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‘सह-सा’ छोटे-छोटे अकस्मातों में बनती व्यापक मानव नियति की कहानी है. रोज़मर्रा के अनाटकीय प्रसंगों की टकराहटों से बड़े सवालों के खुले में आ जाने की कहानी. इस कृति में भी गीतांजलि श्री की भाषा और शैली का अपना वैभव है. बदलती स्थितियों, मनःस्थितियों को उजागर करती कभी चुटीली, नुकीली, कभी प्रशांत, उदास और दार्शनिक. हमेशा [….]