निर्मल ने न कभी झूठ लिखा, न जियाः गगन गिल

नई दिल्ली | निर्मल वर्मा की 96वीं जयंती पर बुधवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित ‘कृती निर्मल’ कार्यक्रम में उनकी असंकलित कहानियों के संग्रह ‘थिगलियाँ’ का लोकार्पण हुआ. प्रख्यात इतिहासकार सुधीर चन्द्र, सुपरिचित कवि और निर्मल वर्मा की सहधर्मिणी गगन गिल, ‘आलोचना’ त्रैमासिक के सम्पादक संजीव कुमार और कथाकर वन्दना राग समेत अनेक साहित्यप्रेमी इस मौक़े पर मौजूद रहे. राजकमल प्रकाशन से छपे इस संग्रह का सम्पादन गगन गिल ने किया है.

इतिहासकार सुधीर चन्द्र ने कहा, “निर्मल उन भारतीय लेखकों में से हैं जिनको मैंने सबसे ज्यादा पढ़ा है. उनके लेखन का मैं भक्त हूँ. निर्मल वर्मा-गगन गिल पड़पड़गंज के जिस अपार्टमेंट में रहते थे, उनके ऊपर के फ्लोर पर मैं और गीतांजलि रहते थे. उस समय शायद ही ऐसी कोई शाम होती थी जब हम चारों साथ न बैठे हों. आज उनकी किताब के लोकार्पण का अवसर पाकर मैं ख़ुद को परम-सौभाग्यशाली समझता हूँ.”

बाद में संजीव कुमार और वन्दना राग ने ‘थिगलियाँ’ संग्रह से कुछ कहानियों के अंशपाठ किए और निर्मल से जुड़े संस्मरण साझा किए. संग्रह पर बातचीत के दौरान निर्मल वर्मा के साथ शुरुआती जुड़ाव के दिनों को याद करते हुए गगन गिल ने कहा, “निर्मल अपनी कहानियों में बच्चों की जो दुनिया रचते थे कि बच्चे बड़े लोगों को किस तरह से देखते हैं और उनके बारे में कैसे और क्या सोचते हैं, उसने मुझे बहुत परेशान भी किया और आकर्षित भी किया.”

निर्मल के पाठकों की प्रकृति के बारे में बात करते हुए संजीव कुमार ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि निर्मल को पढ़ने वाला कोई व्यक्ति कभी असहिष्णु भी हो सकता है. उन्हें पसन्द करने वाले व्यक्ति के अन्दर दुनियाभर के अलग-अलग भावों और विचारों को मानने की स्वीकार्यता होती है. अगर आपके भीतर जरा भी ऐसे भाव है तो शायद निर्मल आपको पसन्द नहीं आएंगे.” इस वक्तव्य पर गगन गिल ने अपना नज़रिया ज़ाहिर किया. कहा, “कोई भी साहित्य आपको कभी असहिष्णु नहीं बनाता. वह होता ही इसलिए है कि वह आपको संवेदनशील और सहिष्णु बना सके. मुझे लगता है कि किसी की किताब पढ़कर कोई नहीं बदलता. किसी भी मनुष्य का बेहतर मनुष्य के रूप में बदलना उसका अपना ही पुरुषार्थ होता है. हाँ, साहित्य आपको उसके लिए प्रेरित कर सकता है. जो व्यक्ति निर्मल को पढ़ता है, वह या तो खुले दिमाग़ का होगा या उनको पढ़ते-पढ़ते हो जाएगा.”

बातचीत में गगन गिल ने निर्मल वर्मा की आदतों और उनके व्यक्तित्व से जुड़े कई अंतरंग प्रसंग सुनाए. उन्होंने कहा, “निर्मल में ख़ुद को ख़ारिज होते सुनने की आदत थी, लेकिन वे कभी झूठ बर्दाश्त नहीं करते थे. जब मैं उनकी आलोचना करती थी तो वे मुझे बड़े ध्यान से सुनते थे. ऐसा खरा आदमी मैंने दूसरा नहीं देखा. उन्होंने न कभी झूठ लिखा, न कभी झूठ जिया.”

कहा, “निर्मल को कई बार लोग उनके किसी एक बयान के आधार पर इतनी आसानी से किसी एक धड़े से जुड़ा हुआ क़रार देते हैं. लेकिन वास्तविकता यह है कि किसी भी राजनीतिक सत्ता के साथ उनका रिश्ता कभी सहज नहीं रहा. निर्मल के अन्दर कई सारे निर्मल रहते थे. उनकी जटिलता को हम उनके समय में रखकर ही देख सकते हैं. अच्छे लेखक की परतें उसके गुज़रने के कई वर्ष बीत जाने के बाद खुलती है. चले जाने के बाद कम वर्षों के भीतर लोग आलोचना अधिक करते है, तरह-तरह के टैग में उन्हें बांधे जाने का प्रयास किया जाता है. गंभीर लेखक की सही समझ और परख समय की मांग करती है. मुझे तो वो लेखक ही संदिग्ध लगता है जिसको उसके जीवन काल में ही समझ लिया गया हो.”

अशोक महेश्वरी ने अपने वक्तव्य में कहा, “हमारे लिए यह बहुत ख़ुशी का समय है. हम निर्मल जी और गगन जी की सभी पुस्तकों का प्रकाशन कर रहे हैं. निर्मल और राजकमल का अलगाव साहित्यिक समाज ने कभी स्वीकार नहीं किया. किताबों के इस पुनर्प्रकाशन का सभी ने मुक्तकण्ठ से स्वागत किया है. पुस्तकों की प्रस्तुति को भी सभी ने सराहा है.”

‘थिगलियाँ’ कहानी संग्रह के बारे में उन्होंने कहा, “गगन जी ने इस संग्रह की भूमिका लिखी है, साथ ही कहानियों पर उनकी टिप्पणियों ने इस संग्रह की रचनाओं की एक पृष्ठभूमि पाठकों के सामने रख दीं हैं. किसी भी लेखक और उसकी रचनाओं के बारे में इतना आत्मीय मंथन वही कर सकता है, जिसने ख़ुद इन्हें जिया हो. मैं आशा करता हूँ कि हिन्दी का निर्मल प्रेमी पाठक समाज इस पुस्तक का पुरज़ोर स्वागत करेगा.”

गौरतलब है कि निर्मल वर्मा के नए कहानी संग्रह ‘थिगलियाँ’ में उनकी अभी तक असंकलित और कुछ अप्रकाशित कहानियाँ पहली बार एक किताब में छपकर आई हैं. इनमें 1954 में छपी उनकी कहानी ‘रिश्ते’ और ‘बैगाटेल’ से लेकर 2005 में छपी अन्तिम कहानी ‘अब कुछ नहीं’ भी शामिल हैं. साथ ही, उनके दो अपूर्ण उपन्यास भी इस संग्रह में हैं.

(विज्ञप्ति)

सम्बंधित

निर्मल वर्मा की फ़िक्र में भारतीयता के सवाल


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.