के जंगलों में लगी आग से उत्पन्न अतिरिक्त गर्मी को ही महसूस नहीं कर रहे थे बल्कि नीले रंग के सिंथेटिक कोर्ट पर ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में नोवाक जोकोविच और डोमिनिक थिएम के बीच चल रहे ज़ोरदार संघर्ष से उत्पन्न ताप को भी महसूस कर रहे होंगे. दरअसल यह फाइनल केवल दो खिलाड़ियों के बीच का संघर्ष भर नहीं था बल्कि ये नए और पुराने के बीच का द्वंद्व भी था. यह नए का पुराने को विस्थापित कर ख़ुद को स्थापित करने का संघर्ष था तो ये पुराने का नए को नई ज़मीन तोड़ने से रोकने का संघर्ष भी था. यह अनुभव और युवा जोश का संघर्ष भी था. निसंदेह प्रतिबद्धता दोनों ओर थी और इसीलिए संघर्ष बहुत ही ज़ोरदार हुआ जो चार घंटे चला. अंततः अनुभव ने एक बार फिर युवा जोश को मात दी. नोवाक ने थिएम को 5 सेटों में 6-4, 4-6, 2-6, 6-3 और 6-4 से हरा दिया.

यह नोवाक का आठवां ऑस्ट्रेलियन ओपन और कुल मिलाकर सत्रहवाँ ग्रैंड स्लैम खिताब था. अब वे राफा के 19 ग्रैंड स्लैम खिताब से दो और फेडरर के 20 से केवल तीन खिताब पीछे हैं. थिएम का यह तीसरा ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल था और दुर्भाग्य से उन्हें तीनों में हार का सामना करना पड़ा. इससे पहले वे 2018 और 2019 के फ्रेंच ओपन में राफा से हार गए थे.

हारने के बाद अपनी ख़ूबसूरत स्पीच में थिएम नोवाक को जीत की बधाई देते हुए उनकी इस जीत को अद्भुत बता रहे थे.उन्होंने कहा कि ‘इन सालों में आप (नोवाक) और आपकी टीम जो कुछ कर रही वो अविश्वसनीय है.’ नि:संदेह ऐसा ही है. यहां वे आठवीं बार जीत रहे थे. जिस तरह रोलां गैरों की लाल बजरी के बेताज बादशाह राफा हैं, ठीक उसी तरह नीली कृत्रिम सतह के नोवाक बेताज बादशाह हैं. राफा ने फ्रेंच ओपन 12 बार जीता तो नोवाक भी यहां आठ बार जीत चुके हैं. वे यहां कभी भी फ़ाइनल में नहीं हारे हैं. इस बार की यह जीत इसलिए भी उल्लेखनीय है कि वे दो के मुकाबले एक सेट से पीछे थे और इस स्कोर पर वे कभी भी फ़ाइनल में जीते नहीं थे. पर रॉड लेवर एरीना उनकी पसंदीदा सतह है. वो नीली सतह जो उन्हें बेतरह रास आती है. इस नीले रंग से उनके खेल कौशल में सागर सी गहराई आती है और उनका खेल आसमान सी ऊंचाई को प्राप्त होता है.

थिएम यहीं नहीं रुकते. वे अपनी स्पीच में आगे कहते हैं कि ‘मैं सोचता हूं कि आप(नोवाक) और दो अन्य खिलाड़ी(फेडरर और राफेल नडाल) ने पुरुष टेनिस को अनंत ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है और मुझे गर्व है और मैं ख़ुश हूं कि मैं इस समय और इस कालखंड में प्रतिस्पर्धा के योग्य हूं.’ नि:संदेह यह उनके लिए गर्व की बात होगी. इस समय फेडरर 38 साल के और राफा 35 साल के हैं. और मई में नोवाक 33 साल के हो जाएंगे. पिछले 13 ग्रैंड स्लैम खिताब इन तीनों ने जीते हैं. यानी पिछले तीन साल से इन तीनों के अलावा कोई और ग्रैंड स्लैम नहीं जीत पाया है. यहां उल्लेखनीय ये भी है कि पिछले 67 ग्रैंड स्लैम ख़िताबों में से 56 इन तीनों ने जीते हैं. यह अद्भुत है,अविश्वसनीय है. थिएम,ज्वेरेव,सिटसिपास, मेदवेदेव,रुबलेव और किर्गियोस जैसे युवा खिलाड़ी लगातार हाथ पैर मार रहे हैं पर इन तीनों से पार नहीं पा पा रहे हैं.

इस फ़ाइनल मैच की शुरुआत नोवाक ने शानदार तरीके से की. पहला सेट 6-4 से जीत लिया. लेकिन दूसरे सेट में 4-4 के स्कोर के बाद नोवाक लय खो बैठे. थिएम के बेसलाइन से शक्तिशाली फोरहैंड ग्राउंड स्ट्रोक्स का नोवाक के पास कोई जवाब नहीं था. और अगले दो सेट आसानी से 6-4 और 6-2 से गवां बैठे. अब लगने लगा था कि इस बार रॉड लेवर कोर्ट पर एक नए चैंपियन का उदय होने वाला है. लेकिन अनुभव बड़ी चीज़ होती है, यह नोवाक ने एक बार फिर सिद्ध किया. उन्होंने पिछली सात जीतों के सारे अनुभव झोंक दिए. सर्व और वॉली के आक्रामक खेल से थिएम के मजबूत रक्षण को ही भंग नहीं किया बल्कि उनके जोश और उत्साह को भी भंग कर दिया. और अंतिम दो सेट 6-3 और 6-2 से जीतकर एक नया इतिहास रच दिया.

नि:संदेह यह फाइनल 2018 के फेडरर और राफा के बीच हुए क्लासिक फाइनल की ऊंचाइयों को नहीं छू सका पर इतना तो तय है ही कि इसने नोवाक को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया. यह वो ऊंचाई है जहां से वे राफा और फेडरर के और करीब आ गए हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि तीन महान खिलाड़ियों के बीच की ग्रैंड स्लैम ख़िताबों की होड़ और सार्वकालिक महान खिलाड़ी बनने की इन तीनों की प्रतिस्पर्धा और रोचक हो गई है.

फिलहाल नोवाक को इस जीत की बहुत बधाई.

सम्बंधित

‘डि स्टेफानो: ख़िताबों की किताब मगर वर्ल्ड कप से दूरी का अभिशाप


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.