कला सभी विचारधाराओं से ऊपर
कला | जे. स्वामीनाथन
“विचारधारा और कला का सम्बन्ध कभी नहीं होता, जैसा कुछ मार्क्सवादी लोग मानते हैं. लेनिन का पोर्ट्रेट बना देने से कला प्रगतिवादी नहीं हो जाती. देखा जाए तो एज़रा पाउंड की सहानुभूति फ़ासिस्ट के साथ थी, लेकिन उसे कोई कैसे कहेगा कि वह एक महान कलाकार नहीं था. स्वयं तालस्तोय कहाँ के प्रगतिवादी थे! वे रहस्यवादी थे, क्रिस्चियेनिटी में उनका भरोसा था. असल में यह पूरी बहस ही ग़लत है. विचारधारा की सारी खाँचेबाज़ी कला के मामले में ग़लत हो जाती है. असल में कला सभी विचारधाराओं से ऊपर बोलती है, जैसे जीवन सबसे ऊपर बोलता है.”
(कन्हैयालाल नन्दन से एक साक्षात्कार में)
परिचय
चित्रकार और कवि थे. एक समय में राजनीतिक कार्यकर्ता भी रहे. और पत्रकार भी.
भारत भवन में ‘रूपंकर’ के पहले निदेशक रहे. आदिवासी कला को दुनिया के सामने लाने और उसे प्रतिष्ठित करने में उनका अप्रतिम योगदान रहा है. गोंड चित्रकार जनगढ़ श्याम और भूरी बाई उन्हीं को खोज थे. आदिवासियों का जीवन, उनकी कला और परिवेश ने ख़ुद स्वामीनाथन के काम को भी प्रभावित किया.
जन्म | 21 जून, 1928 शिमला
निधन | 24 अप्रैल 1994 दिल्ली
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