यूएफ़ओ | रोमांचकारी कल्पना और क़िस्से

आसमान में उड़ती अज्ञात वस्तुओं (अनआइडेंटिफ़ाइड फ़्लाइंग ऑब्जेक्ट) के रहस्य, यहां तक कि उनके अस्तित्व के बारे में पक्के से अभी तक कुछ नहीं जा सका मगर उड़नतश्तरियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के इरादे से दुनिया भर में दो जुलाई को यूएफ़ओ दिवस मनाते हैं. कार्टून फ़िल्मों से लेकर हॉलीबुड की ब्लॉकबस्टर तक छाई, कितनी ही विज्ञान कथाओं की विषयवस्तु उड़नतश्तरी और एलियन ज़माने की चेतना में इतने पैबस्त भी हैं कि उनके वजूद को लेकर किसी संशय के बजाय उनके होने की कल्पना भी लोगों को बेहिसाब रोमांच से भर देती है.

सन् 1953 में अमेरिकन एयरफ़ोर्स ने इन्हें उड़नतश्तरी नाम दिया. इनके अस्तित्व को आधिकारिक तौर पर हालांकि कोई नहीं मानता मगर अमेरिका और यूरोप के साथ ही दुनिया के और देशों में भी उड़नतश्तरी देखने की गवाही देने वाले लोग मिल ही जाते हैं. गवाहों के मुताबिक इन गोल तश्तरियों के बाहरी हिस्से पर इतनी तेज़ रोशनी होती है कि आंखें चुंधिया जाएं और ये बहुत तेज़ी से घूमती हैं. ऐसा मानने वाले भी है कि इन उड़ती वस्तुओं का रिश्ता परग्रही दुनिया से है क्योंकि इनके संचालन की असाधारण और असरदार क्षमता पृथ्वी पर उपलब्ध किसी मशीन से मेल नहीं खाती. हालांकि मौसम के बारे में जानकारी के लिए उड़ाए जाने वाले गुब्बारों, उल्का पिण्डों और चमकदार बादलों से यूएफ़ओ होने का धोखा कई बार प्रमाणित हो चुका है.

पिछले पचास-साठ सालों में उड़नतश्तरी देखे जाने के मामले ज़्यादा रिकॉर्ड किए गए हैं. इनके बारे में अध्ययन को यूफ़ोलॉजी कहते हैं. अमेरिका के पेंसिलवेनिया में केक्सबर्ग के जंगलों के ऊपर एक अज्ञात वस्तु बहुत देर तक मंडराती रही. जिसने इसे भी देखा, आश्चर्य और भय से देखता ही रह गया. मगर देखते ही देखते यह वस्तु आग के गोले में बदल गई. फिर इसमें भयंकर विस्फोट हुआ. लोगों ने इसे उड़न तश्तरी माना हालांकि नासा ने इसे उल्का पिंड कहा था.

रूस में 1989 में यूएफओ देखे जाने की ख़बरें कई बार आईं. 14 अप्रैल को चेरेपोवेस्क के इवान वेसेलोवा ने बहुत बड़ा यूएफओ देखने का दावा किया. फिर 6 जून को कोनेंटसेवो में बहुत से बच्चों ने ऐसा दावा किया. 11 जून को वोलागडा की एक महिला ने 17 मिनट तक उड़नतश्तरी दिखने की बात कही. 17 सितंबर 1989 का क़िस्सा ख़ासा दिलचस्प है. वोरोनेज़ के एक पार्क में बच्चे खेल रहे थे कि लाल रंग का एक बड़ा सा अंडाकार यान उतरा, जिसके कुछ देर बाद यान से दो एलियन निकले. एक 12 से 14 फीट ऊंचा था और उसकी तीन आंखें थीं. दूसरा रोबोट जैसा लगता था. उन्हें देखकर बच्चे चीख़ने लगे. बाद में हुई जांच में वहां की मिट्टी में रेडिएशन पाया गया.

1991 में एलिटालिया एयरलाइंस के एक यात्री विमान के क़रीब उड़ती तश्तरी को काफी पास से देखा. बीबीसी के मुताबिक इटली के राष्ट्रीय अभिलेखागार की ओर से जारी रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज़ में इस बात का ज़िक्र है. 9 दिसम्बर 2009 को नार्वे के लोगों ने आसमान में नीले रंग का रोशनी का गोला देखा, बाद में बताया गया कि वह रूस से छोड़ा हुआ एक रॉकेट था, जिसका प्रक्षेपण असफल हो गया था.

हिन्दुस्तान में ऐसा पहला मामला 15 मार्च 1951 को दिल्ली से रिपोर्ट किया गया, जब दिल्ली फ़्लाइंग क्लब के आसमान पर सफ़ेद बादलों की-सी सिगार की शक़्ल वाली कोई चीज ऐरियल इंजीनियर जार्ज एफ़. फ्लोट को दिखाई दी. जॉर्ज ने आवाज़ देकर अपने साथियों को भी बुला लिया और क़रीब सात मिनट तक तेज़ी से चक्कर लगा रही उस सफ़ेद वस्तु को देखते रहे. कलकत्ता, चेन्नई, लद्दाख, लखनऊ, पुणे और कोच्चि के बाद 2015 का गोरखपुर का वाक़या सबसे ताज़ा है, अख़बारनवीसों समेत ढेर सारे वाट्सएप ग्रुप में एक बड़े से यूएफ़ओ की तस्वीर भेजी गई.

तस्वीर भेजने वाले का दावा था कि गोरखपुर के आसमान में दिखाई दिए यूएफ़ओ की यह तस्वीर उसने खींची है. थोड़ी देर की सनसनी के बाद ग़ौर करने पर मालूम हुआ कि वह तस्वीर डिजिटल टेक्नोलॉजी का तोहफ़ा थी. फ़ोन से खींची तस्वीर में यूएफ़ओ का साइज़ जितना बड़ा दिखाई देता था, उससे यह अंदाज़ लगाना बहुत मुश्किल नहीं था कि उस वस्तु को काफ़ी नीचे होना चाहिए था और यह भी कि इतने नीचे ऐसी अजनबी वस्तु किसी एक शख़्स को ही भला क्यों दिखाई दी होगी? तस्वीर के यूएफ़ओ का फ़िल्म ‘इंडिपेंडेंस डे’ वाले यूएफ़ओ से मिलान करने पर यह बात और पक्की हो गई कि वह तस्वीर और दावा दोनों ही फर्जी थे.

बीबीसी की 2017 की एक ख़बर में अमेरिकी मीडिया के हवाले से कहा गया था कि पेंटागन में 2007 में शुरू हुए और 2012 में बंद कर दिए गए यूएफ़ओ जांच कार्यक्रम पर अमेरिका ने लाखों डॉलर ख़र्च कर डाले. ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ का कहना है कि इस कार्यक्रम के दस्तावेज़ में अजीब सी तेज़ रफ़्तार वाले विमानों और मंडराती हुई चीज़ों का ज़िक्र किया गया है. मगर वैज्ञानिकों को इस बात को लेकर संदेह था कि ये रहस्यमय घटनाएं परग्रही जीवन यानी एलियन होने का सबूत हो सकती हैं. सीआईए की ओर से डिक्लासिफ़ाइड दस्तावेज़ में यूएफ़ओ देखे जाने और उड़न तश्तरियों से संबंधित रिपोर्ट्स भी शामिल थीं.


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